राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक युवा डॉक्टर की मौत
20-Jul-2021 8:21 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एक युवा डॉक्टर की मौत

एक युवा डॉक्टर की मौत

कोरोना महामारी के दौर में ऐसे कई युवा डॉक्टरों को हमने खो दिया, जिन्होंने अपने जान की परवाह किए बगैर सैकड़ों लोगों को मौत के मुंह से बाहर निकाला। ऐसे ही एक चिकित्सक डॉक्टर शैलेंद्र साहू जो बलौदाबाजार के जिला कोविड अस्पताल के प्रभारी थे, उनकी मौत कोविड संक्रमण से हो गई। डॉक्टर ने बलौदा बाजार में ड्यूटी 8 जून 2020 को ज्वाइन की थी। तब से वे लगातार बिना रुके-थके कोविड मरीजों की देखभाल में लगे हुए थे। इस दौरान उन्होंने कोई छुट्टी नहीं ली। परिवार के साथ बर्थ डे या त्यौहार भी नहीं मनाया। उन्हें एमबीबीएस की पढ़ाई के बाद मास्टर डिग्री लेनी थी, मगर महामारी को देखते हुए उन्होंने इसे कुछ समय के लिए टाल देने का निर्णय लिया। तबीयत खराब होने पर वे दो दिन पहले अपने घर रायपुर आ गए थे। यहीं उन्होंने दम तोड़ दिया। बलौदा बाजार से दर्जनों लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। उनकी शव यात्रा में एक बड़ी सी तस्वीर उनके लगाई गई, मुक्ति वाहन फूलों से सजाया गया और उनके योगदान को याद किया गया।

ऐसे ही एक डॉ मनोज जायसवाल भी याद आते हैं जो बिलासपुर कोविड-19 अधीक्षक के पद पर कार्य कर रहे थे। वह भी बिना छुट्टियां लिए बिना घर गये लगातार ड्यूटी कर रहे थे। डॉक्टर जयसवाल की मौत पहली लहर में ही हो गई थी। तब वैक्सीन नहीं आई थी। पर डॉ साहू वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके थे। यह विडंबना ही है कि लोगों की जान बचाने के काम में भी इतने तल्लीन रहे की सावधानी खुद भी नहीं रख पाए।

फिर हुई दबंगई की घटना

बलरामपुर जिले में कुछ दिन पहले एक सरपंच पति और उनके गुर्गों के द्वारा मछली चोरी के आरोप में पेड़ से बांधकर युवक की बेदम पिटाई करने का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा है कि इसी जिले से एक और ऐसी ही घटना सामने आई। हालांकि अपनी चतुराई से युवक किसी तरह उन लोगों के चंगुल से बचने में सफल रहा। भितयाही ग्राम के युवक नंदू यादव बीते 1 साल से पंचायत में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत अधिकारियों को ऊपर कर रहे थे। नव पदस्थ कलेक्टर ने इस शिकायत को गंभीरता से लिया और जनपद पंचायत रामानुजगंज के अधिकारियों से जांच कराई। जांच में शिकायत सही मिलने पर ग्राम पंचायत के सचिव विप्र दास और 45 अन्य लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करा दी गई। पंचायत प्रतिनिधियों ने इसके लिए नंदू यादव को ही जिम्मेदार माना और ग्राम पंचायत भवन में ही उसको बंधक बना लिया गया। शिकायतकर्ता युवक ने इस दौरान किसी तरह से मोबाइल फोन हासिल कर लिया और सीधे एसपी को सूचना दे दी पुलिस अधीक्षक ने वहां टीम भेजकर उसे छुड़ा लिया। शायद कुछ घंटे और बीत जाते तो युवक के साथ कोई बड़ी अनहोनी भी घट सकती थी।
इस मामले से एक बार फिर साबित होता है की बड़े संस्थानों देश और राज्य के मसलों में शिकायत करना, आरटीआई निकलवाना, जांच करवाना कुछ आसान भी है लेकिन अपने ही गांव में अपने लोगों के द्वारा किए जाने वाले काम पर निगरानी रखना और गड़बड़ी दिखने पर शिकायत करना ज्यादा जोखिम भरा है। इस विसलब्लोअर युवक को खतरे का कितना अंदाजा था या अधिकारियों ने  सुरक्षा देने के बारे में कुछ सोचा था क्या, विचारणीय प्रश्न है।

