राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : पासवान की कमी खल रही है...
31-Dec-2020 4:44 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : पासवान की कमी खल रही है...

पासवान की कमी खल रही है...

रामविलास पासवान के नहीं रहने से छत्तीसगढ़ को नुकसान उठाना पड़ रहा है। पासवान मोदी सरकार में खाद्य महकमा संभालते थे। वे विशेषकर छत्तीसगढ़ धान खरीदी से जुड़ी समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए तत्पर रहते थे। मगर उनके गुजरने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार को धान खरीद में गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी विपरीत स्थिति छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद से नहीं बनी।

दरअसल, केन्द्र ने सितंबर माह में ही 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने के लिए राज्य को सहमति की चि_ी जारी कर दी थी। मगर एफसीआई को लेने के आदेश जारी नहीं किए। अब हाल यह है कि चावल जमा नहीं होने से मिलिंग नहीं हो रही है, और खरीदी केन्द्रों में धान जाम है। 20 फीसदी केन्द्रों में धान खरीद बंद हो चुकी है। अगले एक हफ्ते में तो पूरे प्रदेश में धान खरीद व्यवस्था चरमराने के आसार दिख रहे हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार पिछले दो-तीन महीनों से धान खरीदी व्यवस्था बेहतर हो, इसके लिए भरपूर कोशिश कर रही है। सरकार ने पासवान की जगह खाद्य महकमा संभालने वाले पीयूष गोयल को चावल लेने के लिए एफसीआई को निर्देश देने का आग्रह किया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। हल्ला यह है कि पीयूष गोयल की तरफ से जानबूझकर दिक्कतें पैदा की जा रही है। गोयल, राज्य भाजपा के बड़े नेताओं के संपर्क में भी रहते हैं।

चर्चा तो यह भी है कि राष्ट्रीय स्तर पर भूपेश सरकार की किसान हितैषी छवि बनने से भाजपा के लोग परेशान हैं, क्योंकि अकेले छत्तीसगढ़ में सरकार 25 सौ रूपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदती है। ऐसे में गोयल के मार्फत धान खरीद में अव्यवस्था फैलाने की कोशिश हो रही है। मगर यह सच न भी हो, लेकिन सहमति के बाद भी औपचारिक रूप से एफसीआई को चि_ी जारी करने में चार माह की देरी होने से कुछ शंका जरूर पैदा होती है। ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार के लोग पासवान को याद कर रहे हैं, जो कि कांग्रेस के नहीं थे, लेकिन बिना भेदभाव के राज्यों को सहयोग करने के लिए तैयार रहते थे।

अफसर इधर-उधर

साल खत्म होने के पहले दर्जनभर से अधिक आईएएस अफसरों को इधर से उधर किया गया। इसमें कुछ को बेहतर पोस्टिंग मिली है। मसलन, मरवाही जीत के बाद जीपीएम कलेक्टर डोमन सिंह और जिला पंचायत सीईओ अजीत वसंत को बेहतर पोस्टिंग मिलना अपेक्षित था। डोमन सिंह को महासमुंद कलेक्टर बनाया गया है। डोमन सिंह ने अमित जोगी-ऋचा जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर कड़ा और बड़ा फैसला दिया था। इसी तरह वहां के जिला पंचायत सीईओ अजीत वसंत को राजनांदगांव जैसे बड़े जिले में पदस्थ किया गया।

नांदगांव जिला पंचायत सीईओ तनुजा सलाम के खिलाफ कई शिकायतें थीं। जिले के प्रभारी मंत्री भी उनके कामकाज से नाखुश थे। उनका हटना तय माना जा रहा था। इससे परे महासमुंद कलेक्टर कार्तिकेय गोयल को हटाकर एमडी मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन बनाया गया है। गोयल की छह माह पहले ही महासमुंद पोस्टिंग हुई थी। उनका कामकाज भी ठीकठाक ही रहा है। इतनी जल्दी उन्हें बदलने का कोई कारण समझ नहीं आया। अलबत्ता, लंबे समय से प्रतीक्षारत धर्मेश कुमार साहू को आखिरकार कलेक्टरी का मौका मिल गया। उन्हें नारायणपुर कलेक्टर बनाया गया। फेरबदल में दुर्ग कमिश्नर के पद पर भी पोस्टिंग की उम्मीद जताई जा रही थी। दुर्ग कमिश्नर टीएस महावर आज रिटायर हो रहे हैं। चर्चा यह भी है कि आज-कल में एक छोटी सूची और निकल सकती है।

रिश्वतखोरी पर थोक में एक्शन

यह दूसरा मौका है जब एसीबी ने एक साथ तीन चार जगह छापेमारी कर रिश्वत रिश्वत लेने के मामलों में गिरफ्तारी की है। इसके पहले जुलाई माह में एक ही दिन एक साथ चार कर्मचारी, अधिकारी पकड़े गये थे। इनमें एक बेमेतरा की महिला पटवारी थी, जिसे एक जमीन के कागजात के नाम पर 7 हजार रुपये लेते पकड़ा गया था। बिलासपुर जिले के भरौदा में विकास कार्यों के लिये मिली राशि को जारी करने के लिये 35 हजार रुपये की रिश्वत लेते जिला पंचायत के समन्वयक को पकड़ा गया था। साथ ही इसी दिन सूरजपुर के बीईओ को 30 हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया था। अब बुधवार को भी कार्रवाई हुई है। रामचंद्रपुर के जनपद सीईओ को 60 हजार रुपये की रिश्वत लेते, सिगमा में आरईएस के एक सब इंजीनियर को 12 हजार रुपये लेते हुए तथा नारायणपुर जिले में शिक्षा विभाग के एक बाबू को 10 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया।

