राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ :रेणु जोगी और सोनिया गांधी
10-Jun-2021 5:36 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ :रेणु जोगी और सोनिया गांधी

रेणु जोगी और सोनिया गांधी

खबर है कि दिवंगत पूर्व सीएम अजीत जोगी की पत्नी, और कोटा विधायक डॉ. रेणु जोगी की पिछले दिनों सोनिया गांधी से चर्चा हुई है। रेणु जोगी का गुडग़ांव के मेदांता अस्पताल में ऑपरेशन हुआ था, और इसके बाद सोनिया ने उनका हालचाल पूछा। बात यहीं खत्म नहीं हुई। हल्ला यह भी है कि रेणु जोगी, रायपुर आने से पहले सोनिया गांधी से मिलने भी गई थीं। इसके बाद राजनीतिक गलियारों में रेणु जोगी के कांग्रेस में शामिल होने की एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई।

यह बात किसी से छिपी नहीं है कि रेणु जोगी के सोनिया गांधी से हमेशा मधुर संबंध रहे हैं। अजीत जोगी के जीवित रहने के दौरान कांग्रेस प्रवेश का हल्ला उड़ता रहा। लेकिन कांग्रेस के स्थानीय नेता जोगी परिवार को कांग्रेस में शामिल करने के विरोध में रहे हैं। जोगी पार्टी के विधायक भी कांग्रेस में शामिल होने के मसले पर बंटे हैं।

देवव्रत, और प्रमोद शर्मा तो कांग्रेस के साथ हैं, लेकिन विधायक दल के नेता धर्मजीत सिंह इसके खिलाफ हैं। धर्मजीत सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि वे किसी भी दशा में कांग्रेस में नहीं जाएंगे। खैर, दिल्ली से लौटने के बाद अमित जोगी ने ट्विटर पर जिस अंदाज में भूपेश सरकार पर हमला बोला है, उससे तो जोगी परिवार के सदस्यों के कांग्रेस प्रवेश की संभावना नहीं दिख रही है। आने वाले दिनों में क्या कुछ होता है, यह देखना है।

सोनमणि की रिलीविंग में देर

आईएएस अफसर सोनमणि बोरा की केन्द्र सरकार में पोस्टिंग तो हो गई है, लेकिन वे अभी तक रिलीव नहीं हुए हैं। उनकी केन्द्र सरकार में  संयुक्त सचिव भू-प्रबंध के पद पर पोस्टिंग हुई है। उनकी रिलीविंग के लिए 15 दिन पहले ही पत्र सीएस को आ गया था। सीएस ऑफिस ने उन्हें रिलीव करने के लिए फाइल बढ़ा भी दी है। मगर अभी तक रिलीविंग की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। बोरा के पास वैसे भी ज्यादा कोई कामधाम नहीं है। उनके पास सिर्फ संसदीय कार्य विभाग है। कहा जा रहा है कि राज्य सरकार की अनापत्ति के बिना ही केन्द्र में पोस्टिंग मिल गई। मगर अब रिलीविंग में देरी हो रही है, तो कई तरह की चर्चा शुरू हो गई है।

रिटायरमेंट के बाद...

जनसंपर्क सचिव डीडी सिंह इसी महीने रिटायर होने वाले हैं। अगले महीने राजस्व मंडल के चेयरमैन सीके खेतान का रिटायरमेंट है। दोनों अफसरों के पुनर्वास को लेकर भी प्रशासनिक हलकों में कयास लगाए जा रहे हैं। यह माना जा रहा है कि डीडी सिंह को कुछ न कुछ दायित्व मिलेगा। वजह यह है कि उनके साथ काम कर चुके मंत्री-सीनियर अफसर उनकी तारीफ करते नहीं थकते हैं।

खेतान सबसे सीनियर होते हुए, और भारत सरकार में काम का तजुर्बा रहते हुए भी सीएस नहीं बन पाए थे, अब सरकार और खेतान के दिमाग़ में क्या है इसकी खबर नहीं।

कई और अफसर ऐसे हैं, जिन्हें रिटायरमेंट के बाद कुछ नहीं मिला। जिनमें एसीएस रह चुके केडीपी राव, नरेन्द्र शुक्ला, निर्मल खाखा शामिल हैं। अलबत्ता, सुरेन्द्र जायसवाल और हेमंत पहारे को संविदा नियुक्ति मिली थी। बाद में उनकी संविदा अवधि पूरी होने के बाद कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाया गया। यह भी सच है कि रिटायरमेंट के बाद हर किसी को पद देना मुश्किल है। मध्यप्रदेश में तो ज्यादातर को रिटायरमेंट के बाद कुछ नहीं मिलता।

