राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अफसर की बैटिंग, चौके-छक्के
29-Oct-2020 6:49 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अफसर की बैटिंग, चौके-छक्के

अफसर की बैटिंग, चौके-छक्के

रिटायरमेंट के ठीक पहले पड़ोस के जिले के प्रशासनिक मुखिया जिस अंदाज में बैटिंग कर रहे हैं, उससे जानकार लोग हतप्रभ हैं। कुछ इसी तरह बैटिंग पूर्व एसीएस टी राधाकृष्णन भी करते थे। इसका नतीजा यह रहा कि उन्हें अब तक पूरी पेंशन नहीं मिल पा रही है। उनके खिलाफ अभी भी एक-दो जांच चल ही रही है। मगर पड़ोसी प्रशासनिक मुखिया इतनी जल्दबाजी में हैं, कि उन्होंने सारी सीमाएं लांघ रखी हैं ।  सुनते हैं कि रिश्वत की रकम लेने से कुछ दिन पहले तो मुख्यालय छोडक़र रायपुर तक आ गए। जिस ठेकेदार से उन्हें रकम लेनी थी वह तेलीबांधा मरीन ड्राइव में उनका इंतजार कर रहा था।

अफसरने कुछ दूर अपनी गाड़ी रूकवाई और फिर स्कूटर से मरीन ड्राइव पहुुंचे। वैसे तो सैर-सपाटे के लिए मरीन ड्राइव को सबसे उपयुक्त जगह माना जाता है, लेकिन बड़े लोग यहां काम की बात करने भी आते हैं। खैर अफसर पहुंचे, तो काम के एवज में लेनदेन की चर्चा भी हुई। ठेकेदार ने उन्हें रकम तो दी, लेकिन अफसर इससे ज्यादा की उम्मीद कर रहे थे। चूंकि अफसर ने रकम ले ली, तो ठेकेदार काम को लेकर निश्चिन्त थे। मगर बाद में अफसर ने ठेकेदार की गाडिय़ां भी पकड़वा दीं। हाल यह है कि अफसर की कारगुजारियों की चर्चा न सिर्फ मंत्रालय तक पहुंची है बल्कि सेंट्रल एजेंसियों तक इसकी जानकारी भेजी गई है। देखना है कि अफसर जांच के घेरे में आ पाते हैं या नहीं।

इलाज की सहूलियत, लेकिन अनुदान

छत्तीसगढ़ सरकार में एक अफसर अपनी कड़ाई के लिए मशहूर थे। किसी का सौ रूपए का भी गलत बिल अगर सामने चले जाए तो जुबानी उसकी खाल खींच लेते थे। गालियां देने में दूसरे के परिवार के कई लोगों से रिश्ता बना लेते थे। साख ऐसी थी कि न गलत करते हैं, न गलत होने देते हैं। ठीक वैसी ही जैसी कि देश के बड़े नेता के बारे में बनी थी, न खाऊंगा, न खाने दूंगा। खाऊंगा तो पता नहीं लेकिन देश के लोगों का खाना तो बंद हो ही गया है।

अब जिस अफसर की चर्चा हो रही है उनको रिटायर होने के बाद भी अपने और परिवार के इलाज के लिए खूब सारा सरकारी इंतजाम हासिल है। इसके बावजूद पिछली सरकार के रहते उन्होंने मुख्यमंत्री से इलाज के लिए 5 लाख रूपए मंजूर करवा लिए थे। यह जानकारी सुनने वाले लोग हैरान हैं, लेकिन जानने वाले लोग सरकारी फाइलों की फोटोकॉपी लेकर चल रहे हैं।

फाईल सम्हालकर रखी है...

इलाज की बात निकली तो पिछली सरकार में एक अफसर ने अपने इलाज के लिए इतनी बड़ी रकम मंजूर करवा ली थी कि वह सरकारी नियमों से दुगुनी या उससे भी ज्यादा थी। बाद में कुछ लोगों ने समझाकर रकम आधे से कम करवाई, लेकिन जिन्होंने अपनी कलम बचाने के लिए यह रकम कम करवाई, उन्होंने बीमार अफसर को फंसाने के लिए उसकी लगाई हुई अर्जी की कॉपी भी सम्हालकर रख ली। सरकारी नौकरी और राजनीति के हिसाब चुकता करने के लिए रिटायर होने के बाद भी खासा समय बचता है। प्रदेश के एक भूतपूर्व प्रिंसिपल सेक्रेटरी पी.एस. राघवन ने अभी हाल में ही एक बुकलेटनुमा किताब लिखी है जिसमें उन्होंने कई लोगों से हिसाब चुकता किया है। अब तो सोशल मीडिया और ब्लॉग पर भी हिसाब चुकता करने और भड़ास निकालने की गुंजाइश असीमित है। देखना है कि इलाज के कागजों का कब इस्तेमाल होता है। 

चप्पल वालों के पसीने छूट रहे हवाई यात्रा से...

