राजपथ - जनपथ
मनचलों के प्रति हमदर्दी...
गलियों में मनचले बाइक से फर्राटे भरते हुए मंडराते हैं तो कई बार उठने वाला विवाद, बलवा तक पहुंच जाता है, चाकू चल जाते हैं, सिर फूट जाते हैं। बिल्हा विकासखंड के एक गांव में ऐसी नौबत कई बार आ गई है। अब गांव के किसी भले नागरिक ने उस खतरनाक गली के पहले मकान पर ही दीवार लेखन के जरिये एक सूचना ऐसे तत्वों को सतर्क करने के लिये दीवार पर लिखवा दी है- यह आम रास्ता नहीं है। आने-जाने वाले कृपया ध्यान रखें। कभी भी मार पड़ सकती है।
एमएसटी की शुरुआत तो हुई...
छत्तीसगढ़ से चलने वाली ट्रेनों में अब तक मासिक सीजन टिकट बंद हैं। नौकरी और रोजगार के सिलसिले में रेल मार्ग से रोजाना एक जगह से दूसरी जगह जाने वाले हजारों लोगों को इसका बोझ ढोना पड़ रहा है। अब भारतीय रेल के कम से कम एक जोन ने तो नरमी दिखाई है। खबर है कि उत्तर रेलवे ने बीते दिनों एमएसटी टिकटों की इजाजत दे दी है। हालांकि इस जोन से चलने वाली सभी ट्रेनों के लिये नहीं लेकिन कुछ खास ट्रेनों में सुविधा शुरू की गई है। रेलवे एमएसटी कम आमदनी में रोजगार व नौकरी कर घर चलाने वालों की एक बड़ी जरूरत है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में तो इसे लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई भी हो रही है। उम्मीद कर सकते हैं कि उत्तर रेलवे की तरह छत्तीसगढ़ में स्थापित दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे मुख्यालय की ओर से भी जल्दी ही कोई उदार फैसला लिया जायेगा।
फिल्मकार इसे भी भुना ले गये...
सन् 2016 में की गई नोटबंदी की पीड़ा से तो लोग उबरने की कोशिश कर रहे हैं पर उसे कुरेदने का काम भी हो रहा है। नहीं बदले जा जा सके एक पुराने नोट में नोट में लिखा हुआ मिला था- सोनम गुप्ता बेवफा है। उस नोट की तस्वीर सोशल मीडिया के जरिये देश-दुनिया में फैल गई। यह बेकार हो चुका नोट, नोटबंदी की पीड़ा झेल रहे लोगों को थोड़ा मुस्कुराने का मौका दे रहा था। अब इसे भुनाने के लिये एक फिल्म भी बन गई है जो 10 सितंबर को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ होने जा रही है। नाम है- क्या मेरी सोनम गुप्ता बेवफा है? फिल्म की तस्वीरों और ट्रेलर से तो लगता है कि यह हल्की-फुल्की कॉमेडी हो सकती है पर सोनम गुप्ता नाम का इस तरह से सार्वजनिक इस्तेमाल करना आपत्तिजनक लगा है बिहार के संपूर्ण वैश्य समाज को। उन्होंने इस फिल्म को बिहार में प्रतिबंधित करने और फिल्म के निर्देशक पर कार्रवाई करने की मांग की है। उनका कहना है कि सोनम नाम की हजारों लड़कियां, बेटियां, बहनें, जब घरों से निकलेंगी तो उन्हें छेड़छाड़ और कमेंट का शिकार होना पड़ेगा। इसे वे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
कांग्रेस का विवाद फायदेमंद?
