राजपथ - जनपथ
खून की कमी से पंडो की मौत
यह शर्मनाक घटना छत्तीसगढ़ के उस छोर की है जहां पहुंचने के बारे में आपको 10 बार सोचना पड़ेगा। घटना उनके साथ हुई है जिन्हें कभी राष्ट्रपति रहते हुए डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपना दत्तक पुत्र बताया था।
जिला बलरामपुर, ब्लॉक रामचंद्रपुर, ग्राम पंचायत बरवाही और उसका आश्रित गांव भुसरिया पारा। यहां के 35 साल के रामप्रसाद पंडो की तबीयत बिगडऩे पर रामचंद्रपुर के पीएचसी में लाया गया।
डॉक्टर ने बताया कि खून की कमी है। परिजनों ने एक यूनिट ब्लड व्यवस्था की। डॉक्टर ने खून चढ़ाया और कहा कि इसे बलरामपुर के किसी बड़े अस्पताल में ले जाओ। रामप्रसाद को परिजन घर लेकर लौट गए क्योंकि उनके पास बलरामपुर जाने के लिए पैसे नहीं थे। रामप्रसाद में उसी दिन दम तोड़ दिया। उसकी अकेले की नहीं इस गांव में तीन और लोगों की मौत बीते कुछ दिनों के भीतर खून की कमी से हो चुकी है। बीमारों को अस्पताल ले जाने के लिये एंबुलेंस की व्यवस्था क्या वहां नहीं थी? गरीबों को पांच लाख रुपये तक मुफ्त में इलाज देने की योजना चल रही है, क्या डॉक्टरों ने इन मृतकों को इस सुविधा के बारे में नहीं बताया?
दरअसल, छोटे-छोटे जिले बना देने और कलेक्टर और दूसरे अफसरों के दफ्तर खोलने से कुछ नहीं होता। जब तक स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा इन जिलों में मजबूत न की जाये।
रहस गुरु अनुरागी आपको याद हैं?
अविभाजित मध्यप्रदेश में बिलासपुर से कांग्रेस के सांसद रहे गोदिल प्रसाद अनुरागी गंभीर रूप से बीमार हैं। चिकित्सकों की सलाह पर उनकी देखभाल रतनपुर के पास स्थित उनके गांव में ही हो रही है। अब वे काफी वृद्ध हो चुके हैं। इस दौर के बहुत से कांग्रेसजन उनके बारे में नहीं जानते। अनुरागी का समाज को एक बड़ा योगदान यह भी है कि उन्होंने विलुप्त होती रहस कला को जीवित रखने के लिये जतन किये। उनकी स्कूली शिक्षा नहीं के बराबर पर कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी छात्र उन पर रिसर्च कर चुके हैं। वर्षों हो गये रहस को देखे। जब अनुरागी स्वस्थ थे तो यह खर्चीला कार्यक्रम वे साल में कम से कम एक बार करा ही लेते थे। सांसद रहते हुए भी उन्होंने कोई संकोच नहीं किया और कई बार कार्यक्रम रखे।
वरिष्ठ साहित्यकार सतीश जायसवाल उनके मित्र हैं। वे कई बार अनुरागी से मिलने उनके गांव जा चुके हैं। कांग्रेस नेता शिवा मिश्रा ने जब अनुरागी से मुलाकात वाली तस्वीर सोशल मीडिया पर डाली तो जायसवाल ने भी अनुरागी के बारे में लिखा है।
वे बताते हैं कि उनके जीवन रक्षा के कोई कारगर उपाय नहीं हो रहे हैं। ईश्वर से प्रार्थना ही की जा रही है। अनुरागी संभवतया रहस के अंतिम कला-गुरु हैं। उनके साथ छत्तीसगढ़ की यह लोक-परम्परा भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। रहस को छत्तीसगढ़ की लोक-कला परम्पराओं की आत्मा भी कहा जाता है। छत्तीसगढ़ का संस्कृति विभाग अनुरागी के महत्व और उनके अवदान से जरूर परिचित होगा। छत्तीसगढ़ के पास अपना एक कला विश्वविद्यालय भी है। खैरागढ़ में, इन्दिरा संगीत कला विश्वविद्यालय। इस विश्वविद्यालय में लोक-कलाओं का भी अध्ययन-अध्यापन होता है। शायद रहस और अनुरागी का अवदान भी यहां के अध्ययन-अध्यापन में शामिल होगा।
कुछ वर्ष पहले आकाशवाणी दिल्ली ने अपने यहां के साठ-पार के ऐसे विख्यात कला गुरुओं और उनके अवदान पर केंद्रित लम्बे साक्षात्कारों की योजना बनाई थी। इन साक्षात्कारों को आकाशवाणी दिल्ली के केंद्रीय आर्काइव में सुरक्षित किया गया। उस समय हिन्दी के एक जाने-माने कवि लीलाधर मंडलोई आकाशवाणी के महानिदेशक थे। साहित्य, कला और लोक कलाओं के प्रति उनका संवेदनात्मक लगाव था। इसीलिए वह महत्वपूर्ण काम हो सका। आज अनुरागी और उनके अवदान से सम्बंधित वह एक अधिकृत दस्तावेज़ हमारे लिए उपलब्ध है।
बोल बम समिति के राजनैतिक इरादे
समाज सेवा का काम कर रही भिलाई की बोल बम समिति ने चुनाव में उतरने का प्लान बना लिया है। भिलाई के बाद दुर्ग में समिति का गठन किया गया है और देवव्रत सिंह को जिला अध्यक्ष बनाया गया है। समिति के प्रदेश अध्यक्ष दया सिंह की युवाओं में खासी पकड़ बन चुकी है। दया सिंह ने पिछले दिनों साफ किया कि हम भिलाई के साथ-साथ दुर्ग में भी मेहनत करेगें और जनहित के मुद्दों को उठायेंगे। संगठन की इकाई विधानसभावार भी बनाई जा रही है। इन दोनों बातों का मतलब है कि सन् 2023 के चुनाव में एक या अधिक सीटों से यह संगठन चुनाव लड़ेगा। वे किसी दल से जुड़ेंगे या निर्दलीय लड़ेंगे, यह अभी साफ नहीं है पर उनकी सक्रियता ने कांग्रेस-भाजपा दोनों ही दलों के दावेदारों को चिंता में डाल दिया है। अभी जिले में इन दोनों दलों का ही वर्चस्व है।