राजपथ - जनपथ
बर्ड फ्लू और प्रवासी पक्षी
कोरोना के चलते घबराहट ऐसी है कि लोगों में बर्ड फ्लू (एवियन एंफ्लुएंजा) को लेकर दहशत फैलने लगी है। मगर यह उसके मुकाबले कहीं है नहीं। अपने देश में बीते 15 सालों से इसका प्रकोप देखा जा रहा है। अब तक किसी की मौत नहीं हुई । हां, जब यह फ्लू मनुष्यों में फैला तो गले में खराश, सांस लेने में तकलीफ और बुखार जैसी दिक्कतें जरूर आ चुकी हैं। वैज्ञानिक बताते हैं कि चिकन को 100 डिग्री तापमान और अंडे को 70 डिग्री पर पकाने के बाद सेवन करने पर कोई खतरा नहीं है। यह अलग बात है कि ऐहतियातन मांसाहार के बहुत से शौकीनों ने चिकन खाना बंद कर दिया है। मध्यप्रदेश सहित कुछ दूसरे राज्यों के कई शहरों में तो बिक्री पर ही रोक लगा दी गई है। बर्ड फ्लू के 16 स्ट्रैन होते हैं, जिनमें से सिर्फ एच5 एन1 ही मनुष्यों पर हमला कर सकता है। बाकी 15 स्ट्रैन का असर केवल पक्षियों पर होता है।
लेकिन चिंता की बात एक दूसरी है। केन्द्रीय पशुपालन सचिव अतुल चतुर्वेदी का बयान है कि यह मौसम देश में प्रवासी पक्षियों के आने का है। इनके कारण सन् 2006 के बाद से ही बर्ड फ्लू का खतरा बनता आ रहा है। ठंड के जाने के बाद इसका प्रकोप भी खत्म हो जाता है। छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। नया रायपुर के सेंध जलाशय में बर्ड वाचिंग का कार्यक्रम भी रखा जाता है। महासमुंद, दुर्ग, बेमेतरा, मुंगेली और बिलासपुर में अनेक तालाब और जलाशय हैं जहां साइबेरिया, चीन, तिब्बत और मध्य एशिया से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं। अभी अम्बिकापुर, रतनपुर, बिलासपुर, बालोद और पंडरी (रायपुर) में कबूतर, कौवों और पोल्ट्री फार्म की मुर्गियों की मौतों की घटनायें मिली हैं। बाकी किसी घटना में बर्ड फ्लू की पुष्टि अभी नहीं हुई है। सुकून की बात यही है कि झारखंड, मध्यप्रदेश जैसे पड़ोसी राज्य में बर्ड फ्लू के कई मामले सामने आने के बावजूद छत्तीसगढ़ अब तक इससे बचा हुआ है। अभी तक प्रवासी पक्षी भी सुरक्षित कलरव कर रहे हैं। राज्य में बनाई गई रैपिड रिस्पांस टीमें ठीक काम करें तो मेहमान पक्षी भी हिफाजत से रह सकेंगे।
स्वास्थ्य कर्मी भी टीका न लगवायें तो?
जब से कोरोना वैक्सीनेशन का देशव्यापी अभियान शुरू किया गया है, सोशल मीडिया के जरिये कई लोगों ने कहा कि पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी टीका लगवायें और बाकी मंत्री भी लगवायें। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अब कह दिया है कि पहले केन्द्रीय मंत्रियों को टीका लगवाना चाहिये ताकि लोगों को टीके पर भरोसा हो सके। हालांकि प्रधानमंत्री और केन्द्रीय मंत्रियों की ओर से कोई बयान नहीं आ रहे हैं। हां, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का टीके के लिये न कहना और हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के पहले डोज के बाद भी कोरोना संक्रमित हो जाने की खबर सामने आ चुकी है। अब छत्तीसगढ़ में जिन स्वास्थ्य कर्मियों या फ्रंट लाइन वर्करों का टीका लगवाने के लिये पंजीयन किया गया है उनमें से भी कई लोगों ने इसके प्रति अनिच्छा जाहिर की है। राज्य में बाद में 50 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों को टीका लगाया जाना है। पर पहले चरण के लिये 2.67 लाख स्वास्थ्य कर्मियों, मितानिनों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को टीका लगाने के लिये चुना गया है। आज वैक्सीन पहुंच रही है, 16 को 1300 से ज्यादा बूथों में टीका लगने का अभियान चलेगा। डॉक्टरों का कहना है कि हर एक वैक्सीन का रियेक्शन तो होता है पर यह भविष्य में बीमारी को रोकने में मदद करता है। देखना होगा राज्य में यह लक्ष्य हासिल हो पायेगा यह नहीं। राहत यही है कि जो स्वास्थ्य कर्मी टीका लगवाने से मना करेंगे उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने जा रही है।