राजपथ - जनपथ
विधायक की अपनी टीम बन रही
बिलासपुर में विधायक शैलेष पांडेय ने एक पुराना वीडियो जारी कर बताया कि जिस आरक्षक की शिकायत पर उनके ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मोती थावरानी को जेल भेजा गया वह सिपाही खुद भी शराब पीकर मोहल्ले में लोगों को आतंकित करता था। वीडियो जारी होने के बाद भी पुलिस टस से मस नहीं हुई। बताया कि यह दो साल पुराना मामला था, एफआईआर हुई थी। पर यह नहीं बताया कि क्या सजा उसे हुई, यदि फैसला आना बाकी है तो कब उसे लाइनअटैच किया गया, उसे वापस कैसे ड्यूटी पर लिया गया ? विधायक अपने कार्यकर्ता के लिये बिलासपुर में अकेले लड़ाई लड़ रहे हैं। प्रदेश स्तर पर विधायक की संगठन में पकड़ नहीं होती तो थावरानी अब तक पार्टी से लाइनअटैच किये जा चुके होते। पर बिलासपुर में अजीब माहौल है। विधायक छोडक़र बाकी कोई भी नेता न तो थावरानी के खिलाफ कोई कुछ बोल रहा है, न ही उसके समर्थन में। विधायक ने भी तारबाहर थाने में थावरानी की शिकायत पर कार्रवाई नहीं होने पर जो हंगामा किया, उस पर भी कांग्रेस चला रहे गुट की कोई प्रतिक्रिया नहीं है। लगता है खामोश रहना तय कर लिया गया है। बिसात अगले चुनाव की बन गई है जिसमें शैलेष पांडे को दावेदारी से बाहर करना है। पर, दूसरी ओर पांडे ने इस घटनाक्रम में सहानुभूति बटोर ली है। उनकी एक अलग टीम बन रही है। यह टीम कितनी सशक्त होगी आने वाले दिनों में देख सकते हैं।
सरकार के साथ विपक्ष !
भूपेश सरकार के खिलाफ भाजपा प्रदेशभर में माहौल बनाने की कोशिश में जुटी है, लेकिन पार्टी के कई बड़े नेता जाने अनजाने में सरकार की तारीफ कर मुहिम को झटका दे देते हैं। पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर, और दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय कई बार भूपेश सरकार की तारीफ कर चुके हैं। इसी कड़ी में कांकेर सांसद मोहन मंडावी, और बिलासपुर सांसद अरुण साव का नाम भी जुड़ गया है।
पिछले दिनों सीएम जिलों में वर्चुअल बैठक कर धान के बदले वृक्ष लगाने की योजना पर चर्चा कर रहे थे, तो दोनों सांसदों ने सरकार की इस योजना की तारीफ की। उनका कहना था कि इस योजना से किसानों की आय में बढ़ोत्तरी होगी। अब विपक्षी नेता सरकार की तारीफ करेंगे, तो सत्ता पक्ष के लोगों का खुश होना लाजमी है।
वैक्सीनेशन के लिये जागरूकता
कोविड वैक्सीनेशन पर जागरूकता लाने का काम शुरू हो चुका है। इस विषय पर बलौदाबाजार जिले के कलेक्टर ने स्व-सहायता समूह, स्कूल समन्वयकों, प्राचार्यों और जन-प्रतिनिधियों की बैठक ली। इसी जिले के कसडोल में एसडीएम ने बैठक ली। महासमुंद में भी कलेक्टर ने बैठक ही नहीं ली बल्कि टीकाकरण केन्द्रों में जाकर टीका लगवाने वालों से अपील की कि वे अपने आसपास के दूसरे लोगों को भी टीका लगवाने के लिये प्रेरित करें। इस तरह की ख़बरें कुछ और जिलों से भी हैं। जागरूकता की गतिविधियां तब ज्यादा तेज हुई है जब केन्द्र सरकार ने सभी के लिये मुफ्त टीका लगाने की घोषणा की और टीके पहुंच भी रहे हैं। इसके पहले जब टीकों की आपूर्ति धीमी थी, जागरूकता की कोशिश नहीं की गई। तब समस्या थी कि यदि लोगों से टीका लगाने की अपील करेंगे तो फिर वे टीके की मांग भी करेंगे, जो पहले जरूरत के मुताबिक उपलब्ध नहीं थे।
ऊपर भी भूत, नीचे भी भूत
कुछ लोग अपने भूतकाल के सपनों में इस कदर खोए रहते हैं कि उन्हें मौजूदा वर्तमान नहीं दिखता और भविष्य तो मानो उनके लिए रहता ही नहीं है। अभी राजधानी रायपुर में एक प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के सामने रोज खड़ी होने वाली एक बड़ी सी आलीशान गाड़ी के सामने लगी हुई चमचमाती तख्ती को पढ़ते हुए कुछ स्कूली बच्चियां साइकिल पर निकलीं। उनमें से एक ने इस तख्ती को पढ़ा ‘भूतपूर्व मंत्री’ । और आपस में हंसती हुई आगे निकल गई कि जिस पेड़ के नीचे कार खड़ी है उस पर उस पेड़ पर भी भूत रहता है और नीचे कार के भीतर भी।
अब सवाल यह है कि क्या भूतपूर्व मंत्री का वर्तमान कुछ भी नहीं है? क्या फिर यह चौराहों पर पुलिस को दिखाने के लिए लगाई गई तख्ती रहती है जिसमें लोग अपने भूतपूर्व ओहदे या किसी संगठन के पदाधिकारी होने का जिक्र करते हैं? ट्रैफिक के नियमों के मुताबिक ऐसी कोई भी तख्ती लगाना जुर्माने के लायक है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस भी जानती है कि किसके मुंह लगा जाए और किसके मुंह न लगा जाए। कौन किसी ताकतवर की गाड़ी रोक कर अपना बस्तर तबादला करवाना चाहेंगे। इसलिए ताकत का यह प्रदर्शन जारी रहता है।