राजपथ - जनपथ
कार्ड में तो दो-दो सीएम छप ही गये
बीते विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से मुख्यमंत्री पद के तीन दावेदार बताये जाते थे। भाजपा नेता कुछ और नामों को जोडक़र इनकी संख्या 6 तक पहुंचा देते थे। वे ऐसा इसलिये कहा करते थे कि जिस पार्टी में सीएम पद के लिये आम राय नहीं, वह चुनाव कैसे जीत सकती है। खैर सरकार बनी। बघेल सीएम बनाये गये। सिंहदेव के समर्थक उनकी बारी आने का अब भी इंतजार कर रहे हैं। ढाई साल पूरा होने पर एक ही काम हुआ कि मंत्रियों के प्रभार वाले जिले बदल गये। दूसरा संयोग यह रहा कि जांजगीर जिले में कोविड टीके के सर्टिफिकेट में बघेल और सिंहदेव दोनों की फोटो लगाई गई और दोनों का ही पदनाम मुख्यमंत्री लिखकर बांट दिया गया। अब यह गलती जानबूझकर की गई या अनजाने में हुई यह तो पता नहीं चला। हो सकता है किसी अधिकारी को लगा होगा कि क्या पता कार्ड छपते-छपते ही कहीं कोई फेरबदल न हो जाये। उन्होंने रिस्क नहीं लिया और दोनों को खुश करने का तरीका ढूंढा होगा।
एसपी यानि सरपंच पति का रुतबा
बलरामपुर और कोरबा में महिला जनप्रतिनिधियों के पतियों का रुतबा कुछ दिन पहले दिखाई दे चुका है। अब एक और मामला जांजगीर से सामने आया है। जिले के मुलमुला थाने में बीते दिनों योग प्रशिक्षण का उद्घाटन पुलिस महानिरीक्षक रतनलाल डांगी ने किया। बतौर विशिष्ट अतिथि गांव की सरपंच यशोदा महिलांगे को भी बुलाया गया था। पर वह नहीं पहुंची। उनकी जगह पर फीता काटने सरपंच पति छत्रधारी महिलांगे के पहुंच गये। स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 50त्न सीटें आरक्षित हैं सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हें आगे बढऩे का मौका मिले लेकिन हाल के दिनों का यह तीसरा मामला है जब उनकी जगह पर उनके पति हावी होते दिखे। हालांकि पहले के दोनों मामलों में घटनाएं अपराधिक थी और यह महिला सरपंच की जगह पर अतिथि बनने का मामला था। जो भी हो कार्यक्रम में दो एसपी उपस्थित थे, एक सुपरिंटेंडेंट ऑफ़ पुलिस और दूसरे सरपंच पति।
टीकों की कमी के बीच जागरूकता मुहिम
जिन 5- 6 प्रदेशों में कोरोना पर काबू पाने में दिक्कत जा रही है उनमें छत्तीसगढ़ भी शामिल है। यह जरूर है कि इसका प्रकोप घटा है, पर अब भी 5787 सक्रिय मरीज हैं और हर दिन कहीं ना कहीं मौतें भी हो रही हैं। अभी तो बीजापुर और सरगुजा जैसे इलाकों में भी मामले बढ़ रहे हैं। केन्द्र की एक टीम इस स्थिति को समझने के लिये आने वाली भी है। बीते 4 दिनों तक टीकों की कमी के कारण वैक्सीनेशन की रफ्तार मंद पड़ गई थी। पर अभी दो लाख के करीब और टीके के आने के बाद कुछ दिनों तक अभियान चलाया जा सकता है। रायपुर में सभी समाज के प्रमुखों की ओर से जहां एक जागरूकता रैली निकाली जा रही है। जनप्रतिनिधि अलग से टीकाकरण बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। अधिकारी भी बैठक ले रहे हैं, दौरे कर रहे हैं। यूनिसेफ का भी कुछ जिलों में कार्यक्रम चल रहा है। पर सबसे ज्यादा जरूरी है टीकों की पर्याप्त उपलब्धता। केन्द्र द्वारा टीकाकरण अपने हाथ में लिये जाने पर इसे राज्य सरकार की विफलता और केन्द्र सरकार की उपलब्धि के तौर पर देखा गया था, पर अब भी लोग टीकाकरण केन्द्रों से भटककर लौट रहे हैं।