राजपथ - जनपथ
ड्रग्स में नाम कमाती राजधानी
मुम्बई में बॉलीवुड कलाकारों के ड्रग रैकेट से रिश्ते की तो देशभर में चर्चा हो रही है पर लगता है कि अपने प्रदेश की राजधानी के भी मशहूर होने में देर नहीं है। जो ताजा मामला सामने आया है वह चौंकाने वाला है क्योंकि अभियुक्त ऐसे परिवार से जुड़ा है जिसे नशे के खिलाफ मुहिम चलाने के नाम पर जाना जाता है। रायपुर की देश के महानगरों से सीधी हवाई सेवा है, जिसके चलते तस्करी आसान हो गई है। युवाओं का एक वर्ग है जिनके पास उल्टे-सीधे खर्च के लिये ढेर सारे पैसे हैं।
सोचनीय स्थिति यह है कि ड्रग सेवन स्टेटस सिम्बॉल बनता जा रहा है। सोशल मीडिया पर ड्रग्स की तस्वीरें डालना इस बात का उदाहरण है। गांजा जैसा सस्ता नशा ही नहीं, कोकीन जैसी महंगी नशीली वस्तुओं का कारोबार हो रहा है। रायपुर पुलिस ने अब तक जिन 18 लोगों को गिरफ्तार किया है उनमें लड़कियां भी हैं। सामाजिक और राजनैतिक पकड़ रखने वाले भी। समझ में यह बात आती है कि केवल पुलिस की कार्रवाई से इस पर लगाम नहीं लगने वाली है, पर युवाओं में जागरूकता लाने के लिये कुछ मनोवैज्ञानिक तरीके भी अपनाने पड़ेंगे।
यात्री रेल कब अपनी रफ्तार पकड़ेगी?
अब जबकि सभी तरह की परिवहन सेवायें शुरू की जा चुकी हैं, रेलवे ने अब तक यात्री ट्रेनों के नियमित संचालन का कोई निर्णय नहीं लिया है। ट्रेनें चल रही हैं और केवल कन्फर्म टिकटों पर ही यात्रा की इजाजत है। टिकटों की कालाबाजारी इस हद तक हो रही है कि रायपुर में कल चीफ रिजर्वेशन सुपरवाइजर सहित सात लोगों को गिरफ्तार करना पड़ा है। कोरोना के नाम पर दी जाने वाली सभी तरह की रियायतें रेलवे ने बंद कर दी है। इधर, प्रीमियम राशि भी अधिकांश ट्रेनों में स्पेशल के नाम पर वसूल की जा रही है।
रेलवे अपनी टिकटों में लिखा करता है कि यात्री भाड़ा उसके लिये बोझ है, नुकसान उठाना पड़ता है। बकायदा टिकटों में यह प्रिंट होता है। दूसरी तरफ हर पखवाडे एक प्रेस रिलीज रेलवे की जारी हो रही है जिसमें यह बताया जा रहा है कि माल भाड़े में उसे पिछले साल के मुकाबले ज्यादा मुनाफा हो रहा है। बीते एक दिसम्बर को ही बताया गया कि एक अप्रैल 2020 से 30 नवंबर 2020 के बीच 22 हजार 610 टन पार्सल लोडिंग की गई जो एक रिकॉर्ड है। यात्री ट्रेनों के बंद होने केवल पैसेंजर ही नहीं, कुली, खोचमा, जूते चमकाने वाले, रिक्शा चलाने वाले, सबके पेट पर चोट पहुंची है। जो ट्रेनें रेलवे चला रही है उनमें दो गज दूरी का कोई नियम लागू नहीं है। सभी सीटें बुक हो रही हैं। लोग सटकर बैठ रहे हैं। इसका साफ मतलब है कि यात्री ट्रेनों को बंद रखना कोरोना की वजह से तो नहीं है। कहीं रेलवे धीरे-धीरे यात्री ट्रेनों के संचालन से हाथ तो नहीं खींच रहा?
बीजेपी का 1000 दिन का टारगेट
छत्तीसगढ़ न राजस्थान है और न ही मध्यप्रदेश। सत्ता परिवर्तन की कोई गुंजाइश यहां दिखाई नहीं दे रही है। न तो यहां सत्ता पक्ष की तरफ से किसी विधायक का असंतोष सुलग रहा है न ही वादाखिलाफी जैसे कारण सामने आ रहे हैं। भाजपा भी मानकर चल रही है कि हार-जीत का फासला बीते चुनाव में इतना बड़ा रहा कि कांग्रेस की सरकार पांच साल चलेगी। सन् 2023 में जब आम चुनाव होंगे, तभी सत्ता परिवर्तन की उम्मीद है।
इसके लिये अभी से भाजपा ने मेहनत शुरू कर दी है। हाल के उप-चुनावों में भी भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रह सका। इधर भूपेश बघेल सरकार के दो साल पूरे होने जा रहे हैं। एक विपक्षी दल होने के नाते अब सरकार के खिलाफ मुद्दों को उठाना भाजपा के लिये जरूरी है। मगर नतीजा आ गया विपरीत। प्रदेश भाजपा की नव नियुक्त प्रभारी डी. पुरन्देश्वरी ने भी कहा है कि तीन साल बाद सरकार बनने से कम कुछ नहीं चाहिये। प्रभारी ने कह दिया है कि प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करें और यह कई जिलों में शुरू हो भी गया है। उनका दो दिन का रायपुर, बिलासपुर प्रवास कितना कामयाब रहा, यह आगे मालूम होगा।