राजपथ - जनपथ
जांच अभी जारी रहेगी
मदनवाड़ा जांच आयोग का कार्यकाल तीन माह बढ़ा दिया है। आयोग के अध्यक्ष पूर्व प्रमुख लोकायुक्त जस्टिस शंभूनाथ श्रीवास्तव हैं। जस्टिस श्रीवास्तव ने ही प्रमुख लोकायुक्त रहते रमन सरकार में बेहद प्रभावशाली पुलिस अफसर मुकेश गुप्ता के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के प्रकरण पर कार्रवाई की अनुशंसा की थी। हालांकि मुकेश गुप्ता को कोर्ट से राहत मिली हुई है।
इलाहाबाद के रहवासी जस्टिस श्रीवास्तव मदनवाड़ा नक्सल हमले की जांच के लिए नहीं आ पा रहे हैं। कोरोना ने उनका रास्ता रोका हुआ है। इलाहाबाद में कोरोना संक्रमण काफी फैला हुआ है, और कहा जा रहा है कि जस्टिस श्रीवास्तव के पैतृक गांव में भी कोरोना से 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इन सब बाधाओं की वजह से जस्टिस श्रीवास्तव मदनवाड़ा नक्सल हमले की जांच पूरी नहीं कर पाए हैं। ऐसे में आयोग का कार्यकाल बढऩा ही था।
डॉ. आलोक शुक्ला बने रहेंगे?
सीएम भूपेश बघेल खुद कोरोना संक्रमण के रोकथाम के प्रयासों की रोज मॉनिटरिंग कर रहे हैं। दो-तीन जिलों में संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। यहां कुछ जिला और स्वास्थ्य अमले की लापरवाही भी सामने आ रही है। इन सब वजहों से जल्द ही छोटा सा प्रशासनिक फेरबदल हो सकता है।
मंत्रालय में एसीएस रेणु पिल्ले की जगह स्वास्थ्य विभाग की कमान संभालने वाले डॉ. आलोक शुक्ला ने थोड़े समय में कोरोना रोकथाम के लिए काफी कुछ काम किया है। डॉ. शुक्ला खुद सर्जन रह चुके हैं, और पहले भी दो बार स्वास्थ्य महकमा संभाल चुके हैं। ऐसे में इसी हफ्ते रेणु के लौटने के बाद भी डॉ. शुक्ला के पास स्वास्थ्य विभाग का प्रभार रह सकता है। रेणु को कोई और जिम्मेदारी दी जा सकती है।
कोरोना वारियर्स को ऐसे किया सेल्यूट
बिना थके, बिना रुके, हफ्तों-महीनों से बहुत से लोग कोरोना से इंसान और इंसानियत को बचाने के लिए जूझ रहे हैं। अब शोक और मायूसी का इतना ज्यादा फैलाव हो चुका है कि इनका आभार जताने के लिए ताली, थाली, शंख बजाना अटपटा लगेगा। इसलिये लोरमी के युवा उनके प्रति मौन रहकर तख्तियां लिये सडक़ पर कड़े होकर कृतज्ञता व्यक्त कर रहे हैं। ये युवा खुद भी कोरोना से मौत के बाद श्मशान गृह लाए जाने वाले शवों का अंतिम संस्कार करते हैं। जरूरतमंदों को ये युवा सूखा राशन पहुंचाने, मरीजों को अस्पताल ले जाने घरों में दवाइयां पहुंचाने और पुलिस के साथ लॉकडाउन तथा कंटेनमेंट जोन में नियमों का पालन कराने में भी लगे रहते हैं। वे अपने काम को बहुत बड़ा नहीं मानते, बल्कि उन सबकी सराहना करना चाहते हैं जो अपनी अपनी क्षमता से अपने क्षेत्र में सेवा कर रहे हैं। वे इन तख्तियों के जरिये अपेक्षा करते हैं कि लोग भी इन सबका सम्मान करिए, जो महामारी से लडऩे में किसी न किसी रूप में आपके बीच उपस्थित हैं। यह जरूर है कि इस तख्ती में कुछ वर्ग छूट गए हैं जिन्हें कल राज्य सरकार की जारी सूची में कोरोना वारियर्स का दर्जा दिया गया। तस्वीर इस घोषणा के पहले की है।
क्या लॉकडाउन ने कमाल किया?
