राजपथ - जनपथ
अडानी का भागीदार बनना है?
इंटरनेट और सोशल मीडिया पर झांसा देने वाले लोग कई किस्मों से लोगों को लुभाते हैं। आज पूरे हिंदुस्तान में अजब मंदी छाई हुई है, और लोग नौकरी खो रहे हैं, कारोबार बंद हो रहे हैं, उस वक्त ‘‘अदानी का एक रीजनल मैनेजर’’ लोगों को पार्टनर बनाने के लिए 1500 रुपये से लेकर 8000 रुपये रोज तक की तनख्वाह देने के संदेश भेज रहा है। अब इस अखबारनवीस के बेरोजगार होने की गलतफहमी उसे कुछ अधिक हो गई इसलिए उसने तीन अलग-अलग मोबाइल नंबरों से व्हाट्सएप भेजे और इतनी बड़ी रोजाना की तनख्वाह पर भागीदारी का प्रस्ताव रखा है। अब केंद्र या राज्य सरकार की जांच एजेंसियों का काम है कि वे देखें कि ऐसे संदेश भेजने वाले कौन लोग हैं। वरना देश का आईटी कानून विचार लिखने वालों को गिरफ्तार करने का हथियार बना रहेगा, और जालसाज लोगों को ठगते रहेंगे।
रुपये ऐंठने के धंधे में नेता
ऐसा लगता है लोगों को अपने आसपास बेहद सतर्क होकर रहना पड़ेगा न सिर्फ ऑनलाइन ठगी बल्कि ऑफलाइन भी जोरों पर है। और ये सब राजनीतिक दलों की छत्र-छाया में फल-फूल रहे हैं। अपने रुतबे का झूठा आभा मंडल दिखाकर लोगों से ठगी करना एक रोजगार बना चुका है। उनकी कमाई भी ऐसे लोगों के साथ ठगी पर टिकी है जो रोजगार और नौकरी की ही उम्मीद में अपने घर, गहने, जमीन गिरवी रखकर उनके शिकार बन जाते हैं।
जून माह में सरगुजा में ठगी का एक मामला सामने आया था, जिसमें करीब दो हजार लोगों से 5 से 7 करोड़ रुपये नौकरी दिलाने के नाम पर ठग लिए गए। इनका जाल तीन-चार जिलों में फैला हुआ है। इस ठगी में एक ऐसे व्यक्ति का नाम भी सामने आया जिसे कथित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके जन्मदिन पर बधाई दी थी। खुर्सीपार भिलाई के कुछ लोगों ने युवक कांग्रेस के दो नेताओं के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। आरोप है कि इन्होंने नौकरी के नाम पर 5.5 लाख रुपए ठग लिए गए। पुलिस अभी शिकायत की जांच ही कर रही है। शायद इसलिए यह प्रदेश के सत्तारूढ़ दल से जुड़े हुए लोगों का मामला है।
अभी-अभी फिर एक मामला सामने आया है। मुंगेली जिले की एक भाजपा नेत्री पर आरोप लगा है कि 3 महिलाओं से तीन लाख रुपये और अन्य 3 लोगों से भी इतनी ही रकम नौकरी दिलाने के नाम पर ली गयी । दो-तीन साल तक घुमाये जाने के बाद उन्हें ठगी का अहसास हुआ और उन्होंने एसपी को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग अब की है।
दरअसल रुपये लेने के बाद लोग पीडि़तों को 25-50 बार घुमाते हैं, फिर फोन नहीं उठाते, मुलाकात टालते हैं। फिर साल-दो-साल तक घुमाने के बाद आधी रकम लौटा दी जाती है। यह कहते हुए कि बहुत दौड़-धूप की, काम नहीं बना। शिकायत तो उन मामलों में होती है जब पूरे पैसे डकार ले जाते हैं।
शिक्षक इस काम में भी निपुण..
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के शिक्षकों में जबरदस्त नाराजगी इन दिनों देखी जा रही है। स्कूल नहीं खुल रहे हैं, पर
ऑनलाइन क्लास तो चल रही है न। पढ़ाने का बोझ कुछ कम है, इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें जब चाहे तब किसी भी काम में झोंक दिया जाए। अभी कोरोना काल के दौरान होम आइसोलेशन, श्मशान घाट, कोविड टेस्टिंग जैसे काम उनसे बिना वैक्सीन लगाये ही कराए गए। हर चुनाव में उनकी ड्यूटी प्राथमिकता के साथ लगाई जाती है। राष्ट्रीय जनगणना, पोलियो टीकाकरण, राष्ट्रीय आपदा जैसे काम में भी उन्हें दिये ही जाते हैं। अब उन्हें एक नए काम में डाल दिया गया है। किसानों को फर्टिलाइजर व्यवस्थित तरीके से मिले, इसके लिए उन्हें सोसायटियों में तैनाती देने के लिए कहा गया है। अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन ने मांग की है कि यह आदेश तुरंत वापस लिया जाए। ऐसा है कि सरकारी सेवा में आईएएस अधिकारियों को किसी भी विभाग की जिम्मेदारी सौंप दी जाये, माना जाता है कि वे उस काम को अच्छे से संभाल लेंगे। इसका यह मतलब है कि आईएएस शिक्षकों को भी अपने बराबर समझकर आदेश निकालें।
डायरी बड़ी खतरनाक चीज
ट्रांजैक्शन एक नंबर का हो तो चेक बुक, बैंक स्टेटमेंट आदि में उसका हिसाब-किताब पड़ा रहता है। मगर दो नंबर का लेन-देन हो तो कहीं ना कहीं उसका हिसाब लिखकर रखना पड़ता है। हवाला कांड याद होगा जिसमें जैन बंधुओं ने किस नेता, पत्रकार, अधिकारी को कितने रुपए दिए, इसका कोड वर्ड में हिसाब लिख रखा गया था। अपने यहां नान घोटाले का असली राज डायरी में ही छिपा हुआ है। अब हलिया मामला लें। आईपीएस जीपी सिंह का। जब तक अघोषित संपत्ति छापे में मिलती रही, किसी ने इस गंभीरता से नहीं लिया। मानकर चल रहे थे कि यह सामान्य भ्रष्टाचार का मामला होगा। पर, जैसे ही गटर से डायरी के फटे पन्ने मिले और पेन ड्राइव में सेव करके रखी गई डिटेल सामने आई, मामला संगीन हो गया। वे राजद्रोह में फंस गये।