राजपथ - जनपथ
बस्तर में राहुल की तैयारी
राहुल गांधी कब आएंगे, ये अभी तय नहीं है। मगर उनके प्रस्तावित बस्तर दौरे की तैयारी शुरू हो गई है। इस सिलसिले में सीएम भूपेश बघेल ने सरकार के मंत्रियों, और बस्तर के विधायकों के साथ बैठक भी की है। केन्द्र सरकार ने एसपीजी सुरक्षा हटा दी है। इसलिए राहुल की सुरक्षा की अतिरिक्त व्यवस्था सरकार को ही करनी होगी। नक्सल प्रभावित बस्तर उनके प्रवास को लेकर टेंशन भी है। सरकार के रणनीतिकार राहुल के प्रवास को सरकार के कामकाज को दिखाने के मौके के रूप में देख रहे हैं।
बैठक में यह बात उभरकर आई है कि धुर नक्सल प्रभावित इलाकों में 6 सौ स्कूल बंद हो गए थे, लेकिन भूपेश सरकार के आने के बाद आधे से अधिक स्कूल खुल गए हैं। यही नहीं, आंध्रप्रदेश की सीमा से सटे गांव क्रिस्टाराम में स्कूल के साथ-साथ आंगनबाड़ी केन्द्र भी अच्छी तरह से चल रहे हैं। बीजापुर जिले में तो किसानों ने दो साल में 4 सौ ट्रेक्टर खरीदे हैं। यानी तेंदूपत्ता की खरीदी दर में बढ़ोतरी, लघु वनोपज की सरकारी खरीद सहित अन्य योजनाओं का आदिवासियों को भारी लाभ हुआ है। कुल मिलाकर बस्तर में राहुल को इंप्रेस करने के लिए बहुत कुछ है।
गोबर हिट हो गया !
गोबर खरीदी योजना को लेकर भाजपा भूपेश सरकार को कटघरे में खड़ा करने का कोई मौका नहीं चूकती है। मगर भाजपा शासित राज्यों में भी गोबर खरीदी योजना शुरू हो रही है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने तो छत्तीसगढ़ की देखा-देखी दो रुपए किलो की दर से गोबर खरीदी का फैसला लिया है। मध्यप्रदेश सरकार भी इस दिशा में कदम उठाने जा रही है। और तो और पिछले दिनों गुजरात के विधायकों के एक प्रतिनिधि मंडल विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ आए थे। उन्होंने गौठान योजना के क्रियान्वयन की जानकारी ली, और सीएम-कृषि मंत्री से मिलकर इसकी तारीफ की। ऐसे में सरकार के लोगों का खुश होना लाजिमी है।
क्या नहीं मिल पायेंगी सस्ती दवा?
नगर निगम रायपुर ने सभी दस जोन में सस्ती जेनेरिक दवा दुकान खोलने की योजना बनाई है। हर साल इन दुकानों से करोड़ों रुपयों का टर्न ओवर हो सकता है पर किसी भी कम्पनी ने टेंडर में भाग नहीं लिया। अब दुबारा फिर टेंडर निकालने की योजना बन रही है। पहले टेंडर में तय कर दिया गया था कि जेनेरिक दवा बनाने वाली कौन-कौन सी कंपनियां हैं, जिनसे खरीदी की जानी है। ऐसा करने की जरूरत भी थी, क्योंकि जेनेरिक के नाम पर गुणवत्ताविहीन दवायें न बेची जाये। अब देखना है कि दूसरे टेंडर में शर्तों में किस तरह बदलाव किया जायेगा ताकि लोग रुचि दिखायें।
नगर निगम की योजना शहर में डायग्नोसिस सेंटर्स खोलने की है। जब पहली बार मशीनों के मॉडल को लेकर आपत्ति आई तो दूसरी बार के टेंडर में बदलाव भी किया गया। इसके बाद कुछ कम्पनियों ने रुचि तो दिखाई पर टेंडर में उन्होंने भी भाग नहीं लिया। अब इसका भी टेंडर तीसरी बार निकालने की तैयारी चल रही है। बिलासपुर नगर निगम ने एक ऐसा डायग्नोसिस सेंटर चालू कर लिया है। यहां भी कम से कम चार सस्ती जेनेरिक दवाओं की दुकान खोलने की योजना है पर अभी धरातल पर नहीं आ सकी है।
नगर निकायों की जिम्मेदारियों में शहर के लोगों की सेहत का ख्याल भी रखना शामिल है। ऐसे में सस्ती दवा, सस्ते जांच की सुविधा देने के लिये की जा रही कोशिश अच्छी है। हो सकता है कि मेडिकल बिजनेस से जुड़े लोग इसमें अडंगा डाल रहे हों पर कुछ शर्तों को अव्यावहारिक भी बताया जा रहा है, जैसे 50 करोड़ रुपये के टर्न ओवर का होना जरूरी और वापस नहीं होने वाली 10 लाख रुपये प्री बिड की रकम। इसके चलते बड़ी कम्पनियां या मल्टीनेशनल कम्पनियां ही टेंडर में भाग ले सकेंगी। शहर के कई निजी डायग्नोस्टिक सेंटर्स हैं, जिनके पास डॉक्टर, स्टाफ, एम्बुलेंस आदि की सुविधा उपलब्ध है, उन्हें भारी-भरकम शर्तों की वजह से टेंडर में शामिल होने का मौका नहीं मिल पा रहा है।
राहुल गांधी नगरनार में रुकेंगे?
