राजपथ - जनपथ
अब क्या शिकायत करें...
भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री सुनील देवधर के यहां दौरे को लेकर पार्टी के विशेषकर असंतुष्ट नेता काफी खुश थे। देवधर वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने उत्तर-पूर्व में पार्टी को खड़ा किया, और त्रिपुरा में सरकार बनवाई। देवधर के आने के पहले असंतुष्टों ने संगठन में हावी नेताओं के खिलाफ गुपचुप तरीके से शिकवा-शिकायतों की तैयारी की थी। वे यहां पहुंचे, तो उनका अच्छा सत्कार भी हुआ।
स्वागत से अभिभूत देवधर ने मोदी सरकार की उपलब्धियों को गिनाया, और छत्तीसगढ़ में पार्टी की स्थिति पर यह कह गए कि सौदान भाई साहब से पूरी जानकारी मिलती रहती है। बस फिर क्या था, असंतुष्ट नेता मायूस हो गए, और शिकायत करने का इरादा छोड़ दिया। दरअसल, असंतुष्टों ने जिनके खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा तैयार किया था वे सभी सौदान सिंह के करीबी माने जाते हैं। ऐसे में शिकायत सौदान सिंह तक पहुंचने का खतरा पैदा हो गया था, जो कि असंतुष्ट नहीं चाहते थे।
देर न हो जाए कहीं देर ना हो जाए
निगम-मंडलों की सूची में देरी से दावेदारों का धैर्य जवाब देने लग गया है। इन्हीं में से एक प्रदेश कांग्रेस के सचिव शिव सिंह ठाकुर ने देर न हो जाए कहीं देर ना हो जाए...। गाना गाकर फेसबुक पर पोस्ट किया है। उन्होंने सीएम भूपेश बघेल के तस्वीर के साथ फेसबुक पर गाना पोस्ट किया है। ठाकुर का यह गाना पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
शिव सिंह ठाकुर झीरम घाटी हमले में घायल हुए थे। वे पार्टी संगठन की कई कमेटियों में रहे, और उन्हें सीएम भूपेश बघेल का करीबी माना जाता है। उन्हें निगम-मंडल में जगह मिलने की संभावना भी है। मगर सरकार का आधा कार्यकाल पूरा हो चुका है। सूची में देरी से दावेदारों में बेचैनी बढ़ रही है, और शिव सिंह ठाकुर जैसे लोग गाना गाकर अपनी भावनाओं का इजहार कर रहे हैं।
बिन वैक्सीन सब सून
केंद्र सरकार की इस बात पर बड़ी चर्चा हो रही थी कि जैसे ही टीकाकरण का काम उसने अपने हाथ में लिया रफ्तार बढ़ गई, मगर अब स्थिति डांवाडोल हो रही है। छत्तीसगढ़ में प्रत्येक दिन चार-पाँच लाख से अधिक टीके लगाने की क्षमता है और हर दिन करीब 2 लाख टीके लगाए जा रहे हैं। पर अब वैक्सीन खत्म हो रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मोदी को सीधे चि_ी लिखी है और कम से कम एक करोड़ डोज की मांग की है। स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव का कहना है कि यदि पर्याप्त संख्या में टीके नहीं मिलते हैं तो वैक्सीनेशन का अभियान सप्ताह में सिर्फ 4 दिन चलाना पड़ेगा। जब तीसरी लहर होने की आशंका सामने खड़ी हुई है और स्कूलों को भी बच्चों के टीकाकरण के साथ खोलने पर विचार किया जा रहा है, वैक्सीन की कमी चिंता बढ़ाती है।