बीते तीन चार हफ्तों से जो दृश्य दिखाई दे रहा था, वह कुछ बदल रहा है। प्रदेश में संक्रमण के नये मामले तेजी से घट रहे हैं। रविवार को सबसे ज्यादा केस 687 रायगढ़ से मिले। अभी अभी कम से कम आठ, दस जिले ऐसे थे जहां हजार से ऊपर मामले हर रोज आ रहे थे। पहली नजर में तो यही समझ में आता है कि लॉकडाउन को लंबा खींचने का सरकार का फैसला काम कर गया है और असर अब दिखाई देने लगा है। खासकर दूसरे राज्यों से पहुंचने वालों पर न केवल सडक़, बल्कि हवाई और रेल के मार्ग पर भी कड़ाई बरती गई।
मगर एक दूसरा संकेत भी मिल रहा है। ग्रामीण इलाकों में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। कई जगहों से शिकायत आ रही है कि उन्हें टेस्टिंग किट नहीं होने के कारण अपना सैंपल देने का मौका नहीं मिल रहा है। लोग टेस्टिंग मायूस लौट रहे हैं। पीएचसी और सीएचसी में मांग के मुताबिक किट नहीं भेजे जा रहे हैं। हालांकि राज्य स्तर पर टेस्टिंग की संख्या कम नहीं है पर अब टेस्टिंग क्षमता और बढ़ाने की जरूरत है। यदि ऐसी स्थिति बनी रही तो आंकड़े कम तो नजर आएंगे मगर महामारी से निपटना और बड़ी समस्या हो जायेगी। वैसे भी गांव में जागरूकता की कमी की बात भी आती है।
शराब की घर पहुंच सेवा
वैसे तो आबकारी मंत्री की चिंता यह बताती है कि लोग शराब नहीं मिलने के कारण स्प्रिट और जहर पीकर मर रहे हैं इसलिए ऑनलाइन बिक्री शुरू की गई है, पर हर किसी को पता है कि यह निर्णय राजस्व से भी जुड़ा हुआ है। पोर्टल और ऐप के जरिए शराब मंगाने की मिली अनुमति के बाद अब उन लोगों को जो देसी कच्ची और सस्ती शराब पीते थे, स्मार्टफोन रखना होगा। नेट कनेक्टिविटी के साथ और ऐप को इस्तेमाल और ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करना भी सीखना होगा। वरना वे शराब मंगा कैसे पाएंगे? ऑनलाइन सेल में अद्धी पौवा नहीं मंगाया जा सकेगा। बोतल दो बोतल का ऑर्डर करना होगा। साथ ही सेवा शुल्क अलग से देना होगा। मजदूर और मिस्त्री सरकार की सेवा लेने के लिये इतनी व्यवस्था कर पायेंगे, इसमें संदेह हैं। अब इस ऑनलाइन बिक्री के बाद भी कोई सिरप या स्प्रिट पीकर मरेगा तो?
बीजेपी के एक नेता का कहना है कि कि जो लोग जहर पीकर मरे उन को तो फायदा मिले ना मिले जो खाते पीते लोग लॉकडाउन में मन मसोसकर घरों में बैठे महंगी शराब के बगैर तड़प रहे थे उनको जरूर सुविधा मिल गई। शराब दुकानें लगभग एक माह से बंद है। जहरीला नशा करने के चलते कितने लोगों को जान गंवानी पड़ी यह पता किया जाये, फिर उसके एक माह पहले का आंकड़ा लिया जाये जब शराब पीने के कारण हुई वारदातों में लोगों की जान चली गई। स्थिति ज्यादा स्पष्ट हो जायेगी।
हो सकता है कि एक वक्त के एसटीडी पीसीओ की तरह मोहल्लों के लडक़ों को एक काम मिल जाये की वे अपने स्मार्टफोन पर दारू आर्डर कर दें, भुगतान कर दें, और सर्विस चार्ज ले लें !