राजपथ - जनपथ
मंडल का काम क्या?
एनआरडीए में भरा पूरा स्टॉफ है। मगर ज्यादातर के पास कोई काम नहीं है। बजट नहीं होने के कारण तकरीबन सभी काम बंद पड़े हैं। सीएम-मंत्रियों के बंगलों का निर्माण कार्य जरूर चल रहा है, लेकिन ये काम भी पीडब्ल्यूडी के मार्फत हो रहे हैं। एनआरडीए में चार डिप्टी कलेक्टर, दो नायब तहसीलदार, एक तहसीलदार सहित कई अफसर पदस्थ हैं। और अब आरपी मंडल की चेयरमैन और आईएएस कुलदीप शर्मा की एडिशनल सीईओ के पद पर पोस्टिंग हो गई है। मंडल ने चेयरमैन का काम संभाला, तो अफसरों से वन-टू-वन चर्चा की। उनसे कामकाज को लेकर पूछताछ की, तो पाया कि ज्यादातर लोग खाली बैठे रहते हैं।
मंडल ने सभी से कामकाज को लेकर प्लान मांगा है। सुनते हैं कि ज्यादातर अफसरों ने निजी कारणों से रायपुर में रहने की चाह में एनआरडीए में पोस्टिंग करा ली है। अब उन्हें अपने लायक काम ढूंढने के लिए माथापच्ची करनी पड़ रही है।
कुछ इसी तरह का हाल मानवाधिकार आयोग का भी रहा है। कोई अफसर फील्ड में जाना नहीं चाहते हैं, तो वे आयोग में पोस्टिंग करा लेते थे। मगर एनआरडीए की बात अलग है। मंडल अपने निर्माण कार्यों को अमलीजामा जाने जाते हैं। देखना है कि वे वहां कार्य संस्कृति में बदलाव ला पाते हैं, अथवा नहीं। और उससे भी बड़ा सवाल यह है कि सरकार एक मुर्दा शहर को जिंदा करने के लिए वेंटीलेटर पर कितना खर्च करेगी? कहाँ से करेगी?
कुल मिलाकर नया रायपुर एक सफेद हाथी हो गया है, सरकार के पास न उसे खिलाने को पैसा है, न उसकी लीद उठाने को, और न उसे नहलाने को। हाँ, मंडल के जिम्मे नया रायपुर की जमीनें रियायती रेट पर बेचने का जिम्मा जरूर है।
युवा नेता का बड़बोलापन !
भाजपा के एक मोर्चा के मुखिया बनाए गए युवा नेता के बड़बोलेपन से पार्टी के बड़े नेता परेशान हो गए हैं। इस युवा नेता ने पदभार संभालने के बाद से पार्टी नेताओं के बीच अनौपचारिक चर्चा में बोलना शुरू कर दिया कि पार्टी को सत्ता में लाने की जिम्मेदारी मेरी है। युवा नेता ने यह भी कहना शुरू कर दिया है कि वे रायपुर ग्रामीण से चुनाव लड़ेंगे, और सरकार में मंत्री भी बनेंगे।
दरअसल, नया दायित्व संभालने के बाद युवा नेता का जगह-जगह स्वागत हो रहा है। भिलाई में तो इतना स्वागत हुआ कि शायद ही किसी जनप्रतिनिधि का वहां हुआ हो। इतना स्वागत देखकर किसी का भी बौराना स्वाभाविक है। वैसे तो यह युवा नेता कुछ समय पहले तक वार्ड स्तर का कार्यकर्ता रहा है, लेकिन जाति समीकरण को ध्यान में रखकर पार्टी ने एकाएक ऊंचे पद पर बिठा दिया। अब पद पाने के बाद युवा नेता अपनी हसरत जाहिर कर रहे हैं, तो पार्टी के लोग ही बेचैन हो रहे हैं।
पेयजल की बर्बादी रोकने संजीदा कौन
पिछले साल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशलन ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केन्द्रीय भू-जल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) को यह सुनिश्चित करने कहा कि वह पेयजल की बर्बादी रोकने के लिये जरूरी कदम उठाये। इसमें पांच साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा भी तय की गई। इस दायरे में औद्योगिक, व्यापारिक, शासकीय निजी संस्थान ही नहीं, आम नागरिक भी शामिल हैं। प्राधिकरण ने इस साल 15 अक्टूबर को राज्यों को पत्र भेजा और अब हाल ही में राज्य सरकार की ओर से नगर निगमों, नगरपालिकाओं को पत्र भेजा गया है। कई उद्योगों को नोटिस जारी की गई है और उनसे जवाब मांगा गया है। नगरीय निकायों के अलावा जल संसाधन विभाग को भी इसकी जिम्मेदारी दी गई है।
