राजपथ - जनपथ
सीएम के सामने राहत की सांस
वैसे तो प्रशासनिक हल्कों में सीएम भूपेश बघेल की छवि कडक़ मिजाज नेता की है, लेकिन बिलासपुर में उनका मिजाज एकदम अलग रहा। जिला प्रशासन के अफसरों की सीएम से मुलाकात तो रविवार रात को ही होनी थी लेकिन सामाजिक संगठनों और कांग्रेसी नेताओं की भीड़ के चलते नहीं हो पाया। आज सुबह चर्चा के लिए बुलाया गया, तो अधिकारी कर्मचारी दहशत में थे कि पता नहीं किस बात पर उन्हें फटकार मिले। कुछ के तो भरी ठंड में पसीने छूट रहे थे। मगर सीएम ने हाल में घुसते ही सब से कहा कि आप अपनी अपनी डायरी बाहर छोड़ कर आ जाइए। मतलब कि हम कोई निर्देश नहीं देने वाले हैं।
अफसरों को लगा कि विकास कार्यों में देरी पर उनसे सवाल किया जाएगा। लेकिन मुख्यमंत्री तो उनसे घर परिवार और बाल बच्चों का हाल चाल पूछने लग गए। एक नए नवेले प्रशिक्षु आईएएस सहायक कलेक्टर से उन्होंने पूछा शादी कब करोगे। उस अधिकारी ने कहा करूंगा, समय तो हो गया है। सीएम ने कहा छत्तीसगढ़ में चांस लो।
एक डिप्टी कलेक्टर की जो बिलासपुर जिले के एक अनुभाग में एसडीम के तौर काम कर रहे हैं उसने अपनी बारी आते ही खड़े होकर सबसे पहले बता दिया कि सर मेरी शादी हो गई है मैं शादीशुदा हूं। मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और नगरी प्रशासन मंत्री ने ठहाके लगाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि तुमने तो मुझे शादी के बारे में पूछने का मौका ही नहीं दिया। अब अपने बाल बच्चों के बारे में बताओ। एक महिला अधिकारी खामोश किनारे बैठी हुई थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तुम अपने बारे में क्यों नहीं बता रही हो। उस महिला अधिकारी ने कहा कि मेरा नाम ही सूची में नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा तो क्या हुआ अपने बारे में बताओ। महिला अधिकारी ने बताया कि उसका मायका दुर्ग में है। उनके पिताजी एक नामी वकील थे। उस वकील को जानने के बारे में गृहमंत्री से बघेल ने चर्चा की। बिना डायरी कागज पेन के हुई इस बैठक में अधिकारी शामिल हुए और प्रफुल्लित मन से बाहर निकले। अब तक ऐसा होता रहा है कि उन्हें आदेश मिलता था और डायरी में दर्ज करना पड़ता था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ अधिकारियों को मुख्यमंत्री का यह बर्ताव बहुत भाया।
पार्ट-2
सीएम से चर्चा के दौरान एक महिला लेबर अफसर ने बताया कि उनके पिता रतनपुर मंदिर में पुजारी हैं, लेकिन कोरोना की वजह से पिछले 8-9 महीने से काम बंद हो गया था। इस वजह से उन्हें (पिताजी) को काफी दिक्कत हुई। सीएम ने हंसते हुए कलेक्टर-एसपी की तरफ देखते हुए कहा कि ये सब इन्हीं लोगों की वजह से हुआ है। कोरोना ज्यादा कुछ नहीं था। फिर सीएम ने पूछा, अब ठीक हो गया है न। महिला अफसर ने कहा-हां सर। इसी बीच जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा किस सर मुझे आपसे दो मिनट का वक्त चाहिए अपनी बात रखने के लिए। मुख्यमंत्री ने कहा 2 मिनट तो दे दूंगा अपने क्लास के बच्चों की तरह 40 मिनट तो नहीं लेने वाले हो ना?
दुखड़ा सुनाने पर...
भाजपा के असंतुष्ट नेता मौका मिलते ही प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी को अपना दुखड़ा सुनाने से नहीं चूक रहे हैं। इसी कड़ी में पार्टी में हाशिए पर चल रहे सच्चिदानंद उपासने भी पुरंदेश्वरी से मिलने पहुंचे, और उन्हें अपना परिचय दिया। उपासने ने कहा कि वे जिला अध्यक्ष, प्रवक्ता और प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर रहे हैं, लेकिन फिलहाल लूप लाइन में हैं। इस पर पुरंदेश्वरी ने कहा कि भाजपा में कोई लूप लाइन में नहीं रहता। हर कोई फ्रंट लाइन में रहता है।
दर्द जाता रहा
आईएफएस के 85 बैच के अफसर पीसी मिश्रा को निमोरा स्थित ग्रामीण विकास प्रशिक्षण संस्थान के पद पर संविदा नियुक्ति दी गई है। मिश्रा लंबे समय तक पंचायत में काम कर चुके हैं, और उन्हें काफी अनुभव भी है। पीसी मिश्रा के बैच के अफसर राकेश चतुर्वेदी हेड ऑफ फारेस्ट फोर्स हैं। कौशलेन्द्र सिंह भी पीसीसीएफ के पद से रिटायर हुए, लेकिन मिश्रा पीसीसीएफ नहीं बन पाए। विभाग ने उदारता नहीं दिखाई, और वे बिना पीसीसीएफ बने रिटायर हो गए।
रिटायरमेंट की फेयरवेल पार्टी में पदोन्नति नहीं मिलने पर उनका दर्द छलक गया। अब जब निमोरा में ग्रामीण विकास संस्थान के पद के लिए अनुभवी और काबिल अफसर की तलाश की जा रही थी, तो सरकार की निगाह पीसी मिश्रा पर गई। मिश्रा ने फौरन ऑफर स्वीकार कर लिया। कई रिटायर्ड आईएएस-आईएफएस अफसर रिटायरमेंट के बाद सरकार में पद चाह रहे हैं, लेकिन उनकी हसरत पूरी नहीं हो पा रही है। ऐसे में मिश्रा को मनचाही मुराद मिल गई। उनका दर्द भी जाता रहा।