राजपथ - जनपथ
समानांतर राजनीति
भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) पवन साय पार्टी के भीतर अपने पूर्ववर्तियों सौदान सिंह, और रामप्रताप सिंह जैसी धमक नहीं बना पा रहे हैं। पवन साय सरल स्वभाव के हैं। और कई चीजें पार्टी लाइन से अलग होने के बाद भी वो ज्यादा कुछ कर नहीं पा रहे हैं। हाल यह है कि पार्टी के समानांतर कई संगठन खड़े हो गए हैं, लेकिन पवन साय इन संगठनों से पार्टी के लोगों के जुडऩे से रोकने में नाकाम रहे हैं। इसकी वजह से पार्टी के भीतर कलह पैदा हो गई है।
पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने प्रधानमंत्री जन कल्याण योजना जागरूकता अभियान संगठन खड़ा कर रखा है। पवन साय ने सभी जिला अध्यक्षों को उपासने के संगठन से नाता तोडऩे का फरमान सुनाया, लेकिन कोई भी इससे अलग नहीं हुआ। पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह तो उपासने के संगठन के राष्ट्रीय संरक्षक हैं। श्रीचंद सुंदरानी, और अन्य जिलाध्यक्ष जिला इकाईयों के संरक्षक बने हुए हैं, लेकिन पवन साय के कहने के बाद भी किसी ने भी संगठन से इस्तीफा नहीं दिया।
उपासने ने तो साफ तौर पर कह दिया है कि जनकल्याण जागरूकता अभियान संगठन राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत संगठन है, और इसको भंग करना उनके हाथ में नहीं है। इसी तरह नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल ट्रस्ट नाम से एक और संगठन अस्तित्व में आ गया है। इसमें भी पार्टी के लोग जुड़ गए हैं।
कुछ दिन पहले तामझाम के साथ कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए तिल्दा के पूर्व जनपद अध्यक्ष वेदराम मनहरे को प्रदेश का प्रभारी बना दिया गया है। मनहरे के साथ 10 और सह प्रभारी नियुक्त किए गए हैं। हाल यह है कि जिन्हें पार्टी संगठन में कोई पद नहीं मिल रहा है, वो नए संगठनों से जुड़ जा रहे हैं।
कुछ समय पहले पार्टी के लोगों ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नाम से एक संगठन खड़ा किया था। तब पार्टी के कुछ लोगों ने इसके औचित्य पर सवाल खड़े किए थे। उस समय इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। बाद में जो इस अभियान के मुखिया थे उन्होंने ही पार्टी पदाधिकारियों के वाट्सअप ग्रुप में अश्लील वीडियो पोस्ट कर दिया था। तब पार्टी की काफी किरकिरी हुई थी। अब तो असंतुष्ट नेता नए संगठन के जरिए कार्यक्रम कर रहे हैं। जिससे पार्टी के रणनीतिकार असमंजस में हैं।
लोग इतने पीडि़त हैं आरटीओ से?
यह कतार राशन के लिये नहीं है न ही किसी वॉक इन इंटरव्यू की है। यह लाइन है बिलासपुर ट्रैफिक पुलिस द्वारा इन लर्निंग लाइसेंस बनाने के लिये रखे गये शिविर का। बिलासपुर पुलिस ने कुछ दिनों तक लगातार चौक-चौराहों पर चालान काटने का अभियान शुरू किया। पता चला कि बहुत से लोग ऐसे मिल रहे हैं जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस ही नहीं है। ज्यादातर युवा हैं, उनक़े जुर्माने की रसीद बनाना अच्छा नहीं लगा, सो कैंप लगा लिया। दरअसल यहां आरटीओ का दफ्तर शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर है। वहां कभी ट्रायल होता है कभी वापस लौटना पड़ता है। दलाल और एजेंट अलग चूना लगाते हैं। अधिकतर लोग यही बता रहे हैं कि आरटीओ ऑफिस में कई बार जा चुके। त्रस्त होने के कारण लाइसेंस बनवाने का इरादा त्याग दिया। अब शहर में कैंप लगा है जिसमें एक रुपये रिश्वत भी देने की जरूरत नहीं है। कैंप की भीड़ बताती है कि लोग कानून का पालन करना चाहते हैं पर बाबूशाही और दलाली इसमें बाधा बन जाती है।
चंद्रपुर से इस बार कौन?
जशपुर कुमार युद्धवीर सिंह जूदेव के निधन ने न केवल जशपुर की राजनीति में एक खालीपन भर दिया बल्कि भाजपा का उत्तरी छत्तीसगढ़ में एक मजबूत आधार खिसक गया। हालांकि मंझले भाई, बेटा और भाभी राजनीति में हैं पर ज्यादातर लोग मानते थे कि स्व. दिलीप सिंह जूदेव की विरासत को आगे बढ़ाने की क्षमता युद्धवीर में ही थी। अब उनके जाने के बाद जूदेव परिवार की, खासकर संयोगिता सिंह की भाजपा में क्या भूमिका होगी इस पर चर्चा हो रही है।
युद्धवीर सिंह की पत्नी संयोगिता सिंह ने सन् 2018 में चंद्रपुर सीट से चुनाव लड़ा। पूरे प्रदेश में भाजपा के विरोध में माहौल होने के कारण वह चुनाव नहीं जीत सकीं। उऩ्हें चुनावी राजनीति का अनुभव हासिल हुआ। युद्धवीर इस सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। वे जशपुर और चंद्रपुर दोनों ही क्षेत्र में लोकप्रिय रहे। कई मौकों पर संयोगिता सिंह उनका प्रतिनिधित्व करती रही हैं। युद्धवीर सिंह के निधन के बाद संवेदना व्यक्त करने के लिये पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह, वरिष्ठ नेता कृष्णा राय सहित कई नेताओं ने उऩसे भविष्य की योजना पर चर्चा की है। कुछ नेताओं का कहना है कि वे इस दुख की घड़ी से जब बाहर आयें तो उन्हें युद्धवीर के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिये कहा जाये। कुछ नेताओं का मानना है कि उन्हें ध्यान बांटने के लिये जल्दी से जल्दी सार्वजनिक जीवन में सक्रिय होना चाहिये। संभावना यही है कि आने वाले दिनों में संयोगिता सिंह सक्रिय होंगी और युद्धवीर सिंह जूदेव की विरासत संभालेंगीं। हो सकता है कि उन्हें चंद्रपुर विधानसभा सीट से एक बार फिर चुनाव लडऩे के लिये कहा जाये।
नियोगी की याद में लघु फिल्म
श्रमिक नेता और छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शंकर गुहा नियोगी की हत्या को 28 सितंबर को 30 बरस हो जायेंगे। इस मौके उनके जीवन के संघर्षों को लेकर एक लघु फिल्म यू-ट्यूब पर ‘लाल जोहार’ नाम से रिलीज की गई है। अपना ‘मोर्चा चैनल’ पर इसे देखा जा सकता है। पत्रकार राजकुमार सोनी के निर्देशन में बनी इस लघु फिल्म में नियोगी के आंदोलन और उनके जीवन से जुड़ी घटनाओं को सरल ढंग से दिखाया गया है जो इस पीढ़ी के लोगों को जानना चाहिये। नियोगी की हत्या के आरोप में निचली अदालत ने दो उद्योगपतियों सहित तीन लोगों को सजा दी थी लेकिन ऊपरी अदालत में सिर्फ शूटर की सजा बरकरार रखी थी।