अगले कुछ दिनों में राहुल गांधी का दौरा कार्यक्रम आ जायेगा। वे कहां-कहां जायेंगे और रुकेंगे इसके बाद ही मालूम हो सकेगा। पर, यह निश्चित है कि वे बस्तर और सरगुजा पर फोकस करेंगे। बस्तर में वे रात भी रुक सकते हैं। जिला प्रशासन की तैयारी चल रही है कि उनकी यदि यहां आमसभा हो तो वह माड़पाल में रखी जाये। यह वही जगह है जहां नगरनार स्टील प्लांट स्थापित है और केन्द्र सरकार ने जिसे बेचने की तैयारी कर ली है। छत्तीसगढ़ सरकार ने विधानसभा में घोषणा कर दी है कि यदि इसे बेचा गया, तो वह उसे खरीदेगी। बस्तर में टाटा एस्सार द्वारा ली गई किसानों की जमीन का वायदा भी राज्य सरकार ने निभाया है। इसके अलावा वनोपज के समर्थन मूल्य को कई गुना बढ़ाने, नये उत्पादों को जोडऩे का काम भी सरकार कर रही है। बस्तर की सभी 12 विधानसभा सीटें कांग्रेस के पास है और लोकसभा की भी दो में से एक सीट है। यहीं पर इन दिनों भाजपा का चिंतन शिविर इसी खास मकसद से चल रहा है कि आदिवासियों के बीच पकड़ मजबूत की जाये। ऐसे में राहुल गांधी का बस्तर दौरा खास बन जाता है।
दूसरी तरफ यहीं पर सिलगेर का मामला भी सुलग रहा है। ग्रामीण तीन आदिवासियों की पुलिस गोली से मौत के लिये जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। पुलिस मृतकों को नक्सली बता रही है। इसके अलावा पांचवी अनुसूची था पेसा कानून लागू करने की मांग पर छत्तीसगढ़ में कई जगह कल आर्थिक नाकाबंदी की गई। आंदोलन का अगला चरण भी शुरू होना है। सरगुजा, कोरबा के जंगल में नये कोल ब्लॉक के लिये सहमति देने को लेकर भी सरकार को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है।
कुल मिलाकर राहुल गांधी का बस्तर और सरगुजा का कार्यक्रम तय होता है तो लोग बहुत से सवालों का उनसे जवाब भी चाहेंगे।
सिर्फ 13 प्रतिशत युवाओं को दूसरा डोज...
अगस्त महीने तक प्रदेश में कोरोना से बचाव के लिये कितने लोगों ने वैक्सीन लगवाई उसका आंकड़ा श्रेणीवार जारी हुआ है। प्रदेश में 32 लाख 69 हजार 320 लोगों ने ही दूसरा डोज लगवाया है, जो पहला डोज लगवाने वाले 1 करोड़ 12 लाख 10 हजार 523 का 30 प्रतिशत भी नहीं है। हो सकता है कि इनमें से काफी लोगों को पहला डोज लगने के बाद दूसरे डोज की बारी नहीं आयेगी फिर भी यह अंतर ध्यान तो खींचता है।
फ्रंट लाइन वर्कर्स की 100 प्रतिशत से ज्यादा संख्या रही, जिन्होंने पहला डोज लगवाया। दूसरा डोज अब तक 75 प्रतिशत लोगों को ही लग पाया है। इसी तरह से हेल्थ केयर वर्कर्स जिन्हें टीका लगाना सबसे पहले शुरू किया गया था, 91 प्रतिशत लोग पहला डोज ले चुके हैं, जबकि दूसरा डोज 81 प्रतिशत लोगों को लग पाया है।
45 साल से अधिक उम्र के 92 प्रतिशत लोगों ने पहला डोज लिया जबकि इसका दूसरा डोज लेने वालों की संख्या केवल 32 प्रतिशत है। यह अंतर बहुत ज्यादा है। ऐसा लगता है कि बड़ी संख्या में सीनियर सिटीजन्स ने दूसरा डोज लगवाने में रुचि नहीं ली।
18 साल से 44 वर्ष वर्ग की स्थिति ज्यादा चिंताजनक है। इस वर्ग में अब तक केवल 39 प्रतिशत लोगों को पहला डोज लग सका है और दूसरा डोज तो सिर्फ 13 प्रतिशत लोगों को लगा है। टीकाकरण की शुरूआत से लेकर 30 अगस्त 2021 की स्थिति में कुल 1 करोड़ 44 लाख 79 हजार 843 टीके लगे हैं।
अगस्त माह में कोरोना के नये मामलों में काफी सुधार रहा। पूरे माह में 37 लोगों की मौत हुई। अगस्त में पूरे प्रदेश में 2443 पॉजिटिव केस ही सामने आये और 31 लोगों की मौत हुई। इसके पहले जुलाई में आने वाले संक्रमण के मामले 7528 थे और 85 की मौत हुई थी। जून में तो 391 लोगों की प्रदेशभर में मौत हो गई थी और 23017 संक्रमण के नये मामले मिले थे।
अब वैक्सीन की कमी पहले जैसी नहीं रह गई है। मई-जून में वैक्सीन की कमी के कारण जहां कई टीकाकरण केन्द्रों को बंद करना पड़ा था वहीं अब इन केन्द्रों में टीके उपलब्ध हैं पर भीड़ नहीं उमड़ रही है। वैक्सीनेशन का लक्ष्य पूरा हुए बिना यह उदासीनता नये केस में कमी के कारण हो सकती है पर केरल, महाराष्ट्र में जिस तरह केस बढ़ रहे हैं क्या छत्तीसगढ़ आने वाले दिनों में भी इतना सुरक्षित रह पायेगा? यह सवाल इसलिये जरूरी है क्योंकि 32.69 लाख लोगों को ही दोनों डोज लग पाये हैं।