राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : शिकायत भारी पड़ी
08-Feb-2021 6:48 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : शिकायत भारी पड़ी

शिकायत भारी पड़ी

सरकार के एक बोर्ड के कर्मचारी के खिलाफ शिकायत करना कांग्रेस के एक पदाधिकारी को भारी पड़ गया। कर्मचारी के खिलाफ गड़बड़ी की कई तरह की शिकायतें रही हैं, और जब इन शिकायतों पर कार्रवाई के लिए पदाधिकारी मंत्रीजी के पास गए, तो उल्टा उन्हें ही सरकारी कामकाज में ज्यादा दखल नहीं देने की नसीहत दे दी। बात यहीं खत्म नहीं हुई। मंत्रीजी ने पदाधिकारी पर अपने लेटरहेड का दुरूपयोग करने का आरोप मढ़ दिया, और प्रदेश कांग्रेस के मुखिया से इसकी शिकायत कर दी। अब पदाधिकारी को ही अपने द्वारा की गई शिकायतों के संबंध में सफाई देनी पड़ रही है।

बड़े नेताओं के झगड़े

प्रदेश भाजपा प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने पांच तारीख तक जिलों की कार्यकारिणी और मोर्चा पदाधिकारियों की सूची जारी करने की सख्त हिदायत दी थी। पुरंदेश्वरी के आदेश का कुछ हद तक पालन भी हुआ, और भाजयुमो के साथ-साथ दुर्ग-भिलाई की कार्यकारिणी को छोडक़र बाकी सभी जारी हो गई।

भाजयुमो की कार्यकारिणी को लेकर बड़े नेताओं का इतना दबाव है कि अमित साहू अब तक सूची जारी नहीं कर पाए हैं। वे बड़े नेताओं को सूची दिखा चुके हैं। मगर नुक्ताचीनी इतनी ज्यादा हो रही है, कि महामंत्री (संगठन) पवन साय सूची पर मुहर नहीं लगा सक रहे हैं। दुर्ग-भिलाई में बड़े नेताओं के झगड़े के कारण सूची अटक गई है। कुछ लोगों का मानना है कि पुरंदेश्वरी को ही हस्तक्षेप करना पड़ेगा, तब जाकर सूची हो सकती है।

लोहे, लकडिय़ों से टकराती महिलायें

धीरे-धीरे उन कामों की सूची छोटी होती जा रही है, जिन्हें महिलाओं के वश का नहीं माना जाता है। सेन्ट्रिंग प्लेट और लोहे से बनने वाले फेंसिंग तार भी अब महिलाओं के हिस्से में आ चुके हैं। सरायपाली के किसड़ी ग्राम की महिलाओं ने खुद से सेन्ट्रिंग प्लेट बनाया है और वह इन्हें अब किराये पर दे रही हैं। बागबाहरा ब्लॉक के ग्राम कोमाखान में भी इसी तरह फेंसिंग वायर बनाने का काम हाथ में लिया गया है। सरकारी संस्थायें उनके तार को खरीदने में रुचि तो दिखा ही रही हैं, निजी जरूरतों के लिये भी उनके तार की खरीदी हो रही है। वैसे तो सरकारी योजनाओं का प्रचार करने के लिये प्रशासन के पास अपनी टीम है पर कुछ हटकर काम हो तो उसकी अलग से भी चर्चा भी हो जानी चाहिये।

रसोई गैस के उतरते-चढ़ते दाम

घरेलू रसोई गैस के दाम महीने के पहले पखवाड़े में एक बार फिर बढ़ गये। पिछले महीने एक साथ 190 रुपये दाम बढ़ाये गये थे इस बार फरवरी में अभी सिर्फ 25 रुपये बढ़ाये गये। हालांकि गैस कम्पनियां महीने में दो बार कीमत की समीक्षा करती है इसलिये अगले पखवाड़े में कीमत क्या होगी यह अभी नहीं बताया जा सकता। स्थिति यह है कि ऑनलाइन बुकिंग कम दर पर कराई गई हो तो डिलिवरी के समय अंतर की राशि का नगद भुगतान भी करना होगा। इनके दाम इतनी बार बदल जाते हैं कि लोगों ने इसके महंगे या सस्ते होने के बारे में सोचना ही बंद कर दिया है। ठीक पेट्रोल-डीजल की तरह। गनीमत है कि अभी गैस सिलेन्डर पर रोजाना बदलाव का फार्मूला लागू नहीं किया गया है।

थोड़ी चूक हो गई...

बीते कुछ सालों से राजनेताओं का जन्मदिन भव्य तरीके से मनाने का चलन बढ़ा है। इसी बहाने कार्यकर्ताओं को अपनी निष्ठा दिखाने और नेताओं को अपनी लोकप्रियता नापने का मौका मिल जाता है। सत्तारूढ़ दल से किसी जन्मदिन हो तो अधिकारियों को आगे-पीछे होना ही पड़ता है। गुलदस्ते, उपहार, मिठाईयां देने वालों की आधी रात से ही भीड़ जमने लगती है। सत्ता से उतरने के बाद स्थिति अलग हो जाती है। अधिकारी तो पास फटकने की गलती करता ही नहीं, कार्यकर्ताओं की भी छंटनी हो चुकी रहती है। कोई नहीं पूछता कि सरकार रहने, नहीं रहने के बीच इतना बड़ा फर्क कैसे आ जाता है।

संसदीय सचिव शकुंतला साहू का जन्मदिन सरकारी तौर पर मनाने की चि_ी निकालकर वहां के जनपद पंचायत सीईओ चर्चा में आ गये। एसडीओ से लेकर बाबू, भृत्य तक को जिम्मेदारी दे दी। यही काम बिना लिखा-पढ़ी के भी किया जा सकता था। आखिर अब तक तो करते आए ही होंगे। सार्वजनिक जीवन में लोगों को सहजबुद्धि से बैर नहीं रखना चाहिए। इसीलिए कहा जाता है कि कॉमन सेंस बहुत कॉमन नहीं है।

कौन देशद्रोही कहलाएगा?

अभी प्रधानमंत्री कार्यालय की एक चि_ी के जवाब में उत्तरप्रदेश सरकार ने लिखा है कि गाडिय़ों पर किसी भी धर्म या जाति का नाम या निशान लिखा होने पर उसका चालान किया जाएगा। पुलिस विभाग ने इसका आदेश भी निकाल दिया है। लेकिन छत्तीसगढ़ ऐसी किसी भी फिक्र से आजाद है। यहां गाडिय़ों पर जो चाहे लिखाकर घूमा जा सकता है, और पुलिस-आरटीओ की कमाऊ कुर्सियों पर बने रहने के लिए वहां के अधिकारी-कर्मचारी किसी से पंगा लेना नहीं चाहते। गाडिय़ों पर, नंबर प्लेट पर जात लिखाओ, धर्म लिखाओ, धमकी लिखाओ, जो भी लिखाओ, पुलिस-आरटीओ किसी को नहीं देखते। और आज तो देश का जैसा माहौल है, हिन्दुत्व पर कार्रवाई करके किसी को देश का गद्दार कहलाना है क्या?  तस्वीर/‘छत्तीसगढ़’

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