राजपथ - जनपथ
जोगी को याद किया जाना
कसडोल की कांग्रेस विधायक शकुंतला साहू के सोशल मीडिया पोस्ट आये दिन ध्यान खींच लेते हैं। यह पोस्ट कुछ दिन पुरानी है पर प्रासंगिक है। प्रथम मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी की प्रथम पुण्यतिथि पर विभिन्न राजनैतिक दलों और साथ काम कर चुके ज्यादातर नेताओं ने जब उनका स्मरण करने की जरूरत नहीं समझी विधायक साहू ने याद किया। उनको याद करना सहज है, स्वाभाविक भी। पर इसका राजनैतिक असर कितना होगा वे जानें। वैसे जिन्होंने ध्यान नहीं दिया वे जान लें कि जोगी जिसे दुश्मन नंबर वन समझते थे, उन भूपेश बघेल ने भी श्रद्धांजलि पोस्ट की थी, जिसके शब्द गौर करने लायक थे।
बैंड बाजे पर पाबंदी
कुछ जिलों में लॉकडाउन ढील के साथ 7 जून तक बढ़ाया गया है पर ज्यादातर जिले 1 जून से खुल गये हैं। सारी सेवाएं लगभग अनलॉक हो चुकी हैं। कुछ लोग अभी इंतजार कर रहे हैं कि छूट का फायदा मिल रहा है तो सबको मिलना चाहिए। अब शादी के ही मामले को ले लीजिए, अनुमति दे दी गई है 50 लोगों की। शादी तो होगी मगर बैंड बाजा के बगैर। बाजा बजाने वालों को अभी छूट नहीं है। शादी का माहौल तो बैंड बाजे से ही बनता है। सैकड़ों लोगों की रोटी इस धंधे से जुड़ी हुई है। इन लोगों ने सरकार से गुहार लगाई है कि जब सबको छूट मिल रही है तो बैंड बाजे से क्यों परहेज रखा जा रहा है। प्रशासन को लगता होगा, बैंड बाजे से खतरा कम है, पर ज्यादा नागिन डांस वाले कोरोना फैला सकते हैं।
मानसून की आहट
इस बार मौसम का मिजाज कुछ बदला हुआ था। गुजरात और आंध्र प्रदेश की ओर से दो-दो तूफान आ गये। असर ऐसा रहा कि तापमान बार-बार गिरा। वैसे भी घरों में लोग लॉकडाउन के चलते घुसे हुए थे। इसलिए सूरज की तपिश ज्यादातर लोगों ने महसूस नहीं की। रायपुर और बिलासपुर का अधिकतम तापमान 44 डिग्री तक ही पहुंच पाया, जो इससे भी तीन डिग्री ऊपर जाता रहा है। अब बात बारिश की होने लग गई है। मौसम विभाग की सूचना है कि मानसून की आहट हो चुकी है। अगले 24 घंटे में केरल और कर्नाटक के तट पर बारिश होने वाली है। ट्रेन्ड रहा है कि दक्षिण में मानसून पहुंचने के 7 दिन के भीतर यह छत्तीसगढ़ भी पहुंच जाता है। यानि 7-8 जून तक हम मानसून आने का अंदाजा कर सकते हैं जो आमतौर पर 15 जून के बाद आता है।
बिना टीका लगाये लाइन पर
तो तय हो गया कि 12वीं की परीक्षा घर बैठकर देनी है। उत्तर पुस्तिकाएं लेने के लिए स्कूलों में कतार लगी। ज्यादातर केंद्रों में सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल किसी ने नहीं किया। न छात्रों ने, अभिभावकों ने और न ही स्कूल के प्रबंधकों ने। यह लापरवाही कोरोना फैलाने में कितनी मदद करेगी, कुछ दिन के बाद मालूम हो सकेगा। ऐसी ही कतार उत्तर पुस्तिकाओं को जमा करने के लिये भी लगने वाली है। पर एक सवाल अधूरा रह गया जिसमें दिल्ली, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने मांग की थी कि 12वीं के बच्चों को पहले कोरोना वैक्सीन लगाई जाये, फिर घर से बाहर निकलने की इजाजत दी जाये। यह सही है कि ज्यादातर बच्चे 18 साल से कम उम्र के हैं पर इस उम्र तक पहुंचने वाले तो हैं ही। जिस तरह से बहुत से वर्गीकरण करते हुए टीका लगाने की प्राथमिकताएं तय की गई हैं, इन छात्रों को भी मौका दिया जा सकता था। खासकर तब जब अगली लहर को बच्चों के लिये ज्यादा घातक बताया जा रहा हो।