राजपथ - जनपथ
लंदन से लौटे पर ऐसी दहशत
ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नये स्वरूप वीयूआई के व्यापक फैलाव को देखते हुए देशभर में गाइडलाइन जारी की गई है। छत्तीसगढ़ में भी निर्देश दिया गया है कि विदेश से लौटे प्रत्येक व्यक्ति का कोरोना टेस्ट और संक्रमित पाये जाने पर इलाज कराना है। बिलासपुर में ब्रिटेन से लौटे एक व्यक्ति का दो बार कोरोना टेस्ट कराया गया, दोनों बार रिपोर्ट निगेटिव आई। इसके बावजूद उसे स्वास्थ्य विभाग ने होम आइसोलेशन पर रख दिया है।
इस व्यक्ति को शिकायत यह है कि वह खुद ही अस्पताल में भर्ती अपनी बीमार मां को देखने के लिये हजारों किलोमीटर का सफर तय करके पहुंचा है। अब उसे कोरोना नहीं होने पर भी बीमार बताकर एक कमरे में बंद रहने के लिये क्यों मजबूर किया जा रहा है। डॉक्टरों ने समझाया कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। पहले भी दूसरे राज्यों, देशों से लौटने वालों को 14 दिन क्वारांटीन पर रहना पड़ता था। रिपोर्ट निगेटिव है या पॉजिटिव इससे असर नहीं पड़ता है। बहरहाल, विदेश से आये बेटे की मजबूरी को समझते हुए अब डॉक्टरों ने उन्हें बहुत जरूरी होने पर घर से निकलने की इजाजत दे दी है, पर पीपीई किट पहनना जरूरी होगा।
अपने ही विधायक डाल रहे मुसीबत में..
विधानसभा के मौजूदा सत्र में विधायक दलेश्वर साहू ने यह बताकर सनसनी फैला दी कि कई राइस मिलें हैं जिन्हें कस्टम मिलिंग के लिये लाइसेंस देकर धान दिया गया लेकिन उनके मिल में बिजली कनेक्शन ही नहीं है। जब कनेक्शन ही नहीं तो मिलिंग हो ही नहीं सकती, लेकिन इन मिलों ने न केवल मिलिंग की बल्कि उसके बाद चावल जमा भी कर दिया।
इधर, विधायक शैलेष पांडेय ने विधानसभा में बिलासपुर की 300 करोड़ की सीवरेज परियोजना की विफलता को लेकर सवाल दागे। कांग्रेस ने चुनाव के समय इसे बड़ा मुद्दा बनाया था, लेकिन दो साल बीत जाने के बाद न तो सीवरेज परियोजना पूर्णता की ओर बढ़ी न ही दोषी अधिकारी, ठेकेदार और विधायक की मांग के अनुसार तत्कालीन जन-प्रतिनिधियों पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
रायगढ़ के विधायक प्रकाश नायक ने भी एक स्टील प्लांट द्वारा सडक़ खराब करने और प्रदूषण फैलाने का मुद्दा उठाया और इसमें प्रशासन की मिलीभगत का आरोप लगाया। मंत्री विपक्षी दलों के सवालों से परेशान हों तो बात समझ में आती है लेकिन ऐसा लगता है कांग्रेस के विधायकों ने भी ऐसा करने की ठान ली है।
सीजी बोर्ड में शून्य पढ़ाई, सौ फीसदी परीक्षार्थी
बीते सत्र में कोरोना संक्रमण के कारण छत्तीसगढ़ में माध्यमिक शिक्षा मंडल के पैटर्न वाली स्कूलों में जनरल प्रमोशन दिया गया था। इसके चलते इस बार परीक्षार्थियों की संख्या डेढ़ से दो लाख बढऩे वाली है। पिछली बार 6.60 लाख के करीब छात्र-छात्राओं ने 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षा दी थी, इस बार सभी को पास कर दिये जाने के कारण संख्या बढक़र 8 लाख पहुंच रही है।
इस समय ऑनलाइन आवेदन भरने की प्रक्रिया चल रही है जो माह के आखिर तक चलती रहेगी। अंतिम तारीख के बाद ही वास्तविक संख्या कितनी है यह मालूम होगा। परीक्षा फॉर्म भरने की प्रक्रिया तो डेढ़-दो माह आगे खिसकी है पर बोर्ड परीक्षाओं की तारीख भी आगे बढ़ेगी या नहीं अभी तय नहीं है।
अमूमन मार्च में ये परीक्षायें शुरू हो जाती है। कोरोना महामारी का असर कम होता है तो तय वक्त पर परीक्षायें जरूर हो सकती हैं लेकिन 9वीं, 11वीं के सौ फीसदी विद्यार्थियों की परीक्षायें एक साथ लेने की बड़ी जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा मंडल और प्रशासन पर आने वाली है। स्कूल नहीं खुलने के कारण पढ़ाई ठप हुई, प्रायोगिक परीक्षायें भी नहीं हुई हैं। ऐसे में बोर्ड परीक्षाओं में विद्यार्थियों का परफार्मेंस कैसा रहेगा, यह बड़ा सवाल है।
10वीं बोर्ड में पिछली बार 73 प्रतिशत से कुछ अधिक और 12वीं बोर्ड में 70 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी पास हुए थे। यह परिणाम तब था जब बीते सत्र के लगभग दो तिहाई पढ़ाई हुई थी। इस बार स्कूल बिल्कुल नहीं खुले । उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में यदि उदारता बरतते हुए ज्यादा संख्या में विद्यार्थियों को सफलता दिला दी जाती है तो आगे की प्रतियोगी परीक्षाओं में उन्हें दिक्कत हो सकती है।
महिलाओं के खिलाफ अपराध में नेता-नेत्री
राजनांदगांव में दो बहनों से छेड़छाड़ और मारपीट के आरोप में एक पार्षद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। दो दिन पहले ही तुमगांव (महासमुंद) में एक सेक्स रैकेट को पुलिस ने पकड़ा तो एक आरोपी ने खुद को सांसद का प्रतिनिधि बताया। सचमुच उसके पास से नियुक्ति पत्र भी मिल गया। नवंबर के आखिरी हफ्ते में रायपुर, डोंगरगढ़ और कई कस्बों में फैले मानव तस्करी के मामले में पुलिस ने अन्य लोगों के साथ एक महिला नेत्री को गिरफ्तार किया।
तीनों मामलों की प्रकृति अलग-अलग है पर सभी में महिलाओं के खिलाफ अपराध हैं। यह भले ही संयोग है कि सभी मामले एक ही दल, भाजपा से जुड़े नेताओं, पदाधिकारियों के हैं। इसका मतलब यह नहीं निकाला जाना चाहिये कि बाकी राजनैतिक दलों की स्थिति साफ-सुथरी है। दरअसल, कई बार इसीलिये पद हथियाये, खरीदे जाते हैं ताकि वे इसका कवच के तौर पर इस्तेमाल कर सकें। कई बार पद मिलने के बाद उसका दुरुपयोग शुरू होता है, जैसा राजनांदगांव में हुआ। भीड़ जुटाने, स्वागत सत्कार कराने के मोह में जानकारी होते हुए भी अवैध, अनैतिक गतिविधियों पर नेता खामोश रहते हैं और जैसे ही बदनामी की आहट होती है, उसे बाहर का रास्ता दिखाया करते हैं।