लोग नाहक ही छत्तीसगढ़ कांग्रेस में नेतृत्व के सवाल पर उठे तूफान को लेकर चिंता कर रहे हैं। पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत के नजरिये से बातों का निष्कर्ष निकालना चाहिये। उन्होंने एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा- कुछ लोग मानते हैं, हमारी पार्टी के नेता लड़ रहे हैं। वीरों की भूमि पंजाब में लोग अपनी राय दृढ़ता से रखते हैं। ऐसा लगता है कि वे लड़ेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। वे अपनी समस्या का समाधान खुद ढूंढ लेते हैं। पंजाब कांग्रेस अपने मुद्दों का स्वयं समाधान कर रही है। हम कुछ नहीं कर रहे हैं। अगर दोनों नेताओं (अमरिंदर सिंह व नवजोत सिद्धू) के बीच कोई विवाद होगा तो यह कांग्रेस के लिये फायदेमंद ही होगा। क्या रावत का कथन छत्तीसगढ़ पर भी ठीक बैठेगा?
पेश है टाइगर गिनती का नया नुस्खा..
हर बार टाइगर गणना में नया कुछ बदलाव आता है, फिर भी टाइगर की गिनती सर्वमान्य नहीं बन पाती। दरअसल तरीका जो भी हो सब अच्छा है, मगर नीयत अच्छी होनी चाहिए।
अचानकमार टाइगर रिजर्व में एक एप के जरिये इस बार गिनती होगी। यह ऑफ लाइन काम करेगा, जिसमें टाइगर के मल या पंजे का निशान एकत्र किया जायेगा। इसे टाइगर गणना के लिये वर्तमान में किये जा रहे फोटो ट्रेप सिस्टम के साथ जोड़ दिया जायेगा।
मौजूदा फोटो ट्रेप सिस्टम में कम्प्यूटर से टाइगर की धारियों का मिलान होता है। जैसे हमारे अंगूठे का प्रिंट अलग होते हैं। वैसे ही टाइगर के तन पर काली धारियां अलग होती हैं। अब एप और फोटोट्रेप का मिलान करने से टाइगर की गिनती अधिक विश्वसनीय हो सकती है।
वाइल्डलाइफ बोर्ड के पूर्व सदस्य प्राण चड्डा का कहना है सबसे सटीक तरीका यही है कि जंगल के सभी टाइगर को रेडियो कॉलर पहनाया जाए,जिससे उनके प्रवास स्थलों का भी पता लगेगा। छतीसगढ़ जैसे राज्य जहां- जहां टाइगर कम हैं, वहां से इसकी शुरुआत की जाए और फिर विस्तार देश के अन्य भागों में किया जाए। यह असंभव नहीं, पर इसके लिए नीयत, मेहनत की दरकार होगी।
जेसीसी विधायकों की दुविधा...
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ( जे) की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रेणु जोगी ने कह दिया है कि कांग्रेस में उनकी पार्टी के विलय की बात नहीं हो रही है, उनके काम हो रहे हैं इसलिये जहां हैं वहीं रहेंगीं। यह कुछ दिन पहले दिल्ली से लौटकर दिये गये उनके बयान के विपरीत है जिसमें उऩ्होंने कहा था कि सोनिया गांधी जब चाहेंगी वे कांग्रेस में लौट जायेंगीं। सब जानते हैं कि डॉ. जोगी सोनिया गांधी की प्रशंसक हैं, उनके लिये बड़ा आदर है। उन्होंने ऐसा कहा तो कुछ भी हटकर नहीं था। उनकी पार्टी के दो विधायक देवव्रत सिंह और प्रमोद शर्मा पहले ही कांग्रेस को समर्थन देने लगे हैं। इस तरह से तीन विधायक कांग्रेस में एक साथ जाते हैं तो सभी की विधायक सीट बची रहेगी पर इससे कम में नहीं। फिर तीनों एक साथ चले जाने की घोषणा क्यों नहीं कर देते? जानकार कह रहे हैं कि इसका संबंध सीधे-सीधे छत्तीसगढ़ कांग्रेस की राजनीति से है। बाकी दो विधायक मुख्यमंत्री के खेमे से प्रवेश चाहते हैं। यदि डॉ. जोगी कांग्रेस में लौटती हैं तो यह श्रेय सिंहदेव को जायेगा। डॉ. जोगी की अगुवाई में बाकी दोनों विधायक भी आ जायें ऐसा फिलहाल दिखता नहीं। इसलिये डॉ. जोगी की यही बात सही है कि अगले विधानसभा चुनाव से पहले विलय का सवाल नहीं उठता।