राजपथ - जनपथ
सरगुजा को तंत्र-मंत्र से पहचान दिलाते नेता
वैज्ञानिक सोच को बढ़ाना संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की जिम्मेदारी है। पर सरगुजा में कुछ अनोखा ही काम हो रहा है। सार्वजनिक मंचों पर अवैज्ञानिक तर्कों को बढ़ावा देने वाली बातें कही जा रही है। रामानुजगंज के विधायक बृहस्पति सिंह ने तो अपने विरोधी दल के नेता राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम पर तो गंभीर आरोप लगा दिये हैं। उन्होंने अपने इलाके की एक सभा में आरोप लगाया कि नेताम ने उनकी सडक़ दुर्घटना में असमय मौत के लिये यज्ञ कराया है। यज्ञ में धूप, घी, जौ का हवन होता है पर नेताम ने मिर्च का हवन दिया और बकरों की बलि दी। सिंह ने अपने भाषण में आगे कहा कि इस बलि और हवन से उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा क्योंकि क्षेत्र की जनता चाहती है कि वे उनके बीच सेवा करते रहें। हाल ही में बृहस्पति सिंह तब चर्चा में आये थे, जब उन्होंने कलेक्टर, एसडीएम को गायब बताते हुए उनकी सूचना देने वाले को 1100 रुपये इनाम देने की घोषणा कर दी थी। बहरहाल, नेताम तक जब यह बात पहुंची तो उन्होंने खंडन किया। कहा-हजारों लोगों ने पूर्णाहुति दी है, तंत्र किया कोई गोपनीय आयोजन नहीं था। भगवान विधायक को सद्बुद्धि दे।
कम्बल वाले बाबा एक समय भाजपा नेताओं के चहेते बने हुए थे। इन बाबा का एक ऑडियो भी वायरल हुआ जिसमें वे चिंतामणि महराज पर भाजपा में शामिल होने के लिये दबाव डालते हुए पाये गये थे। और, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का एक वीडियो तो पिछले दिसम्बर माह में ही वायरल हुआ जिसमें सूरजपुर इलाके के एक कार्यक्रम में ‘मन्नत’ पूरी होने पर 101 बकरों की बलि देने की बात करते हुए दिखे। सोचना होगा कि यहां के नेता सरगुजा को आगे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं या पीछे।
पुलिस की मुस्तैदी को सलाम
जय स्तंभ चौक पर शनिवार को यह गाड़ी खड़ी हुई मिली। गाड़ी पुलिस की है पर शायद यातायात नियमों को यहां तोड़ा गया। इसलिये चक्के पर ट्रैफिक वालों ने ताला जड़ दिया गया। वैसे भी इस समय यातायात मास चल रहा है। रूल यानि रूल, कोई अपना-पराया थोड़े ही देखता है। पता नहीं चालान किसकी जेब से कटा।
(पत्रकार-अवधेश मिश्रा ट्विटर पेज से)
जीपीएम जिले का छोटा सा गांव बना खास
गौरेला, पेन्ड्रा और मरवाही को जिला बनाने के लिये नागरिकों ने कई वर्षों तक एक साथ और अलग-अलग भी आंदोलन किया लेकिन निजी पहचान को लेकर प्रत्येक इलाके, खासकर गौरेला और पेन्ड्रा के लोगों के बीच बड़ी सजगता है। इसके चलते उनके बीच विवाद भी होते रहे हैं। मरवाही इन स्थानों से दूर है लेकिन उसकी एक पहचान विधानसभा मुख्यालय की है। जिला मुख्यालय के बारे में तो उसे सोचा नहीं गया। पहचान का मुद्दा इतना बड़ा था कि जिले का एक शब्द वाला नाम भी कोई नहीं सुझा सका। लम्बा नाम लेने के बजाय अब इसे लोग जीपीएम कहने लगे हैं। यहां तक कि सरकारी दस्तावेजों, पत्राचारों में इसी नाम का इस्तेमाल होने लगा है।
