राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : किसका टाइम आएगा?
21-Jun-2021 6:12 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : किसका टाइम आएगा?

किसका टाइम आएगा? 

मोदी कैबिनेट में जल्द फेरबदल के आसार हैं। चर्चा है कि छत्तीसगढ़ से कम से कम एक मंत्री बनाया जा सकता है। कुछ सांसद इसके लिए  अपने संपर्कों के जरिए प्रयास भी कर रहे हैं। प्रदेश से एकमात्र मंत्री रेणुका सिंह आस में पिछले दो हफ्ते से दिल्ली में ही डटी हैं। पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह की दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से अकेले में मुलाकात की खबर है। 

कुछ लोगों का अंदाजा है कि रमन सिंह, दुर्ग सांसद विजय बघेल का नाम सुझा सकते हैं। दिल्ली से छनकर आ रही खबरों के मुताबिक राज्यसभा सदस्य सरोज पांडेय मंत्री बनने की रेस में सबसे आगे हैं। यही नहीं, बिलासपुर सांसद अरुण साव, और रायपुर सांसद सुनील सोनी का नाम भी चर्चा में है।

सिर्फ अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रमेश बैस, और दिलीप सिंह जूदेव को मौका मिला था। इसके बाद छत्तीसगढ़ के एक ही मंत्री लिए जाते रहे हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी विष्णुदेव साय अकेले मंत्री थे। अब चूंकि प्रदेश में सरकार नहीं है, इसलिए उम्मीद है कि एक से अधिक को जगह मिल जाए। 

रेल का समीकरण 
राज्य बनने के बाद सरगुजा के भाजपा सांसद रेल सुविधाओं के विस्तार पर जोर देते रहे हैं। नंदकुमार साय की इच्छा थी कि रेल लाइन के जरिए अंबिकापुर, झारखंड, और ओडिशा से जुड़ जाए। मुरारीलाल सिंह, और कमलभान सिंह भी रेल सुविधाओं के विस्तार के लिए प्रयासरत रहे। मगर उनके प्रस्तावों को गौर नहीं किया गया। रेणुका सिंह ने रेल सुविधाओं को बढ़ाने के लिए एक नया दांव चला है। 

उन्होंने सारे पुराने प्रस्ताव से परे अंबिकापुर को रेणुकूट से जोडऩे की मांग की है। यूपी के सोनभद्र जिले का रेणुकूट एक बड़ा स्टेशन है, और यहां तक रेल सुविधा शुरू होने से अंबिकापुर से बनारस तक का सफर आसान हो जाएगा। और इससे व्यापार में भी बढ़ोत्तरी होगी। बनारस, पीएम का संसदीय क्षेत्र है, और यहां के विकास कार्यों को लेकर केन्द्र सरकार संवेदनशील रहती है। रेणुका से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि कम से कम बनारस के नाम से रेल सुविधा बढ़ सकती है।

प्रधानमंत्री मोदी के फोन के नाम पर
सरकारी नौकरी का आकर्षण ऐसा होता है कि लोग आसानी से ठगी के शिकार हो जाते हैं। जो लोग ठगी करते हैं उनके पास मंत्रियों व शीर्ष अधिकारियों के लेटर हेड होते हैं। कई मोबाइल फोन होते हैं। अच्छे कपड़े और अच्छी गाडिय़ों में घूमते हैं और दफ्तर भी ऐसा बनाकर रखते हैं कि लोगों को उनकी ऊंची पहुंच का विश्वास बना रहे। सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले के अंतर्गत शंकरगढ़ थाने में इस महीने की शुरुआत में नौकरी के नाम पर ठगी के शिकार हुए कुछ पीडि़तों ने शिकायत दर्ज कराई। मामला करोड़ों की ठगी है और शिकार लोगों की संख्या 80 के आसपास हो सकती है। हालांकि जिन लोगों ने पुलिस में शिकायत की, उन्होंने अपनी गंवाई हुई रकम 28 लाख रुपये ही बताई है।

सामने यह बात आई है कि इसमें आरोप उस शख्स पर भी है जिसके पास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बीते साल फोन आया था। पिछले साल इस घटना की सरगुजा की मीडिया में खूब चर्चा भी हुई। इस फोन काल के बाद उस शख्स का रुतबा एकाएक बढ़ गया और उन्हें लोग ऊंची पहुंच वाले मानने लग गये। प्रधानमंत्री के एक फोन से उस व्यक्ति के दिन तो फिर गये पर उनके नाम पर ली गई राशि से कई पीडि़त अपनी जमीन जायजाद, नौकरी के लालच में गंवा डाले, या कर्जदार बन गये। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री का फोन, वाले रुतबे की वजह से ही पुलिस भी शिकायत की आगे जांच करने में झिझक रही है। एक पखवाड़े से अधिक हो गये, पुलिस की कोई कार्रवाई दिखाई नहीं दे रही है।

ढाई साल पूरे होने के बाद की चर्चा
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों ने ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर बार-बार सफाई दी। पर कुछ होने वाला तो नहीं, इसे लेकर जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं में चर्चा चली हुई थी। भाजपा ने तो कह दिया था कि 17 जून को कुछ बड़ा होने वाला है। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस की ओर से भी आरोप लगाये गये। 17 जून और उसके तीन दिन बाद तक कुछ नहीं हुआ। 20 को बदलाव हुआ। कुछ बड़ा सा। जिलों में प्रभारी मंत्रियों की सूची देखिये, किसका वजन बढ़ा, किसका कद घट गया यह समझने के लिये दिमाग पर ज्यादा जोर नहीं डालना पड़ेगा। अब ज्यादातर चर्चा इस फेरबदल की ही हो रही है। यह भी निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि आलाकमान ने ढाई साल पूरा होने के बाद मुख्यमंत्री को ज्यादा फ्री कर दिया है।  

उत्कृष्ट विद्यालय की शुरुआती अंग्रेजी
स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूलों का इन दिनों बड़ा क्रेज है। इन स्कूलों की बिल्डिंग, सीटिंग अरेंजमेंट, स्मार्ट क्लासेस, स्मार्ट लैब, प्ले ग्राउंड का लोगों में आकर्षण बना हुआ है। महंगे पब्लिक स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले अभिभावकों को यह रौनक भा रही है। यही वजह है कि ज्यादातर स्कूलों में भर्ती के लिये निर्धारित सीटों से तीन-चार गुना तक आवेदन आये हैं। पर एक शंका बहुत लोगों के मन में बैठी हुई है कि जैसी बिल्डिंग, जैसा लैब दिखाई दे रहा है, क्या पढ़ाई का स्तर भी उसी तरह ऊंचा रहेगा?  इस आशंका को तब और बल मिल गया जब रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी की पोर्टल पर शिक्षकों की भर्ती के लिये ऑनलाइन आवेदन मंगाये गये। जो आवेदन पत्र भरना था, उसमें अंग्रेजी के साधारण से शब्दों फादर, रेसिडेंसियल जैसे शब्दों का गलत व्याकरण था। अंग्रेजी स्कूल के लिए यह स्थिति हास्यास्पद हो गई। यह खबर मीडिया में आ गई तब अधिकारियों का ध्यान गलती पर गया। अब आनन-फानन गलतियों को सुधार लिया गया है। मान कर चलें कि ये लोग भी अंग्रेजी अभी सीख रहे हैं। लापरवाही से शुरू में गलती हो गई होगी, पर धीरे से स्कूल को नाम के अनुरूप उत्कृष्ट बनाया जा सकेगा।

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