राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : केटीएस तुलसी का रात्रिभोज
06-Feb-2021 5:54 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : केटीएस तुलसी का रात्रिभोज

केटीएस तुलसी का रात्रिभोज

सुप्रीम कोर्ट के दिग्गज वकील केटीएस तुलसी छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सदस्य तो बन गए हैं, लेकिन वे यहां के ज्यादातर मंत्रियों तक को भी नहीं पहचानते हैं। पहचाने भी तो कैसे, कभी उनका छत्तीसगढ़ से कोई वास्ता नहीं रहा है। मगर राज्यसभा में गए हैं, तो स्थानीय नेताओं से परिचित होना जरूरी है। लिहाजा उन्होंने अपनी तरफ से फाफाडीह के एक होटल में रात्रि भोज रखा है, जिसमें सीएम-मंत्रियों के साथ-साथ पार्टी संगठन के प्रमुख नेताओं को आमंत्रित किया है।

तुलसी राज्यसभा का फार्म जमा करने के बाद चले गए थे। वे अपना निर्वाचन प्रमाण पत्र भी लेने नहीं आए। कोरोना की वजह से उनका आना टलता रहा। अब 9 महीने बाद आए हैं, तो यहां के नेताओं से परिचय ले रहे हैं, और संगठन-सरकार के कामकाज की जानकारी भी ले रहे हैं। यहां के नेता भी उनसे मेल मुलाकात को लेकर उत्साहित दिख रहे हैं। वैसे भी, जिस तरह अलग-अलग विषयों को लेकर केन्द्र सरकार से टकराव चल रहा है, उससे कानूनी तरीके से निपटने में सरकार और पार्टी नेताओं को तुलसी की जरूरत पड़ेगी।

प्रमोशन के लिये मारपीट

निगम मंडलों में न तो नियुक्तियों में पारदर्शिता है न ही खरीदी जैसे खर्चों में। यह बात सडक़ पर आ गई जब गृह निर्माण मंडल  रायपुर के जनसम्पर्क अधिकारी ने कथित रूप से घूस नहीं देने के कारण वहीं के सम्पदा अधिकारी को पीट दिया। शिकायतकर्ता सम्पदा अधिकारी का दावा है कि प्रमोशन के लिये उससे 10 लाख रुपये की रिश्वत मांगी जा रही है। बात ये है कि किसी विभाग का जनसम्पर्क अधिकारी, विभाग प्रमुख तो होता नहीं, वह कैसे किसी का प्रमोशन करा सकता है या उसे रोक सकता है। फिर प्रमोशन के लिये इतनी बड़ी रकम? यदि एफआईआर में लिखाई गई बात सच है तो देखना होगा कि इस विभाग में क्या कोई वरिष्ठता सूची बनती है या फिर पिछले दरवाजे से पदोन्नति और नियुक्ति हो रही है। वैसे यह दफ्तर सबसे भ्रष्ट दफ्तरों में से एक है...!

नान घोटाला, सुनवाई अभी बाकी है...

चर्चित नान घोटाले की नए सिरे से जांच को लेकर अभी भी किचकिच चल रही है। हाईकोर्ट इस सिलसिले में दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है। जांच को लेकर आधा दर्जन जनहित याचिकाएं लगी हुई हैं, जिसमें से विक्रम उसेंडी और धरमलाल कौशिक की याचिकाओं को छोडक़र बाकी पर सुनवाई हो चुकी है।

अब तक की सुनवाई की लब्बोलुआब यह रहा कि याचिकाकर्ता हाईकोर्ट की निगरानी में अथवा एसआईटी जांच चाहते हैं, और उनके अपने तर्क हैं। उसेंडी की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। चर्चा है कि उसेंडी की तरफ से पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विकास सिंह आ सकते हैं। उसेंडी के बाद संभवत: अगले हफ्ते कौशिक की याचिका पर सुनवाई होगी। कौशिक का पक्ष बड़े वकील महेश जेठमलानी रखेंगे।

उसेंडी और कौशिक की याचिका तकरीबन एक जैसी है। उन्हें केन्द्र सरकार की एजेंसी सीबीआई पर भरोसा है। और वे पिछली सरकार में हुई घोटाले की जांच को भी ठीक बता रहे हैं। कुल मिलाकर यह मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है। हाल यह है कि पिछले 5 साल जांच पड़ताल को लेकर दायर याचिकाएं अदालतों में घिसट रही है। मगर अब तक किसी किनारे नहीं पहुंच पाई है। देखना है कि आगे होता है क्या?