जिला बनने के बाद तात्कालिक व्यवस्था के तहत गौरेला के गुरुकुल में कलेक्टोरेट शुरू कर दिया गया, लेकिन अब इसके परे एक पूरी तरह सुविधाजनक कम्पोजिट बिल्डिंग बनाने की तैयारी की जा रही है। अधिकारियों के पास गौरेला के बगल में एक खाली जगह थी लेकिन उसके लिये बड़ी संख्या में पेड़ों को काटने की जरूरत थी।
अब जो जगह बताई जा रही है वह रेलवे स्टेशन से करीब 20 किलोमीटर दूर कोदवाही ग्राम को सोचा गया है। यह न तो गौरेला में है न ही पेन्ड्रा में। यह मरवाही इलाके का गांव है। लोग हैरान है कि इस जगह में क्या खासियत है। खाली जगह स्टेशन से पांच सात किलोमीटर दूर भी तो मिल सकती है। पर कुछ मायनों में यह खास है। एक तो गौरेला और पेन्ड्रा के बीच किसे चुनें यह मुद्दा टल गया। फिर मरवाही इलाके में ही मौजूदा विधायक डॉ. के. के.ध्रुव को जबरदस्त बढ़त मिली और विधायक बनने से पहले भी वे इसी क्षेत्र में डॉक्टर के रूप में सक्रिय रहे। मौजूदा मुख्यालय पेन्ड्रारोड तो कोटा विधानसभा का क्षेत्र है। वैसे यह बताना ही काफी होगा कि नई जगह कोरबा संसदीय सीट का हिस्सा है।
सरकारी इरादा पूरा करता धंधा!
जब देश की सरकार पत्रकार की ट्वीट को लेकर उसे देश का गद्दार साबित करने में लगी है, तो जाहिर है कि उसकी जिम्मेदारी की कहीं न कहीं अनदेखी तो होगी ही। आज सोशल मीडिया ऐसी खुली पोस्ट से भरा हुआ है जिसका न्यौता लोगों को भेजा जा रहा है कि वे आकर सेक्स का धंधा शुरू कर सकते हैं। अभी इस अखबार के संपादक को फेसबुक पर एक दोस्ती का न्यौता मिला, और वह पूरा पेज ही सेक्स के रोजगार में लगने के लिए न्यौते का है। गरीब और मध्यम वर्ग की कल्पनाओं को पूरा करते हुए कॉलबॉय बनने वालों को उनके इलाके की बड़े घरों की महिलाओं के सेक्स का भी वादा किया जा रहा है। अब जब तक हिन्दुस्तान में सेक्स का रोजगार गैरकानूनी कारोबार है, तब तक तो सरकार झांसे के ऐसे सोशल मीडिया-ईश्तहारों पर रोक लगा ही सकती है। लेकिन इन लोगों को देशद्रोही करार देने से भी कोई फायदा तो है नहीं, उतनी देर में दो और पत्रकार अंदर किए जा सकते हैं। और फिर सेक्स का धंधा अगर सच में रोजगार दिला सकता है, तो इससे बेरोजगारी कम करने का सरकारी इरादा भी तो पूरा होता है!
आपकी हर जानकारी बाजार में!
अभी लोगों को वॉट्सऐप पर डेटा बेचे जा रहे हैं। जिस तरह कोई भी दूसरा सामान बेचा जाता है, ठीक उसी तरह लोगों की खरीद-बिक्री की जानकारी, उनके भुगतान की जानकारी, उनके सोशल मीडिया इस्तेमाल की जानकारी फोन नंबरों सहित बेची जा रही है। अभी बहुत से लोगों को जो ऑफर मिला है वह दो करोड़ हिन्दुस्तानियों की जानकारी का है। इसमें बुक माई शो वेबसाईट के 42 लाख ग्राहक, पेटीएम के 50 लाख ग्राहक, नेटफ्लिक्स के 18 लाख ग्राहक, जोमैटो के 12 लाख ग्राहक, यूट्यूब चैनल इस्तेमाल करने वाले 35 लाख लोग, इंस्टाग्राम इस्तेमाल करने वाले 45 लाख लोग और फोन-पे इस्तेमाल करने वाले 20 लाख लोगों का सारा डेटा ढाई हजार रूपए से कम पर बेचा जा रहा है। ऑनलाईन कुछ भी करने वाले लोग यह देख लें कि उनका तौलिया कभी भी पल भर में उतर सकता है।