राजपथ - जनपथ
महिलाओं के नाम दो उपलब्धियां
कोरोना की दूसरी लहर में हर तरफ से आ रही चिंता बढ़ाने वाली ख़बरों के बीच छत्तीसगढ़ को महिला शक्ति से जुड़ी दो उपलब्धियां हासिल हुईं। बस्तर जिले के एकटागुड़ा गांव की नैना सिंह धाकड़ का एवरेस्ट फतह करना और लैंगिक समानता में छत्तीसगढ़ को नीति आयोग द्वारा पहले स्थान रखा जाना काफी महत्व रखता है।
आम तौर पर प्रदेश में पर्वतारोहण की ओर रुझान कम रहा है। ऐसे में सुदूर बस्तर से आने वाली नैना की उपलब्धि युवाओं को प्रेरित करेगी। नैना का कहना है कि बार-बार मौसम की वजह से परेशानी हुई पर एक जून को आखिरकार सबसे ऊंची चोटी पर पहुंच गईं। अफवाहें भी फैलाई गई कि वे बीमार पड़ गई हैं।
नीति आयोग ने अनेक योजनाओं में महिलाओं की अच्छी भागीदारी का जिक्र तो किया है लेकिन अभी कोरोना काल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और मितानिनों की भूमिका का भी उल्लेख होना जरूरी है। लोगों को बीमारियों से बचाने के लिये दवायें बांटना, वैक्सीन के लिये जागरूकता करना, घर-घर जाकर मरीजों का पता करना, स्कूली बच्चों के घर तक सूखा राशन पहुंचाना कुछ ऐसे काम थे जो कठिन थे।
ऐसे तो विपक्ष धारदार नहीं हो सकता
भाजपा के राष्ट्रीय नेता, जिन्हें प्रदेश का प्रभार मिला है विपक्ष के रूप में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन को लेकर आगाह कर चुके हैं। पर यह आक्रामकता किस तरफ मुड़ जाये और अप्रिय स्थिति पैदा कर दे, कह नहीं सकते। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के उस बयान की आलोचना हो रही है जिसमें उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस महंगाई को राष्ट्रीय आपदा मानती है तो वे खाना-पीना और पेट्रोल भरवाना बंद कर दें, महंगाई कम हो जायेगी। जाहिर है बयान सही नहीं है। यदि किसी ने खाना-पीना बंद कर दिया तो हश्र क्या होगा यह बताने की जरूरत नहीं है। बृजमोहन अग्रवाल ने अब से करीब पांच साल पहले भाजपा के मंच से कार्यकर्ताओं से कहा था कि जो भारत माता की जय नहीं बोले, उसका जबड़ा तोड़ दो। बीते लोकसभा चुनाव में कोरबा में एक सभा को सम्बोधित करते हुए कहा था कि ‘नामर्द’ कांग्रेसियों ने अक्षरधाम और मुम्बई हमले के बाद कुछ नहीं बोला। वैसे किसी एक दल या एक नेता की बात नहीं है। जबान फिसलती रहती है। पर कितनी बार?
देर से आये पर दुरुस्त भी नहीं आये
अब जब कोविड सेंटर्स खाली होने लगे हैं, छत्तीसगढ़ योग आयोग का ध्यान गया है कि लोगों को योग सिखाया जाये। हालांकि कोविड से छुटकारा पाने के बाद भी लोगों की सेहत सुधरने में समय लगता है इसलिये अब शुरू किया गया है तब भी गलत नहीं। पर दिक्कत यह है कि ये क्लासेस ऑनलाइन चल रही है। यू ट्यूब पर कल इसके कुल दर्शक मिले 117- यानि बेहद कम। फेसबुक में भी ऑनलाइन स्ट्रीमिंग की जा रही है, जिन्हें हर बार 15-20 लोगों ने लाइक किया है। वैसे यह क्लासेस एक साल तक चलेगी। इसके अलावा योग आयोग के सोशल मीडिया पेज पर यह सुरक्षित भी रहेगा, जिन्हें बाद में भी देखा जा सकता है। इसलिये आगे दर्शक बढ़ भी सकते हैं। अच्छी बात यह भी है कि योग आयोग आयुर्वेदिक दवाओं की दुकान सजाकर नहीं रखता। पर कोविड सेंटर में योग क्लास प्रत्यक्ष चलाने के बारे में आयोग ने विचार किया होता तो शायद ज्यादा लोग लाभ उठा पाते। इधर कुछ कोविड सेंटर में प्रत्यक्ष क्लासेस चल रही है। इसे डॉक्टर और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी अपनी खुद की प्रेरणा से चला रहे हैं। तस्वीर पत्थलगांव के कोविड सेंटर्स की है।