राजपथ - जनपथ
विस्फोट की आशंका
विधानसभा का इस बार का सत्र छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद से अब तक का सबसे छोटा बजट सत्र रहा है। भाजपा सदस्यों ने तो अनुदान मांगों पर चर्चा में हिस्सा तक नहीं लिया। सरकार के दो मंत्री टीएस सिंहदेव और जय सिंह अग्रवाल के अलावा दो विधायकों के कोरोना संक्रमित होने के बाद से सत्ता और विपक्ष के लोग भी चाहते थे कि सत्र जल्द से जल्द खत्म हो।
सत्र शुरू होने से पहले सभी विधायकों को कोरोना टेस्ट कराने की सलाह दी गई थी, लेकिन विधायक इसके लिए तैयार नहीं हुए। विधायक सशंकित थे। दोनों मंत्री टीएस सिंहदेव और जयसिंह अग्रवाल में कोरोना के कोई विशेष लक्षण नहीं थे, उन्होंने मामूली सर्दी-जुकाम पर टेस्ट करवाया, और पॉजिटिव पाए गए।
जयसिंह अग्रवाल तो अपने निवास पर विभागीय अफसरों के साथ अगले दिन सदन में पूछे जाने वाले सवालों का जवाब देने के लिए तैयारी कर रहे थे। अफसरों की ब्रीफिंग कर घर चले गए, तब अग्रवाल की कोरोना जांच रिपोर्ट आई, जिसमें वे पॉजिटिव पाए गए। मंत्रीजी से परे अफसर ज्यादा परेशान हैं, क्योंकि ब्रीफिंग के दौरान मास्क वगैरह नहीं पहने हुए थे।
सरकार के एक मंत्री ने तो अनौपचारिक चर्चा में माना कि यदि सभी विधायकों की कोरोना जांच होती, तो आधे विधायक संक्रमित निकलते। इसकी एक वजह यह भी थी कि चारों संक्रमित सदस्य, सदन के भीतर और बाहर पक्ष-विपक्ष के सदस्यों के संपर्क में थे। ऐसे में कोरोना विस्फोट की आशंका भी थी, जो कि जांच नहीं होने के कारण नहीं फट पाई।
सोनिया गांधी की शिलान्यास पट्टिका
कांग्रेस सरकार ने कितने चुनावी वायदे पूरे किये हैं ,इस पर बहस के बीच कांग्रेस सदस्य धनेन्द्र साहू ने भी एक वादा पूरा नहीं होने की बात विधानसभा में रखी। वह थी आईआईएम को नया रायपुर में आबंटित जमीन की हद में नई राजधानी के शिलान्यास के पत्थर का घेरे में होना। शिलान्यास कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने किया था। करीब 3 हजार वर्गफीट के गार्डन में इसे रखा गया है।
कांग्रेस की आपत्ति रही कि नया रायपुर करीब 7500 हेक्टेयर की योजना है। आईआईएम को ग्राम पौरा चेतिया की वही जगह क्यों दी गई, जहां शिलान्यास की चट्टान लगी हुई है। दो साल पहले केबिनेट की बैठक में कई बातें सामने रखी गई। खुलासा हुआ कि आईआईएम को तीन बार में 200 एकड़ जो जमीन दी गई है उसके साथ कोई लीज अनुबंध ही नहीं हुआ। एनआरडीए के तत्कालीन सीईओ एसएस बजाज को इस मामले में केबिनेट ने तब निलम्बित भी कर दिया था, जबकि उस वक़्त के विभागीय सचिव रहे जॉय ओम्मेन ने सार्वजनिक बयान जारी करके बजाज को पूरी तरह बेक़सूर और अपने-आपको जिम्मेदार बताया था। वैसे, जिज्ञासा इस बात पर भी हो सकती है कि आईआईएम का प्राधिकरण के साथ अनुबंध भी अब तक हो पाया या नहीं?
चुनाव पांच राज्यों में, सुकून सबको
हालांकि कल कई शहरों में रसोई गैस का दाम बढक़र 900 रुपये पार कर गया है। पेट्रोल-डीजल की कीमत अभूतपूर्व रूप से महंगा होने के बाद अब बीते 10-12 दिनों से स्थिर हैं। यह तब है जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दो तीन दिन से कच्चे तेल के दाम में तेजी आ रही है। हालांकि लोगों को 90 रुपये से ज्यादा में पेट्रोल और 89 रुपये में डीजल खरीदना अब भी भारी पड़ रहा है ,पर दाम सौ पार करने की चिंता कम हुई है। जब भी दाम को लेकर सरकार से पूछा जाता है, वह हाथ खड़े कर देती है कि यह तो आयल कम्पनियां अंतर्राष्ट्रीय बाजार की कीमत के आधार पर तय करती हैं। कम्पनियों से पूछा जाये तो वह सरकार पर डाल देती है। कहती है कि टैक्स कम किये बिना दाम नहीं घटेंगे। खबर है कि अभी आयल कम्पनियों को दाम नहीं बढ़ाने के लिये कहा गया है। यह फैसला पांच राज्यों में हो रहे चुनाव से जोडक़र देखा जा रहा है। सरकार, लोगों के प्रति उदार बनी रहे लगता है इसके लिये चुनाव कहीं न कहीं होते रहना चाहिये।
बढ़ते संक्रमण के बीच स्कूलों की चहल-पहल
बीते साल लगभग इन्हीं दिनों में कोरोना संक्रमण के मामले बढऩे लगे थे और लॉकडाउन करना पड़ा था। अनेक वैज्ञानिक अब यह मानने लगे हैं कि जिस तरह से देश के कई राज्यों, खासकर महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों में कोरोना तेजी से फैल रहा है यह मौसम खतरे की घंटी है। राज्यों में अब फिर से ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है। छत्तीसगढ़ में इस समय 60 साल से ऊपर और गंभीर बीमारी से पीडि़त 45 वर्ष से ऊपर लोगों को कोरोना टीका लगाया जा रहा है। कोरोना संक्रमण का दुबारा बढऩे की आशंका ही है कि लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं और टीका लगवाने के लिये खुद ही रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। बीते 24 घंटे में छत्तीसगढ़ में 390 मामले आये। एक ही दिन में पांच लोगों की मौत भी हुई । दो दिन के भीतर 700 से ज्यादा नये मामले सामने आ चुके। अब सक्रिय मामले फिर बढक़र 3 हजार पार कर चुके हैं।
इधर परीक्षाओं के दिन भी शुरू हो गये हैं। स्कूल, कॉलेजों में ऑफलाइन प्रायोगिक और मुख्य परीक्षाओं का छात्र और पालक विरोध कर रहे हैं। स्कूल ही नहीं कई कॉलेजों में भी अनेक छात्र और प्राध्यापकों में संक्रमण मिल रहा है। जिन स्कूल, कॉलेजों में मामले आये, उन्हें तो बंद करने कहा जा रहा है पर बाकी के लिये सरकार ने फैसला नहीं बदला है। केस तेजी से बढ़ सकते हैं, पालकों, छात्रों सहित आम लोगों की यह चिंता स्वाभाविक है। यही वजह है कि जिन लोगों की मास्क पहनकर निकलने की आदत छूट रही थी वे गाइडलाइन का पालन करने को लेकर ज्यादा सतर्क हैं।