रायपुर से जगदलपुर के बीच हवाई सेवा शुरू हुए अभी मुश्किल से एक माह ही हुए हैं कि किराया बढ़ गया है। 21 सितम्बर को जब एलायंस एयर की सुविधा शुरू हुई तो रायपुर-जगदलपुर के बीच किराया करीब 1400 रुपये था। अब इसे बढ़ाकर 2000 रुपये कर दिया गया  है। जगदलपुर से आगे हैदराबाद तक इसी फ्लाइट पर जाना हो तो अब 2700 रुपये अतिरिक्त देने होंगे, जबकि हवाई सेवा शुरू हुई तो किराया 1900 रुपये था। जगदलपुर राजधानी से काफी दूर है। कई राज्यों की सीमायें इसके मुकाबले पास है। बस और ट्रेन का सफर पूरा दिन या पूरी रात ले लेता है। कोरोना के चलते इन दिनों ट्रेन बस यातायात सामान्य भी नहीं हुआ है। इसके चलते फ्लाइट्स में पैसेंजर ठीक-ठाक संख्या में मिल रहे हैं। किराये में एकाएक बढ़ोतरी के बावजूद मजबूरी है कि जो खर्च कर सकते हैं, वे हवाई सुविधा का ही इस्तेमाल करें। मगर किराया इसी तरह, इतनी जल्दी आगे भी बढ़ता रहा तो?  उड्डयन मंत्रालय ने उड़ान सेवा ‘उड़े देश का आम नागरिक’ स्लोगन को लेकर ही तय किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि यह स्कीम हवाई चप्पल पहनने वाले लोग भी हवाई सफर करायेगी, पर महंगा होता किराया तो सिर्फ सूट-बूट वाले ही बर्दाश्त कर पायेंगे।

महानगर दर्जे के अपराध..

पता नहीं क्यों, अब छत्तीसगढ़ से जिस तरह से ख़बरें आ रही हैं उनके चलते महानगरों वाली फीलिंग होने लगी है। राजधानी के एक क्लब में लॉकडाउन के दौरान मयखाना खुलना, धनी लोगों का जमावड़ा और फिर गोलियों का चलना। इसके बाद लगातार एक के बाद ड्रग्स, चरस, कोकीन, अफीम के रैकेट में राजधानी के अमीर लडक़ों और कुछ युवतियों का भी नाम आना और मुम्बई, दिल्ली से उनका तार जुड़ा होना। इस समय आईपीएल क्रिकेट का मौसम है। हर रोज दो चार केस हाईटेक सट्टे का पकड़ लिया जा रहा है। दस बीस हजार का खेल नहीं इनमें लाखों रुपयों के दांव लग रहे हैं। खाईवाल, कारों में, होटलों में और देश के अलग-अलग हिस्सों में बैठकर गेम खेल रहे हैं, खिला रहे हैं। इनके भी तार देश के बड़े शहरों से जुड़े हुए हैं।

अब रोड रेज़ का मामला रह गया था। गरियाबंद में कांग्रेस नेता के बेटे ने जिस तरह ग्रामीणों को एसयूवी से रौंदा और उसमें चार साल के बालक की मौत हुई, कई लोग घायल हुए- उससे यह कसर भी पूरी हो गई। देश-विदेश में रहने वालों को शिकायत है कि लोगों को जब बताते हैं वे छत्तीसगढ़ में रहते हैं, तो पूछा जाता है ये जगह कहां है? मुमकिन है आगे ऐसे सवालों का पूछा जाना बंद हो जायेगा।

मजदूरों के बचाव के विधेयक में देर

विशेष सत्र में केंद्र सरकार के नए कृषि और श्रम कानून के प्रभाव को सीमित करने के लिए सरकार 4 संशोधन विधेयक लाने वाली थी, लेकिन लंबी चर्चा के बाद सिर्फ एक मंडी संशोधन विधेयक को लाने पर सहमति बनी। सीएम भूपेश बघेल ने कहा था कि श्रम कानून में संशोधन के चलते सरकार श्रमिकों-कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए अपना कानून बनाएगी। केंद्र के नए कानून के मुताबिक सौ कर्मचारी संख्या वाले कारखानेदार छंटनी कर सकेंगे। पहले तीन सौ कर्मचारी वाले कारखानों में ही छंटनी की अनुमति थी। सरकार ने कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखकर संशोधन विधेयक लाने की तैयारी भी कर ली थी, लेकिन बाद में पता चला कि नए श्रम कानून का अभी नोटिफिकेशन भी नहीं हुआ है। इसके बाद अब बाकी विधेयकों को लाने का विचार त्याग दिया गया। बाकी तीन विधेयक अब शीतकालीन सत्र में पेश किए जाएंगे।

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