पैर छूने पर कलेक्टर का प्रसन्न हो जाना

कोरिया जिले के कलेक्टर श्याम धावड़े का वैसे भी स्वागत हो रहा है क्योंकि एस एन राठौर को हटाने के बाद उन्हें लाना सत्तापक्ष से जुड़े कई नेताओं को अपनी उपलब्धि के रूप में दिखाई दे रहा है। राठौर का तबादला होने पर इन्होंने आतिशबाजी भी की थी। अब नये कलेक्टर धावड़े भी चर्चा में हैं। पदभार ग्रहण करने जब वे बैकुंठपुर पहुंचे तो कार से उतरते ही जिले के केल्हारी के तहसीलदार मनोज पैकरा ने उनका पैर छू लिया। कलेक्टर ने भी उन्हें खुश रहने का आशीर्वाद दिया। इस घटना की फोटो वायरल हो गई तो तहसीलदार पैकरा ने सफाई दी कि वे गरियाबंद जिले में साहब के साथ काम कर चुके हैं और वह उन्हें अपना बड़ा भाई मानते हैं।

वैसे बहुत से आईएएस हैं जो इस तरह की हरकत को चापलूसी भी मानते हैं और वह सार्वजनिक रूप से तो कम से कम पैर छूने को सही नहीं मानते। वे आशीर्वाद देने के बजाय डपट भी देते हैं। फिलहाल तो ऐसा दिख रहा है कि बाकी अधिकारियों को भी आइडिया मिल गया है कि कलेक्टर यदि नाराज हों तो उन्हें कैसे प्रसन्न किया जा सकता है।

अब शायद प्रतीक्षा खत्म होने वाली है...

कोरोना की रफ्तार जैसे ही धीमी हुई प्रदेश में प्रशासनिक सर्जरी की गई। अब खबर है कि विभिन्न निगमों, मंडल और आयोग में खाली पदों को भरने का निर्णय लिया जा चुका है और अगले सप्ताह से नियुक्तियों का सिलसिला शुरू हो चुका है। काफी दिनों से कांग्रेस की जीत के लिए पसीना बहाने वाले नेता-कार्यकर्ता उम्मीद कर रहे हैं कि अब कोई अड़चन नहीं आयेगी। सत्ता और संगठन के बीच नामों पर सहमति बन चुकी है। इन नियुक्तियों में वरिष्ठ विधायक जिन्हें मंत्री नहीं बनाया सका और कुछ पूर्व विधायक तथा वरिष्ठ नेता जो टिकट से वंचित रह गये थे, उन्हें भी शामिल किये जाने की चर्चा है। जो लोग फिर भी एडजस्ट नहीं किये जा सकेंगे उनको संगठन में जिम्मेदारी दी जायेगी। नियुक्तियां पाने वालों के पास अपना परफॉर्मेंस दिखाने के लिए करीब दो साल का वक्त रहेगा, उसके बाद प्रदेश चुनावी मोड में चला जायेगा। देखना यही होगा कि इन नियुक्तियों से सबको संतुष्ट किया जा सकेगा या नहीं जो कांग्रेस में प्राय: मुमकिन दिखाई नहीं देता।

ब्राह्मण वोटों का महत्व..

बहुतों को यह पहली बार पता चला कि कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल होने वाले पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ब्राह्मण है और पार्टी को इसी का फायदा मिलेगा। यूपी में एक संगठन ब्राह्मण चेतना परिषद् है जिसके संरक्षक (पंडित) जितिन प्रसाद हैं। लगता है इस संगठन का कामकाज उनके मार्गदर्शन में ही चल रहा है। वाट्सएप के जमाने में वहां का एक प्रेस नोट जरूर घूमते-घूमते यहां तक पहुंच गया है, जिसमें उन्नाव के जिला अध्यक्ष ने उनके भाजपा में शामिल होने के विरोध में संगठन से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह लिखा है कि भाजपा ब्राह्मण विरोधी पार्टी है और उसी में हमारे संरक्षक शामिल हो गये।

वैसे यूपी के कांग्रेस अध्यक्ष का भी बयान आया है कि वहां प्रियंका गांधी से बड़ा कोई ब्राह्मण चेहरा नहीं है। भाजपा को तो कभी दुविधा नहीं रही पर कांग्रेस में खुद की धर्मनिरपेक्ष छवि को बचाये रखने और उदार हिन्दू दिखने के बीच उलझन बनी रहती है। अपने छत्तीसगढ़ में अनेक कांग्रेस नेता धर्माचार्यों के अनुयायी हैं इसका सार्वजनिक प्रदर्शन भी करते हैं। इसका असर भी देखने में मिला है। लोग मानते हैं कि बीते चुनाव में बिलासपुर सीट पर कांग्रेस की जीत का एक यह बड़ा कारण था। वैसे अतीत के और लोकसभा, विधानसभा चुनावों के नतीजों से माना जा सकता है कि हर बार यह दांव काम नहीं करता। 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news