राजपथ - जनपथ
सफाई के ठेके में मलाई...
नगरीय निकायों में सफाई का ठेका लेना कमाई का बढिय़ा जरिया है। ठेके के लिये बड़ी मारामारी होती है, सिफारिशें चलती हैं। सत्ता पक्ष के करीबियों को काम सौंपा जाता है। प्रदेश के कई निकायों में पार्षदों ने दूसरे नामों से ठेके ले रखे हैं। ठेके लेने के लिये ऐसी होड़ रहती है कि हाल ही में एक ठेकेदार ने टेंडर में भाग लेने से रोकने पर हाईकोर्ट में केस कर दिया। ठेके में अनुबंध होता है कि वे कितने कर्मचारी लगायेंगे और कितनी बार सफाई होगी। पर एक बार ठेका मिल जाने के बाद शर्तों का पालन हो रहा है या नहीं यह कोई नहीं देखता। अक्सर बीच-बीच में जब अधिकारी वार्डों का दौरा करते हैं तो गंदगी देखकर ठेकेदारों पर जुर्माना लगा देते हैं। ठेकेदार की सेहत पर इसका कोई असर नहीं पड़ता क्योंकि कम संसाधनों से काम करते हुए वह काफी बचा चुका होता है।
इन दिनों राजधानी रायपुर में सेजबहार हाउसिंग बोर्ड के लोग गुस्से में हैं। टैक्स वसूलने के लिये न सिर्फ नोटिस भेजी गई है बल्कि कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। पानी का कनेक्शन काटने की चेतावनी भी दी गई है। पहले पंचायत के जिम्मे में सफाई थी तो व्यवस्था ठीक थी पर अब टैक्स भी भारी और सफाई की व्यवस्था भी खराब।
बाबा लायेंगे क्रांति?
वेब सीरिज ‘आश्रम’ में मुख्य किरदार निगेटिव करैक्टर का एक बाबा है। इस सीरिज में थीम सांग है-बाबा लायेंगे क्रांति...। इन दिनों सरगुजा में सोशल मीडिया पर मीम वायरल हो रहा है जिसमें पाश्र्व में यही गीत बज रहा है। बताया जाता है कि ये टीएस बाबा के ही किसी फालोअर ने बनाया है और उनके समर्थक इसे शेयर कर रहे हैं। सन् 2018 में सरगुजा से कांग्रेस को बम्पर वोट मिले तो इसकी एक वजह यह भी थी कि बहुत से लोग बाबा को भावी मुख्यमंत्री के रूप में देख रहे थे। चुनाव के समय उन्होंने अपनी इस इच्छा को साफ-साफ जाहिर भी किया था। दूसरी तरफ, हाल ही में प्रदेश में ढाई साल वाले फॉर्मूले पर मुख्यमंत्री से सवाल भी पूछ लिया गया था और जिस पर उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। बहुत से लोग समझ रहे हैं कि उनका इशारा किस ओर था। इन दिनों सीएम सरगुजा संभाग के 5 दिनों के लम्बे प्रवास पर हैं। उनकी सभाओं के पहले दो दिन टीएस बाबा नहीं थे। वे चार्टर प्लेन से दिल्ली चले गये थे, पर रविवार को लौटकर शामिल हुए। सीएम के इस दौरे में लोगों ने देखा कि इन सभाओं में कभी बाबा के अलावा किसी को महत्व देने की जरूरत नहीं समझने वाले भी सीएम के आगे-पीछे हो रहे हैं। जो सीएम तक नहीं पहुंच पाये वे उनके मंत्रियों तक पहुंचने की कोशिश में लगे हैं। शायद इनका धैर्य जवाब दे चुका है और बदलाव की उम्मीद छोड़ चुके हैं। एक समर्थक का कहना है कि मंत्रीजी के करीब कुछ लोग हैं जिनकी वजह से वह छिटक रहे हैं। ऐसे में क्रांति आयेगी?
एबीवीपी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी
कवर्धा में एबीवीपी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का मुद्दा गरमाया हुआ है। उन्होंने प्रतिबंधित कलेक्टोरेट क्षेत्र में प्रदर्शन किया था। वे एक आदिवासी नाबालिग से गैंगरेप के मामले में पुलिस से कार्रवाई की मांग करने के लिये पहुंचे थे। उन पर गंभीर धारायें लगाई गई हैं जिन्हें छोडऩे की मांग को लेकर भाजपा ने भी प्रदर्शन किया। कवर्धा के अलावा राजनांदगांव में भी विरोध दर्ज कराया गया है। प्रशासन की कार्रवाई पहली नजर में कुछ सख्त लगती है। आम तौर धरना प्रदर्शनों में गिरफ्तारियां होती है और कुछ घंटे बाद छोड़ भी दिये जाते हैं। बेरिकेड्स तोडऩे और प्रतिबंधित परिसर तक पहुंचने की घटनायें भी होती रही हैं। फिर क्या जवानों के साथ धक्का मुक्की और कांग्रेस भवन में चूडिय़ां फेंकना एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर भारी पड़ा?