पीने के पानी के दुरुपयोग में उद्योग और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के अलावा आम लोग भी गंभीर नहीं हैं। छोटी-बड़ी गाडिय़ों की धुलाई, गेट के सामने छिडक़ाव कई लोगों का नियमित काम है। कड़ाई बरती जायेगी तो जगह-जगह खुली कार-वॉश की दुकानें भी इस कानून के दायरे में आ जायेंगी। कुछ महानगरों में तो इस बर्बादी पर जुर्माने और सजा का प्रावधान पहले से ही किया जा चुका है।
अपने यहां पाइप लाइन में लीकेज के मामले अक्सर आते हैं। कई बार हफ्तों, महीनों सुधार नहीं होता। हर साल गर्मी में रायपुर सहित शहरों के अनेक मोहल्लों में पानी जबरदस्त किल्लत हो जाती है और टैंकरों से सप्लाई की जाती है। जैसे ही संकट दूर होता है लोग तकलीफ भूल जाते हैं और अपने ढर्रे पर वापस आ जाते हैं। जिन नगरीय निकायों को कानून का पालन करने की जिम्मेदारी दी गई है, उनके स्तर पर देखा गया है सार्वजनिक नलों की टोटियां टूटी पड़ी रहती हैं और टैंक के खाली होने तक पानी बहता रहता है। आदेश को दो महीने होने के आये अब तक तो कोई बड़ी कार्रवाई हुई नहीं, लगता नहीं कि नगरीय निकाय कड़ाई बरत पायेंगे। हां, लोगों में समझदारी बढ़े और अपनी आदत खुद बदलें तो ही बात बन सकती है।
सीएम की घोषणा से किसानों ने ली ठंडी सांस
मुख्यमंत्री ने कल दो घोषणायें की वे किसानों को बड़ी राहत पहुंचाने वाली हैं । जशपुर में उन्होंने धान खरीदी केन्द्रों का निरीक्षण करने के बाद घोषणा की कि इस साल के धान का भी 2500 रुपये क्विंटल की दर से भुगतान किया जायेगा। अभी केन्द्र द्वारा तय समर्थन मूल्य मिल रहा है पर बाद में शेष राशि राजीव किसान न्याय योजना के तहत दी जायेगी। उन्होंने यह भी बताया कि इसकी पहली किश्त मई 2021 में मिलेगी।
विपक्ष की ओर से इस बारे में बार-बार सवाल उठ रहे थे, किसानों के मन में भी संशय था। इसके अतिरिक्त उन्होंने कल ही कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि जहां भी गिरदावरी रिपोर्ट गलत बनी है, यानि किसान का वास्तविक रकबा कम्प्यूटर में नहीं दिख रहा है उनमें सुधार किया जाये ताकि किसान अपनी पूरा उपज बेच सकें। साफ है कि कोंडागांव में धान नहीं बेच पाने के चलते एक किसान ने आत्महत्या की थी जिसके चलते इस समस्या की ओर सरकार का ध्यान गया। भले ही पहले से ही प्रदेशभर से शिकायतें आ रही थीं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को निगरानी का काम तो सौंपा गया है ही, उम्मीद कर सकते हैं कि जमीनी स्तर पर इस आदेश का अमल ठीक तरह हो, वे यह देखेंगे।
पुलिस का बचाव और लगाव
गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू का अपने विभाग के अफसरों का बचाव करने के मामले में कोई जवाब नहीं, भले ही इसके लिये उन्हें अपने ही दल के विधायक की खिंचाई करनी पड़ जाये। मीडिया ने उनके बिलासपुर प्रवास के दौरान सवाल किया कि विधायक शैलेष पांडे ने पुलिस में भ्रष्टाचार होने का सार्वजनिक मंच से आरोप लगाया था और थानों में रेट लिस्ट टांगने का सुझाव दिया था। उस पर क्या हुआ? मंत्री जी ने कहा उन्होंने मुझसे लिखित शिकायत ही नहीं की, मौखिक भी कुछ नहीं कहा। आगे यह भी कह गये कि ऐसा (गंभीर) आरोप तो प्रदेश के भाजपा सहित प्रदेश के 90 विधायकों में से किसी ने नहीं लगाया। बाद में पांडे ने इसके जवाब में कहा कि मैं शहर का विधायक हूं। क्या मौखिक और क्या लिखित, मंच से सार्वजनिक रूप से आरोप लगा दिया है, क्या जांच के लिये यह काफी नहीं?
मंत्री से दूसरा सवाल लाठी चार्ज मामले की जांच अब तक पूरी नहीं होने पर था। कांग्रेस का आरोप था कि यह कार्रवाई डीएसपी (अब एडिशनल) के इशारे पर हुई। उन्हें बहाल भी किया गया और अच्छी पोस्टिंग भी मिल गई। क्यों इतना लगाव है उनसे? मंत्री जी ने कहा- लगाव तो प्रत्येक स्टाफ से है। जांच क्यों पूरी नहीं हुई, समीक्षा करेंगे। कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ता मंत्री के इस रुख से हैरान हैं, खासकर लाठी खाने वाले।