राजपथ - जनपथ
इतना आसान इस बार 10वीं पास होना..
पिछले साल खबर आई थी कि हैदराबाद के एक शख्स नूरूद्दीन ने 33 साल बाद दसवीं की परीक्षा पास कर ली, महामारी की मेहरबानी से। अपने यहां भी घरों से परीक्षा दिलाने की छूट मिलने की वजह से बहुत से लोग ग्रेजुएट पोस्ट ग्रेजुएट यहां तक कि इंजीनियरिंग की परीक्षाएं बीते साल से पास हो रहे हैं। सीबीएसई और कई दूसरे राज्यों ने दसवीं की परीक्षा रद्द कर दी है। सीबीएसई से बारहवीं की परीक्षा रद्द करने की मांग की जा रही है। जून पहले हफ्ते में इस पर फैसला लेने की बात सीबीएसई मैनेजमेंट की ओर से कही गई है। इधर छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने भी 10वीं बोर्ड की परीक्षा रद्द कर दी है। नियमित छात्रों को असाइनमेंट दिए गए थे, जो उन्हें घर से ही पूरा करना था। इसी के आधार पर उनका मार्कशीट तैयार होगा। लेकिन कोरोना में व्यवस्था ऐसी गड़बड़ाई कि माध्यमिक शिक्षा मंडल स्वाध्यायी छात्रों को असाइनमेंट देना ही भूल गया। अब जब असाइनमेंट ही नहीं दिया गया तो उनको किस आधार पर नंबर दिये जायें? इसे देखते हुए माशिमं ने सबको औसत नंबर देने का निर्णय लिया है। यानि सभी स्वाध्यायी छात्र इस बार भी पास हो जायेंगे। फर्क इतना है कि पिछली बार मूल्यांकन के लिये कुछ मापदंड उपलब्ध थे, इस बार वह नहीं है।
महामारी ने हर किसी को भयभीत कर रखा है। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी घरों में घुसे होने, स्कूल की गतिविधियों में भाग नहीं ले पाने के कारण बुरा असर पड़ा है। ऐसे में अगर परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिये कोई जटिल प्रक्रिया अपनाई गई तो उनके लिये ही नहीं अभिभावकों के लिये भी परिस्थितियां कठिन हो जायेंगीं। देखने की बात यही होगी कि उच्च शिक्षा में प्रवेश और रोजगार में चयन के लिये इस दौर में उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को कैसा अवसर मिल पाता है।
अक्षय तृतीया की गिनी-चुनी शादियां
छत्तीसगढ़ से कई प्रदेशों में अक्षय तृतीया के दिन शादियों की परंपरा है। इसके आगे जाकर सच्चाई स्वीकार करें तो बड़ी संख्या में बाल विवाह हो जाते हैं। वैसे, बीते कुछ सालों से इसे लेकर जागरूकता आई है। खासकर गांवों में महिला स्व सहायता समूहों के बनने और पंचायतों की व्यवस्था में महिलाओं को 50 प्रतिशत भागीदारी दिये जाने के बाद। बीते साल भी कोरोना का कहर था पर थोड़ी छूट थी। 20-25 लोगों की मौजूदगी में सामाजिक भवनों, होटलों में शादी कराई जा रही थी। इस बार पाबंदी कड़ी है। घर पर ही शादी हो सकती है, 10 से ज्यादा लोगों की मौजूदगी नहीं होगी और सबका कोरोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव भी होनी चाहिये। अक्षय तृतीया के दिन इसीलिये महिला बाल विकास विभाग, समाज कल्याण विभाग की टीम के साथ-साथ पुलिस भी मुस्तैद थी। गांवों में ढूंढे गये कि कहीं नियम टूट तो नहीं रहे हैं। एक जगह पर पुलिस पहुंची तो शादी सोशल डिस्टेंस के साथ घर के आंगन में होती मिली। शादी करने वाले नाबालिग नहीं थे। पुलिस का कहना है कि तस्वीर में तो भीड़ नहीं दिख रही है पर बहुत लोग बुलाये गये थे। वे आकर चले गये। इसलिये महामारी एक्ट के उल्लंघन का केस तो बना ही दिया गया है।
कोरोना ड्यूटी में कृषि वैज्ञानिक
शिक्षक संगठनों का कहना है कि बिना वैक्सीनेशन, बिना किट उनकी ड्यूटी कोरोना में लगाई गई इसके चलते उनके करीब 400 साथियों की अब तक मौत हो चुकी है। इसकी सूची भी पदाधिकारियों ने जारी की है। शासन ने उनकी मांगों की सुनवाई नहीं की है। वे मुआवजा और अनुकम्पा नियुक्ति, अपने परिवार सहित सभी के वैक्सीनेशन की मांग कर रहे हैं। अब जशपुर में हुई एक मौत का विवाद तूल पकड़ रहा है। रायगढ़ के कृषि महाविद्यालय के एक वैज्ञानिक डॉ. सुशांत पैकरा की कोरोना से मौत हो गई। उनकी ड्यूटी जिला प्रशासन ने वायरोलॉजी लैब में लगा दी। प्राध्यापकों ने विरोध भी किया कि एग्रिकल्चर के डॉक्टर का वायरोलॉजी लैब में क्या काम? न तो वे पैथॉलॉजी के डॉक्टर हैं न ही लैब की मशीनों के तकनीकी जानकार। पर राज्य सरकार के आदेश का हवाला देते हुए उन्हें वहां से नहीं हटाया गया। वहीं वे संक्रमित हुए और इलाज के दौरान मौत हुई। डॉ. पैकरा जशपुर के आसपास के ही रहने वाले हैं। समाज के लोगों में गुस्सा है कि जिले के अधिकारियों की हठधर्मिता के कारण जान चली गई। अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष नंदकुमार साय ने तो वैज्ञानिक की वायरोलॉजी लैब में ड्यूटी लगाने वाले अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग भी की है।
क्या ऐसा नहीं होना चाहिये कि जो लोग स्वास्थ्य विभाग के कामकाज के जानकार नहीं है उन्हें ऐसी ड्यूटी देने से बचा जाये। ड्यूटी भी दी जाये तो पहले थोड़ा प्रशिक्षित करें और कोरोना से उनकी सुरक्षा के जरूरी बंदोबस्त किये जायें।