महिला पुलिस की बैंड

फोर्स में अक्सर महिलाओं की बराबरी की बात होती है तो यह देखा जाता है कि उन्हें दुरूह कार्य पुरुषों की तरह दिये जाते हैं या नहीं। पर बस्तर में कुछ अलग हटकर काम किया गया है। राज्य में पहली बार  यहां महिलाओं का अलग पुलिस बैंड बनाया गया है। शुरूआत 16 महिलाओं की टीम से की गई है। बीते दिनों जब मुख्यमंत्री बस्तर दौरे पर थे इस बैंड ने समां बांधा। वैसे दूसरे वाद्य यंत्रों के मुकाबले यह कुछ कठिन काम हैं। बैंड में सांसों से पूरी ताकत झोंकी जाती है। ड्रम का वजन भी कम नहीं होता।

पास होने का अवसर

कोविड महामारी के चलते पढ़ाई के हुए नुकसान को देखते हुए केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से लगातार शिथिलता बरती गई है। पहले ही सभी स्कूलों को परीक्षा केन्द्र बनाने का निर्णय लिया जा चुका है। जाहिर है छात्रों को ज्यादा सहूलियत से परीक्षा दिलाने का मौका मिलने वाला है। अब और एक बड़ी राहत देते हुए माशिमं ने तय किया है कि 10वीं, 12वीं के छात्रों को प्रत्येक विषय में केवल तीन एसाइनमेन्ट जमा करने होंगे। इन तीन एसाइनमेन्ट्स में मिले अंकों के आधार पर छह के नंबर तय कर दिये जायेंगे। लगता है, इस बार अब ज्यादा छात्र उत्तीर्ण होंगे। जिन्होंने घर में रहते हुए पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया, उनके लिये भी अवसर दे गई यह महामारी।

ऐसे ‘भारतरत्न’ को आईना!

देश के किसानों के साथ हमदर्दी दिखाने वाले विदेशियों के खिलाफ जिस तरह से हिन्दुस्तानी सितारों को झोंका गया है, वह तो सदमा पहुंचाने वाला है ही कि मानो हिन्दुस्तानी किसानों पर तोप से निशाना लगाना हो। भारत की बड़ी-बड़ी तोपों को ट्विटर पर तैनात किया गया है। बाकी लोगों के बारे में तो हमें कुछ नहीं कहना है, लेकिन भारतरत्न से नवाजे गए सचिन तेंदुलकर की रोजाना की इश्तहारी बातों के बीच पहली बार किसी सामाजिक हकीकत पर उनका मुंह खुला, तो किसानों के खिलाफ खुला। अब वे सत्ता को खुश करने वाला बयान दे रहे हैं, तो उनका भारतरत्न तो छीना नहीं जा सकता, लेकिन लोगों को याद आता है कि रत्न होते कैसे हैं।

अंग्रेजी अखबार टेलीग्राफ ने कल के अंक में सचिन तेंदुलकर के किसान-आंदोलन-विरोधी बयान के साथ 2008 के ऑस्ट्रेलिया के एक अखबार में छपे एक लेख का एक हिस्सा जोडक़र छापा है। इस लेख के मुताबिक- 1971 में दुनिया के महानतम क्रिकेटर कहे जाने वाले डॉन ब्रैडमैन ने दक्षिण अफ्रीका के नस्लवादी प्रधानमंत्री जॉन वोस्र्टर से मुलाकात की ताकि वहां के एक क्रिकेट टूर पर चर्चा हो सके। ब्रैडमैन ने पीएम से पूछा कि उनके देश के टीम में काले खिलाडिय़ों को क्यों शामिल नहीं किया जाता? पीएम का जवाब था कि काले लोग बौद्धिक रूप से कमजोर होते हैं, और क्रिकेट की जटिलताओं से नहीं जूझ सकते। इस पर ब्रैडमैन ने पीएम से कहा था- क्या आपने कभी गैरी सोबर्स का नाम सुना है?

बाद में ब्रैडमैन ऑस्ट्रेलिया लौट आए, और घोषणा की- हम दक्षिण अफ्रीका के साथ तब तक नहीं खेलेंगे जब तक उनकी टीम गैर नस्लवादी आधार पर नहीं बनेगी।

एक अखबार ने हिन्दुस्तानी ‘भारतरत्न’ को आईना दिखाया है कि महान खिलाड़ी का महान सामाजिक सरोकार भी रहता है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news