राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : रिश्तों पर जमी धूल को हटाई
26-May-2021 6:05 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : रिश्तों पर जमी धूल को हटाई

रिश्तों पर जमी धूल को हटाई

डेढ़ दशक तक राज्य में सत्तासुख भोगने के बाद विपक्ष में रहते हुए विशेषकर राजनांदगांव जिले में भाजपा की जमीनी पकड़ ढीली पड़ गई है। यह भांपकर भाजपा के रणनीतिकार पार्टी संगठन को मजबूत बनाने, और आम जनता के बीच छवि निखारने की रणनीति बनाने में जुटे हैं।

सुनते हैं कि कोराना संकट के बीच पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने नांदगांव के कई कांग्रेसी नेताओं का हालचाल पूछकर पुराने संबंधों को मजबूती देने का काम किया है। कोरोना के दूसरी लहर में कांग्रेसियों की सेहत को लेकर पूर्व सीएम कुछ ज्यादा ही फिक्रमंद थे।

रमन सिंह ने राजनांदगांव जिले के कांग्रेस विधायकों के साथ-साथ  शहर और ग्रामीण कांग्रेस मुखिया कुलबीर छाबड़ा व पदम कोठारी से भी चर्चा की। कोराना संकट से बाहर निकलने के नुस्खे बताने के साथ ही साथ रमन से सभी के परिवार की चिंता कर सौहार्द दिखाया।

बताते हैं कि कोरोना के खौफ के बीच रमन सिंह से हुई बातचीत से कुछ कांग्रेस नेता खुश नजर आए। वैसे भी रमन सिंह ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में कांग्रेसियों का खूब ख्याल रखा था। मगर बाद में मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद रमन सिंह, और जिले के कांग्रेस नेताओं के बीच बोलचाल बंद हो गई थी। मगर अब रमन ने कोरोना के बहाने कुशलक्षेम पूछकर पुराने रिश्तों पर जमी धूल को हटाने का काम किया है।

धरने को लेकर..

टूलकिट मामले पर धरना-प्रदर्शन के चलते भाजपा के भीतर मनमुटाव की खबर है। वैसे तो सभी बड़े नेताओं को एक मंच पर लाने के लिए ही प्रदेश भर में धरना-प्रदर्शन हुआ था। मगर इसके लिए अलग-अलग तरीके अपनाए जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

पहले दिन सिविल लाइन थाना परिसर में पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की अगुवाई में राजेश मूणत, श्रीचंद सुंदरानी, संजय श्रीवास्तव, और मोतीलाल साहू धरने पर बैठे थे। ये सभी गिरफ्तारी देने गए थे, लेकिन पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया। ये बाहर जमीन पर बैठे रहे। सीएसपी और टीआई ने उनसे आग्रह भी किया कि वे चिलचिलाती धूप में बाहर बैठने के बजाए उनके कमरे में बैठे। मगर मूणत अड़ गए। खैर, सभी दो घंटे बाद धरना खत्म कर लौट गए।

अगले दिन पूर्व सीएम रमन सिंह भी सिविल लाइन थाने गिरफ्तारी देने पहुंचे, और बाहर अन्य नेताओं के साथ धरने पर बैठे। मगर रमन सिंह के धरने के लिए भाजपा दफ्तर से आरामदेह कुर्सियां मंगवाई गई थी। दो घंटे की राजनीतिक ड्रामेबाजी के बाद यह भी धरना खत्म हो गया। मगर एक ही केस को लेकर अलग-अलग तरीके के धरने पर पार्टी के भीतर जमकर बहस हो रही है।

पुलिस के साथ ऐसा क्यों हो रहा है?

सरगुजा संभाग के कोरिया जिले के जनकपुर इलाके में बीते रविवार को बाल विवाह रोकने के लिए गये तहसीलदार और पुलिस टीम को रास्ते में रोककर ग्रामीणों ने हमला किया। उस समय तो किसी तरह तहसीलदार की टीम वहां से बचकर निकल गई लेकिन बाद में करीब 20 आरोपियों को नामजद किया गया और इनमें से 7 को अलग-अलग ठिकानों से गिरफ्तार भी कर लिया गया।

