राजपथ - जनपथ
डॉलर में ठगी का इंटरनेशनल रैकेट
ऑनलाइन ठगी केवल बुजुर्गों और कम-पढ़े लोगों के साथ नहीं होती बल्कि इसका शिकार हर रोज लाखों रुपयों का लेन-देन करने वाले कंपनियों के मालिक भी हो जाते हैं। साइबर ठगी को रोकने के लिये और ठगी के बाद आरोपियों तक पहुंचने के लिये पुलिस भी अपने आपको अपडेट कर रही है लेकिन ठग उऩसे दो कदम आगे ही चल रहे हैं। रायगढ़ का ही मामला लें। यहां की एक मेटारलर्जिकल कंपनी का चाइना की एक कंपनी से टाईअप है। फर्म में एक ई मेल आया जिसमें चीन की उक्त कंपनी ने 81 हजार डालर डिजिटली ट्रांफसर करने कहा। भारतीय रुपयों में यह करीब 63 लाख रुपये है। कंपनी ने चीन की कंपनी को बैंक के माध्यम से यह रुपये भेज दिये। कंपनी के प्रबंधक हैरान तब रह गये जब चीन की कंपनी की ओर से बताया गया कि उन्होंने तो रुपये जमा करने के लिये कोई ई-मेल भेजा ही नहीं और न ही एकाउन्ट में पैसे आये हैं। पुलिस को रायगढ़ की कंपनी ने बताया है कि जो ई मेल आया वह हू-ब-हू चाइना के उसी कंपनी के ई मेल से मिलता जुलता था जिसके साथ उनका लेनदेन होता आ रहा है। बिल्कुल भी कोई ताड़ नहीं सका कि ई मेल फर्जी है और जिस एकाउन्ट में पैसे जमा कराये गये हैं वह ठगी के लिये है। यानि ऑनलाइन फ्राड करने वाले हैकर्स ने कंप्यूटर में घुसकर ई-मेल के जरिये दोनों कंपनियों के बीच होने वाले पत्राचार देख लिया था। अपनी पुलिस झारखंड, बिहार के किसी गांव से फर्जी फोन काल करने वालों को पकडऩे में कुछ सफल रही है पर जालसाजी के इस इंटरनेशनल नेटवर्क तक वह कैसे ब्रेक कर पायेगी, देखना होगा।
हाथियों से उलझने पर अब एफआईआर
हाथियों के हमले की अधिकांश घटनायें अनायास होती हैं जिसमें ग्रामीणों का कोई दोष नहीं होता। पर कुछ दुर्घटनाओं को टाला जा सकता है जो जानबूझकर बरती गई लापरवाही के कारण होती है। हाथियों के पहुंचने पर लोग कौतूहल में घरों से निकलते हैं, चीखते चिल्लाते हैं और कई तो वीडियो बनाने लग जाते हैं। कुछ को तो सेल्फी लेने का शौक होता है। कई बार लोग वन अधिकारियों और मैदानी अमले के रोके जाने के बावजूद हाथियों के करीब जाते हैं या उस रास्ते पर निकल जाते हैं जहां हाथी डेरा डाले हुए हैं। वनकर्मियों की बात अऩसुनी कर जोखिम उठाते हैं। इसके चलते लोग हताहत होते हैं। ऐसे मामलों में पहले वन विभाग चेतावनी देकर छोड़ देता था, पर अब निर्णय लिया गया है कि चेतावनी को नजरअंदाज करने पर वन अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की जायेगी और गिरफ्तारी भी हो सकती है। यहां तक तो ठीक है लेकिन हाल के दिनों में कई गांवों में हाथियों से जो नुकसान पहुंचा वहां वन विभाग की ओर से ग्रामीणों को पहले से कोई सूचना नहीं मिली थी। कुछ दिन पहले धर्मजयगढ़ इलाके में एक हाथी की मौत करंट लगने से भी हो गई। वहां भी मैदानी अमले को हाथी के विचरण के बारे में कुछ पता नहीं था। लगातार आबादी वाले क्षेत्रों में हाथियों का भ्रमण हो रहा है और लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। तब, विभाग को भी रुकी पड़ी दीर्घ योजनाओं में क्या प्रगति है बताना चाहिये। जैसे कोर्ट के आदेश के मुताबिक विचरण वाले क्षेत्रों में बिजली तारों को ऊंचाई पर शिफ्ट करना, लेमरू और बादलखोल एलिफेंट रिजर्व एरिया का काम शुरू करना।
आगंतुकों से आत्मीयता
इस दफ्तर में साहब ने पुल-पुश, खींचिये-धकेलिये की जगह पर छत्तीसगढ़ी का प्रयोग किया है। यकीनन वे मिलने-जुलने वालों के साथ आत्मीयता से पेश आते होंगे। काम होने न होने की बात अलग है।