राजपथ - जनपथ
बारातियों का कोविड टेस्ट
बस्तर के बोरपदर गांव में चैनसिंह ठाकुर के घर से एक बारात निकाली। मेजबान चैन सिंह ठाकुर ने रास्ते में सबको रुकने के लिये कहा। सामने कोविड टेस्ट सेंटर था। मेजबान ने कहा सब अपना-अपना एंटिजन टेस्ट करा लें। कुछ हैरान हुए, कुछ ने ना नुकर की लेकिन आखिर सब तैयार हो गये। दो घंटे में सबकी टेस्ट रिपोर्ट भी आ गई। संयोग से सभी की रिपोर्ट निगेटिव मिली। इसके बाद बारात आगे बढ़ी और सब शादी के लिये कुमाकोलेंग गांव रवाना हुए।
कल ही एक ख़बर आई थी जिसमें तखतपुर के एक परिवार ने विवाह में मास्क और सैनेटाइजर जरूरी कर दिया था। वर, वधू ने भी मास्क पहनकर शादी की सारी रस्म पूरी की। पर, बस्तर का उदाहरण तो अमल में लाने योग्य है। लॉकडाउन के दौरान पहले 40-50 लोगों को शादी में शामिल होने की अनुमति थी, इस बार ज्यादा प्रकोप फैला है इसलिये 20 की मंजूरी दी गई। मगर, कोरोना फैलने के लिये 20 का होना भी तो काफी है। क्यों न प्रशासन यह आदेश निकाले कि 20 की जगह भले ही 40 लोग शामिल हो जायें, लेकिन जितने लोग भी समारोह में जाना चाहते हैं वे पहले कोविड टेस्ट करायें और शामिल तभी हों जब रिपोर्ट निगेटिव हो।
कोरोना भगाने का एक और तरीका
गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरुण दिवाकर बाजपेयी को तो देखने से ही समझ आता है कि वे आध्यात्मिक विचारों के व्यक्ति हैं। भारतीय परम्पराओं और इतिहास का उदाहरण अपनी गतिविधियों में सामने रखते हैं। उन्होंने अपना कार्यभार ग्रहण करते समय कार्यालय में हवन भी किया था। अब कोरोना को लेकर भी उनकी दृष्टि सामने आई है। उन्होंने अपने दफ्तर के दरवाजे पर नीम की पत्तियां लटका रखी हैं। जो प्रवेश करेगा इन्हें मुंह में लेकर चबायेगा, तब भीतर प्रवेश करेगा। मानना यह है कि आगंतुक के मुंह से कोई वायरस निकलेगा तो नीम पत्तियां उसे नष्ट कर देगी। अब उन्होंने एक चिकित्सकीय सलाह अपने स्टाफ और आम लोगों को दी है। उन्होंने कहा है कि नीम की पत्ती, तुलसी, हल्दी और प्याज का इस्तेमाल करें। इससे कोरोना वायरस आप पर आक्रमण करता है तब भी आपको कुछ नहीं बिगड़ेगा, वायरस नष्ट हो जायेगा।
वैसे प्रो. बाजपेयी की सोच एकतरफा नहीं है। शिक्षाविद् हैं, वैज्ञानिक सोच रखते हैं। अपने दावे के बावजूद, उन्होंने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज जो लगवा ली है। हल्दी, नीम, प्याज वगैरह के फायदे से तो किसी को इंकार नहीं, पर यह दावा करना कि इसके इस्तेमाल से कोरोना का वायरस नष्ट हो जायेगा, कुछ अधिक बड़ी बात लगती है। ठीक यही बात बाबा रामदेव करते हैं। वैसे, प्रो. बाजपेयी भी इससे पहले अपनी सेवायें उत्तराखंड में दे रहे थे।
घरों में जाम ऑक्सीजन सिलेंडर
कोरोना से संक्रमित बहुत से मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ रही है। बहुत से ऐसे मरीज हैं जिनका घरों मे इलाज चल रहा है पर उन्हें ऑक्सीजन जरूरी है। अस्पताल में बेड नहीं मिलने और वहां के खर्च देखकर लोग घरों में ही इलाज करा रहे हैं।
कई समाजसेवी संस्थाओं ने इस समस्या को देखते हुए कुछ जमानत राशि लेकर ऑक्सीजन सिलेंडर देने की सेवा शुरू की है। जब मरीज या उनके परिजन ऑक्सीजन सिलेंडर लौटायेंगे तो यह अमानत राशि वापस भी कर दी जायेगी। यानि किराया कुछ नहीं लगेगा। इस पुण्य का नुकसान यह हो रहा है कि बहुत लोगों ने सिलेंडर घर लाकर रख लिया है, चाहे उन्हें इसकी जरूरत न हो। जो ठीक हो गये हैं उन्हें भी डर सता रहा है कि क्या पता कब इसकी दुबारा जरूरत पड़ जाये। इसका परिणाम यह निकल रहा है कि सरकारी स्तर पर ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी तो है ही, समाजसेवियों के ऑक्सीजन सिलेंडर बड़ी संख्या में घरों में जाम हो गये हैं। जिन्हें अब सिलेंडर की जरूरत नहीं रह गई है अगर वे इसे लौटा दें तो दूसरे गंभीर, जरूरतमंद मरीजों की जान बच जायेगी। संस्थाओं ने भी अब पता लगाना शुरू किया है कि जिन्हें सिलेंडर दी गई है वे उनके घर खाली तो नहीं रखे हैं। कई ऐसे सिलेंडर घरों से वापस भी लाये जा रहे हैं।