मंगलवार को बलरामपुर रामानुजगंज जिले में इसी तरह की एक और घटना हो गई। गश्त पर निकले राजपुर के प्रधान आरक्षक और तीन सिपाहियों पर नक्की गांव में सुबह 4 बजे तब हमला कर दिया गया, जब वे एक शादी समारोह में बज रहे डीजे को रोकने के लिए गये। एक सिपाही का इस हमले में सिर फट भी गया। दोनों मामलों में लाठी-डंडों का जमकर इस्तेमाल किया गया और न केवल पुरुष बल्कि महिलाएं और बच्चे भी इन हमलों में शामिल थे। अम्बिकापुर में एक हवलदार की कार को थाने में घुसकर जलाने की घटना भी चर्चा में है। इस मामले में तो हवलदार का रो रोकर अपने अधिकारी की शिकायत करते हुए वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें जांच का आदेश भी पीएचक्यू से जारी हो गया है। इन घटनाओं को गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले की उस घटना के साथ भी जोड़ा जा सकता है जब टीका लगवाने के लिए पुलिस ग्रामीणों को घर से निकालने की कोशिश करती है पर महिलाएं उनसे उलझ रही हैं। आए दिन छत्तीसगढ़ में इस तरह की घटनाएं सामने आती है जब पुलिस और आम लोगों के बीच विवाद, हमले और मारपीट में बदल रहे हैं।

प्रदेश के आला अधिकारियों को इन मामलों की गंभीरता का अंदाजा तो होगा ही। अक्सर यह बात की जाती है की पुलिस और जनता के बीच विश्वास बढऩा चाहिए। यदि कोई व्यक्ति या समूह जाने अनजाने में कानून का उल्लंघन करता है तो फिर उन्हें रोकने वाली पुलिस पर लोगों का गुस्सा क्यों फूट जाता है? कानून व्यवस्था की स्थिति बनाये रखने के लिये पुलिस और जनता के बीच संवाद और आपसी विश्वास की बात अक्सर की जाती है। हर जिले में कमान संभालने वाले पुलिस के मुखिया का पहला वक्तव्य यही होता है। पर जिस तरह एक के बाद एक घटनायें सरगुजा से सामने आई है, हालात विपरीत दिखायी दे रहे हैं।

मंहगे पेट्रोल में वैक्सीनेशन के लिये दौड़

राज्य के अधिकांश जिलों में 18 प्लस टीकाकरण का काम रुक चुका है। कल दो लाख टीकों की खेप आने की खबर पहुंची तो कई जिलों ने आज के लिए ऐलान कर दिया कि टीके लगाना जारी रहेगा। पर कंपनी ने कह दिया कि ये इंजेक्शन तो 45 प्लस वालों के लिए है। इसे केन्द्र ने भेजा है। राज्य की डिमांड वाली डिलवरी नहीं है।

18 प्लस के लिए टीकों का इंतजाम राज्यों को खुद करना है। अभी पहले चरण के लिए ही टीके नहीं मिल पा रहे हैं। 45 साल से ऊपर के लोग भी लाखों में हैं जिनको दूसरा डोज लगवाना है। 82 दिनों का गैप मिलने से इस श्रेणी के लिए अभी डिमांड कुछ कम तो हुई है, पर उसे भी ज्यादा दिनों के लिये कैसे टालेंगे।

18 प्लस वाले तो इस बात से भी दुखी है कि पेट्रोल के दाम इन दिनों बढ़ रहे हैं और उन्हें एक के बाद दूसरे सेंटर में गाड़ी दौड़ानी पड़ रही है। युवाओं का सारा जेब खर्च इसी दौड़ धूप में निकल रहा है।

लॉकडाउन के खत्म होते ही बारिश...

कोरोना काल में अभयारण्य बंद होने के कारण वहां की हरियाली भी बढ़ी होगी, वन्य जीवों को भी फलने-फूलने का अच्छा मौका मिल गया होगा, पर इन्हें देखने का मौका नहीं मिलने वाला है। कोरोना महामारी की रफ्तार ऐसे मौके पर कम हुई है जब बारिश का सीजन शुरू होने वाला है। 15 जून के आसपास सारे अभयारण्य बंद कर दिए जाते हैं क्योंकि यह वन्य प्राणियों के प्रजनन का काल माना जाता है, फिर कच्ची सडक़ों से जंगल के भीतर घूमना-फिरना भी मुश्किल होता है।

लोग जब गर्मियों की शुरुआत में जंगलों की ओर भागना चाहते थे तब कोरोना का तेजी से प्रकोप फैला और सारे पर्यटन स्थल तथा अभ्यारण बंद कर दिये गये। अब जब लॉकडाउन में ढील दे दी गई है तब अभयारण्य के बंद होने का समय आ गया है। एक वन अधिकारी का कहना है कि अगर प्रशासन इन अभयारण्यों को चालू करने की अनुमति दे तब भी विश्रामगृह, पर्यटक स्थलों के रास्ते और वहां काम करने वाले स्टाफ इन सब की व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो रखी है। अब तो नवंबर का ही इंतजार करना पड़ेगा, बशर्ते तीसरी लहर का लॉकडाउन न हो। 

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