राजपथ - जनपथ
महिला होने के कारण तबादला
हेमलता मानिकपुरी के खिलाफ भी कोई शिकायत नहीं थी। वह बालोद जिले के भेडी में पंचायत सचिव हैं, जिसे जनपद पंचायत के सीईओ ने वहां से हटाकर एक दूसरी पंचायत झिटिया भेजने का आदेश दे दिया। भेड़ी के सरपंच ने सीईओ से मांग की थी कि उन्हें पुरुष पंचायत सचिव चाहिये क्योंकि यहां काम की अधिकता है। महिला होने के कारण पंचायत सचिव काम नहीं कर पा रही है। रामानुजगंज के डीईओ तो अडिय़ल थे, पर यहां जनपद के सीईओ उदार। सरपंच की बात बिना किसी सिफारिश के ही सुन ली और महिला सचिव का महिला होने के कारण हटा दिया। शायद महिलाओं की क्षमता को लेकर सरपंच और सीईओ की राय एक जैसी हो। पंचायतों में तो 50 फीसदी महिलायें चुनी जाती हैं, उनकी क्षमता पर सीईओ की क्या राय है, पता नहीं। पर इस आदेश को विभाग के मंत्री टीएस सिंहदेव ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने तबादले के आधार को खारिज किया, आदेश को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और रद्द भी करा दिया। साथ ही उन्होंने इस मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की बात भी कह दी है।
त्यौहारों में बीमार कौन पड़े
10 अक्टूबर को रायपुर में कोविड वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या कुल 6990 थी। इनमें भी 5012 ऐसे थे जिन्होंने दूसरी डोज ली, पहली डोज लेने वालों की संख्या सिर्फ 1978 थी। जबकि इस महीने की पहली तारीख को 16 हजार 693 लोगों ने पहला और दूसरा डोज लिया था। नवरात्रि शुरू होने के दो दिन पहले 4 अक्टूबर को ठीक ठाक संख्या में लोगों ने वैक्सीन ली। इस दिन इनकी संख्या कुल 15 हजार 358 थी। पर उसके बाद गिरावट ही दर्ज की जा रही है। बिलासपुर में 4 अक्टूबर को 13 हजार 93 लोगों ने वैक्सीन लगवाई पर उसके बाद आंकड़ा 6, 7, 8 हजार तक गया। सिर्फ शनिवार को छोडक़र जब 12 हजार 55 लोगों ने टीके लगवाये। कल 10 अक्टूबर को 8 हजार 353 लोगों ने टीके लगवाये।
छत्तीसगढ़ में पिछले महीने डेढ़ करोड़ डोज लोगों को दिये जा चुके थे। इस माह यह 2 करोड़ तक पहुंच गया है। कोविड के नियंत्रित होने की ओर ध्यान जाता है तो इस आंकड़े का भी महत्व समझ में आता है। पर इन दिनों वैक्सीनेशन सेंटर में भीड़ कम दिखने की वजह यह बताई जा रही है कि लोग त्योहार में बीमार पडऩा नहीं चाहते। बुखार सिर्फ 24 घंटे का हो सकता है वह भी केवल पहली डोज लेने वालों को। पर, लोग एहतियात बरत रहे हैं। आने वाले दिनों में लगातार पर्व-त्यौहार हैं। वैक्सीनेशन की रफ्तार पर इसका असर आगे भी दिखाई दे सकता है।
डीईओ को झुकाकर ही माना...
रामानुजगंज विधायक बृहस्पत सिंह की बात सुन ली गई है। बात उनके कथित ऑडियो की नहीं हो रही है, बल्कि उनके नोटशीट की है। जिला शिक्षा अधिकारी ने एबीईओ को हटाने से इंकार कर दिया था। वे कह रहे थे कि शिकायत नहीं है। विधायक का डीईओ से तू-तड़ाक वाला ऑडियो वायरल होने के बाद ऐसा लगा था कि कोई सफाई सामने आयेगी, मगर ऐसा नहीं हुआ। संगठन ने जरूरत नहीं समझी, सरकार तो अपनी है ही। बल्कि यह हुआ कि एबीईओ को उनकी मंशा के अनुरूप जिला शिक्षा अधिकारी ने हटा दिया है। जानकारी यह भी मिली है कि हटाने का आदेश सीएम हाउस से ही आया था। अच्छा हुआ सीएम हाउस ने पत्र पर गौर कर लिया। डीईओ विधायक के कहने पर काम नहीं करने पर अड़े थे, विधायक ने सीएम हाउस से ऑर्डर कराने की बात कही थी। दोनों की बात रह गई। पर उस एबीईओ का क्या, जिसे बिना शिकायत के ही हटना पड़ा?