विधायक की ओर से मांग

निगम, मंडल, आयोगों में नियुक्तियों के बाद ऐसा नहीं है कि सामान्य कार्यकर्ता ही दुखी चल रहे हैं अनेक विधायकों भी मन बेचैन है। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले से युवा आयोग में उत्तम वासुदेव को और अनुसूचित जनजाति आयोग में अर्चना पोर्ते को सदस्य के रूप में लिया गया है। अब यहां से मांग उठ रही है कि विधायक डॉ. के के ध्रुव को भी कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। उनके समर्थकों का कहना है कि जोगी का गढ़ इतने सालों बाद कांग्रेस ने ढहाया। ऐसे में सिर्फ दो को आयोगों का सदस्य बना दिया जाना काफी नहीं है। इस परिवर्तन में बहुत पसीना बहा है। फिर डॉ. ध्रुव तो रिकॉर्ड मतों से जीते हैं। ऐसे लोकप्रिय विधायक को क्यों जगह नहीं मिलनी चाहिए? उनके समर्थकों ने प्रदेश संगठन के सामने यह बात रखी है। विधायक के लिए उन्होंने पद भी सोच रखा है, जिले के एकीकृत विकास परियोजना का अध्यक्ष।

मंत्रालय उजाड़, और लापरवाह भी

कोरोना लॉकडाउन के दो दौर ने मिलकर मंत्रालय के महत्व को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. मुख्यमंत्री और मंत्रियों का मंत्रालय जाना बहुत कम हो गया है, सब अपने बंगलों से काम कर रहे हैं, और नतीजा यह हो गया है कि बड़े आईएएस अफसरों को भी मंत्रालय जाना जरूरी नहीं लगता।

कई ऐसे अफसर हैं जिनके पास शहर में अपने विभाग के कोई दफ्तर हैं, तो वे या तो उसी दफ्तर में बैठकर बाकी मंत्रालय की फाइलें वहां बुला लेते हैं, या वे घर से ही काम निपटा रहे हैं, और मंत्रियों की तो सारी बैठकें भी उनके घर से हो रही हैं, या ऑनलाइन हो रही हैं.

नतीजा यह हो रहा है कि पहले से उजाड़ और बियाबान चले आ रहा नया रायपुर अब और बदहाल हो गया है। लेकिन कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच भी मंत्रालय कम संख्या में पहुंचने वाले लोगों से भी गेट पर रजिस्टर में दस्तखत करवाए जा रहे हैं, उनकी पूरी जानकारी भरवाई जा रही है और इस तरह मंत्रालय में भीतर जाने वाले स्थाई रूप से पासधारी लोग भी वहां रजिस्टर के हर कॉलम को देर तक भरने की वजह से कोरोना के खतरे के शिकार हो रहे हैं.

आज जब चारों तरफ कागज का काम कम किया जा रहा है, जहां दफ्तरों में बायोमेट्रिक अटेंडेंस के लिए भी अंगूठा लगाने से छूट दी जा रही है, वहां मंत्रालय में लोगों से पूरा रजिस्टर भरवाया जा रहा है. अब क्योंकि बड़े अफसरों का मंत्रालय जाना कम है और बाकी लोगों के आने-जाने के गेट से तो उनका जाना कभी होता नहीं है, इसलिए इस बात की तरफ किसी का ध्यान जाने का कोई सवाल भी नहीं होता।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news