एक साथ रेड मारने का फायदा यह होता है कि रिश्वत लेने वालों को सतर्क होने का मौका नहीं मिलता। एसीबी को वाहवाही भी खूब मिल जाती है।

कुछ माह पहले सीएम ने समीक्षा बैठक की थी तब भी यह बात सामने आई थी कि दर्जनों अफसरों के खिलाफ विभागीय मंजूरी नहीं मिलने के कारण आर्थिक अपराध के चालान पेश नहीं हो पाये हैं। सजा तो और भी कम लोगों को मिल पाती है। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पकड़े गये हैं, पर चालान रुका हुआ है। कुछ प्रकरणों में ये पकड़े गये तो खूब सनसनीखेज घटना के तौर पर सामने आई, पर अधिकारी कुछ साल बाद बरी होकर वापस अपनी ड्यूटी पर वरिष्ठता के साथ वापस पहुंच गये। छापे और रिश्वतखोरों को धरे जाने की खबर तो खूब मिल जाती है पर कितनों का चालान पेश हुआ और ब्यूरो कितने लोगों को सजा दिलाई, ये जानकारी भी तो एसीबी को देते रहना चाहिये। 

बस संचालकों से हमदर्दी...

रेलवे ने ट्रेन किराये में वृद्धि स्पेशल के नाम पर की है तो बसों में अघोषित रूप से किराया ज्यादा वसूल किया जा रहा है। खासकर लम्बी दूरी के यात्रियों से। बस्तर, रायपुर, बिलासपुर, सरगुजा और जशपुर जिलों से चलने वाली अंतर्राज्यीय बसों का किराया अघोषित रूप से 25 से 50 प्रतिशत अधिक वसूल किया जा रहा है। बसों और बस स्टैंड में किराया सूची लगाने का फरमान है पर ज्यादातर जगहों पर इसका पालन नहीं हो रहा है। लगातार शिकायतों के बाद खानापूर्ति के लिये एक दो कार्रवाई कर दी जाती है। शायद कोरोना काल में बसों का संचालन बंद होने का असर सिर्फ बस ओनर्स पर ही नहीं, परिवहन विभाग पर भी पड़ा है। बस संचालक लगातार नुकसान होने की फरियाद करते रहे हैं, इसलिये उन्हें अभी ढील दी गई है। पर यात्री भी तो उसी कोरोना के कारण मंदी के शिकार हुए हैं। हमदर्दी उनके लिये क्यों नहीं?

खरीदी केन्द्र में एसडीएम का आपा खोना

धान खरीदी में आ रही दिक्कतों के चलते हर कोई परेशान है। किसान तो इसे भुगत ही रहा है, खरीदी केन्द्रों के कर्मचारी, फूड, मार्कफेड के अधिकारी और इन सब पर निगरानी करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों पर भी अलग तरह का दबाव बना हुआ है। छोटा कर्मचारी हो या बड़ा अधिकारी, धान खरीदी की प्रक्रिया में लगे हर किसी की भूमिका बड़ी है। पर लोरमी के एसडीएम ने यह बात नहीं समझी और अव्यवस्था देखकर आपा खो दिया।

आरोप है कि न केवल उन्होंने खुडिय़ा में धान खरीदी केन्द्र के प्रभारी के साथ मारपीट की बल्कि अपने गार्ड से भी उसे पिटवाया। मारपीट से व्यवस्था तो सुधरनी थी नहीं, तो ऐसा ही हुआ। पूरे मुंगेली जिले में कर्मचारी हड़ताल पर चले गये। वे एसडीएम को हटाने की मांग कर रहे हैं। कुछ कर्मचारी संगठन भी उनके समर्थन में आ गये हैं। इधर पूरे जिले में धान की खरीदी बंद कर दी गई है। दो दिन खरीदी बंद रहने से हड़बड़ाये जिला प्रशासन ने तहसीलदार और उनके मातहतों को खरीदी शुरू करने कहा है, पर उनसे व्यवस्था नहीं संभल रही है।

किसान वैसे भी टोकन, बोरी, अपनी बारी आने के इंतजार में पस्त हो गये हैं पर एक अधिकारी की नासमझी से व्यवस्था और बिगाड़ दी है। अब कलेक्टर पर है, वे क्या रास्ता निकालते हैं। उन्होंने जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है। पर, जांच नायब तहसीलदार से कराई जा रही है, जो उनके अधीन काम करते हैं। क्या एसडीएम की कोई गलती नजर आयेगी?

2020 की एबीसीडी

हिन्दुस्तान के जो प्रमुख उद्योगपति ट्विटर पर लगातार सक्रिय रहते हैं उनमें हर्ष गोयनका भी शामिल हैं। उन्होंने आज दोपहर 2020 के सबसे चर्चित और प्रचलित शब्दों से एबीसीडी बनाकर पोस्ट की है। 

Harsh Goenka
A rnab Goswami
B lack lives matter
C ovid
D istancing
E lections
F armer protest
G reen
H erd immunity
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J oe Biden
K angana
L ockdown
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