राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सरकारी मुलाजिम की बगावत...
17-May-2021 6:09 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : सरकारी मुलाजिम की बगावत...

सरकारी मुलाजिम की बगावत...

मामूली से घोटाले के लिए अनशन पर बैठ जाना ठीक बात नहीं। सरकारी अफसर के लिए तो यह बिल्कुल शोभा नहीं देता। छवि घोटाले से और उसकी जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं होने से नहीं बिगड़ती, बिगड़ती तब है जब ऐसे मामलों का हवाला देकर कोई नीचे का अफसर अपने से बड़े को चुनौती दे जाये। इसीलिए अधिकारी की गिरफ्तारी के जायज कारण ढूंढ लिये गये हैं, जैसे लॉकडाउन में अनशन करना मना है। सर्विस रूल में तो और भी कंडिकायें इसके समर्थन में मिल जायेंगीं।

जिस मुद्दे को महासमुंद के जिला महिला बाल विकास अधिकारी उठा रहे हैं उसमें कोई नयापन है ही नहींशिष्टाचार के साथ सप्लाई का काम आखिर किस विभाग में नहीं चलता? पता नहीं इस अफसर की कितने दिनों की नौकरी है। पता नहीं कितनी बार उनको अपने आसपास ऐसे मामले पहले भी दिखे होंगे, खामोशी ओढ़ ली होगी। पर, शायद उन्हें लग रहा हो कि अब पानी सिर से ऊपर चला गया है। सिस्टम से यह उम्मीद नहीं करनी चाहिये कि कोई जांच रिपोर्ट तैयार हो गई है तो उस पर कार्रवाई भी तुरंत हो जायेगी। ऐसी कितनी ही फाइलें धूल खाती पड़ी रहती हैं। प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ता है एक्शन लेने के लिये। दूसरी ओर, लॉकडाउन में अनशन की मनाही है तो है। इसका कोई उल्लंघन करे तो कार्रवाई के लिये किसी लम्बी चौड़ी प्रक्रिया की जरूरत नहीं पड़ती है। गश्त करने वाले तो कई फैसले ऑन द स्पॉट भी कर रहे हैं। वैसे भी सिस्टम अभी कोरोना के बोझ में कराह रहा है। दूसरे विभागों में कुछ काला-पीला हो रहा भी हो इसे ध्यान देने की जरूरत क्या है?

ऐसे मौके पर यहीं के एक जज और जेलर का किस्सा याद आता है। एक को नौकरी ही गंवानी पड़ गई, दूसरे को अपनी वाजिब जगह हासिल करने के लिये लम्बी लड़ाई लडऩी पड़ रही है।

रामबाण नकली इंजेक्शन...

मध्यप्रदेश में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने का बड़ा रैकेट सामने आया है। इनका नेटवर्क गुजरात से शुरू होकर भोपाल, इंदौर, जबलपुर आदि जगहों पर फैला था। सैकड़ों नकली इंजेक्शन इन्होंने अस्पतालों में खफा भी दिए। इसमें हैरानी की कोई बात नहीं। किसी मरीज को पता नहीं होता कि वह नकली दवा, इंजेक्शन लगवा रहा है या असली। प्राण बचाने का सवाल हो तो सब भगवान और डॉक्टरों के भरोसे छोड़ दिया जाता है।

कोविड महामारी के दूसरे चरण में जिन लोगों ने लूट खसोट का रास्ता चुना है उनको कोई फर्क नहीं पड़ता कि मरीज की जान बचेगी या नहीं। पर, इस केस में उल्टा हो गया। भोपाल पुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया है कि जिन लोगों को नकली रेमडेसिविर लगे उनमें से 90 फीसदी लोगों की जान बच गई। यह प्रतिशत असली इंजेक्शन लगवाने वालों से भी अधिक है। आरोपी बता रहे हैं कि उन्होंने तो ग्लूकोज और नमक का घोल बेचा, जान कैसे बच गई डॉक्टर ही बतायेंगे।

ऐसे में विशेषज्ञों और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के उस बयान की ओर सहज ही ध्यान चला गया है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन कोरोना से बचने के लिये रामबाण दवा नहीं है। ऑक्सीजन लेवल एक खास स्तर से ऊपर हो तो यह कारगर भी नहीं है। पर चूंकि डॉक्टर और मरीज के परिजन जान बचाने के लिये कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते, वे रेमडेसिविर के पीछे भागते हैं। छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में, खासकर निजी में भी रेमडेसिविर की अचानक बहुत मांग बढ़ी। यह तब थी जब इसकी आपूर्ति कम थी। जमकर कालाबाजारी हुई, कई लोग गिरफ्तार भी हुए। अब स्थिति लगभग सामान्य हो चुकी है। यहां भी हिसाब लगना चाहिये कि रेमडेसिविर इंजेक्शन लगने के बावजूद कितने लोगों की जान नहीं बच पाई। आंकड़ा बता देगा कि कहीं यहां भी तो नकली नहीं खपाये गये?

लोगों का ध्यान भटकाया जाना जरूरी

कोविड-19 से निपटने में केन्द्र सरकार की विफलता को लेकर रोज उठने वाले सवालों के जवाब में सकारात्मक होने की अपील, या कह लें नसीहत दी जा रही है। इन दिनों प्रदेश का एक बड़ा शैक्षणिक संस्थान कोविड महामारी से लोगों के मानसिक स्वास्थ्य, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, युवाओं के भविष्य जैसे गंभीर विषयों पर वर्चुअल सेमिनार कर रहा है। गहराई में जाने पर पता चला कि यह भी असल समस्या से ध्यान हटाकर सकारात्मकता लाने की मुहिम है। पर सोशल मीडिया में सक्रिय एक खास समूह सीधे-सीधे बताने पर आमादा है कि इस समय भी कोविड महामारी से निपटना जरूरी नहीं, कुछ दूसरे मुद्दों पर भी सोचना होगा। जैसे, अम्बिकापुर में रोहिंग्या मुसलमानों को बसाने का मुद्दा। ऐसे संदेश छत्तीसगढ़ के अनेक वाट्सएप ग्रुपों में वायरल हो रहे थे। लोगों की सहज जिज्ञासा बढ़ गई कि क्या यह हो रहा है? इस तरह के संदेश वायरल करने वाले जानते हैं कि लोगों का माइंड सेट बिगडऩे नहीं देना है। महामारी तो आज आई है कल गुजर जायेगी। पर लोगों की सोच बदली तो फिर से उनको रास्ते पर लाना मुश्किल होगा। बहरहाल, कांग्रेस की आईटी सेल ने छानबीन की है। दावा किया गया है कि यह खबर फेक है और इस बात को उसने ट्विटर तथा दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा भी कर दिया है।      

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