राजपथ - जनपथ
राजनीति की एबीसीडी
ऐसे कई मौके आ चुके हैं जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का उनकी ही पार्टी में पूछ-परख नहीं किये जाने को लेकर चुटकियां ले चुके हैं। डॉ. सिंह के आरोपों पर पूछ चुके हैं कि वे आखिर हैं कौन? बघेल के इस रुख को लेकर सवाल किये जाने पर मुंगेली व बिलासपुर जिले के दौरे पर निकले डॉ. सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जब बघेल राजनीति की एबीसीडी सीख रहे थे तो वे केन्द्रीय मंत्री बन चुके थे। यानि आज उनको एक्स वाई जेड नहीं माना चाहिये। पूर्व मुख्यमंत्री यह भी कह सकते थे कि वे जिस स्कूल में पढ़े हैं, वहां के हम हेडमास्टर रहे हैं। मगर, यह ठीक नहीं होता क्योंकि दोनों की पाठशाला अलग-अलग है।
पुलिस भरोसा कैसे जीते?
सरगुजा जिले के चिरंगा, बतौली में एलुमिना फैक्ट्री लगाने का ग्रामीणों ने विरोध किया। ग्रामीणों का आरोप है कि जन सुनवाई में उन्होंने असहमति जताई थी पर इसे प्रशासन ने सहमत दर्शाकर मंजूरी दे दी। इससे लोग इतने नाराज हैं कि गांव के लोग पहरेदारी कर रहे हैं कि फैक्ट्री का काम शुरू न हो। कोई भी अनजान या सरकारी गाड़ी देखते ही उसे वे लौटा देते हैं। अब यहीं पर पास में एक गुड़ फैक्ट्री की मंजूरी भी दी गई है। इसी फैक्ट्री के लिये जमीन को समतल करने का काम शुरू हुआ तो ग्रामीणों ने यह समझकर कि यह एलुमिना फैक्ट्री के लिये किया जा रहा है, विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस और प्रशासन ने ग्रामीणों के साथ कोई संवाद नहीं किया। आरोप है कि पुलिस गांव में घुसी और जो लोग प्रदर्शन में शामिल नहीं थे, ऐसे तीन ग्रामीणों को दूसरी जगह से गिरफ्तार कर ले गई। उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जेल भेज दिये गये। विरोध और बढ़ गया और महिलाओं ने राष्ट्रीय राजमार्ग ही जाम कर दिया। कह रहे थे कि जो आंदोलन में थे ही नहीं उनको क्यों जेल भेजा, उन्हें हमारे पास वापस लेकर आओ तब रास्ता छोड़ेंगें। चार घंटे से ज्यादा चक्काजाम रहा। किसी तरह समझा-बुझाकर ग्रामीणों को हटाया जा सका।
यह एक उदाहरण है कि ग्रामीणों के साथ संवाद और सहमति की प्रक्रिया को न तो प्रशासन महत्व देता न पुलिस देती है। वे कानून में मिले अधिकार का इस्तेमाल करने पर विश्वास करते हैं, जिससे व्यवस्था बिगड़ती है।
विधायक चंद्राकर के खिलाफ प्रदर्शन..
आबकारी विभाग के लिपिक के साथ मारपीट का मामला जल्दी सुलझता दिखाई नहीं दे रहा है। जब से यह घटना हुई है विधायक विनोद चंद्राकर की ओर से यही बयान आ रहा है कि वे मारपीट में शामिल नहीं थे बल्कि बीच-बचाव करने गये थे, जबकि पीडि़त लिपिक ने अपनी शिकायत में मारपीट करने वालों में सबसे पहला नाम विधायक का ही लिखा है। अब तक भाजपा ने इस मामले में बयान ही दिये थे लेकिन महासमुंद में बीती रात वह सडक़ पर उतर गई। राज्योत्सव के कार्यक्रम में विधायक को मुख्य अतिथि बनाया गया तो वे उनके सामने प्रदर्शन करने के लिये आगे बढऩे लगे। राज्योत्सव में खलल न पड़े, इसलिये पुलिस ने घेराबंदी की और किसी तरह से भाजपा कार्यकर्ताओं को आगे बढऩे से रोका। मामला जल्दी शांत होते दिखाई नहीं दे रहा है। जब तक यह मुद्दा गरम है चंद्राकर की सार्वजनिक कार्यक्रमों में उपस्थिति पर पुलिस को अधिक सावधानी बरतनी पड़ेगी।
रंगीनमिजाजी पर नरमी
बच्चियों और महिलाओं से जुड़े मामलों में गंभीरता बरतने और शीघ्रता से कार्रवाई करने का प्रशासन और समय-समय पर अदालतों का स्थायी निर्देश है। पर, रामानुजगंज के लरंगसाय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में ऐसा नहीं हो रहा है। वहां के और किसी नहीं, बल्कि प्राचार्य पर ही छात्राओं ने अश्लील कमेंट करने का आरोप लगाया है। जब इसकी पुनरावृत्ति बार-बार होने लगी तो छात्राओं के लिए इसे नजरअंदाज करना मुश्किल हो गया। उच्च शिक्षा संस्थान के प्रमुख पर ही ऐसा गंभीर आरोप था इसलिये छात्राओं को इसकी शिकायत थाने में करनी पड़ी। इस पर भी कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने एसडीएम से शिकायत की, पर उनका रुख भी नरम है। उन्होंने प्रिंसिपल के उच्चाधिकारियों को विभागीय कार्रवाई के लिये लिखा है, जबकि पीडि़त छात्राओं का कहना है कि एफआईआर होनी चाहिये। कुछ समय पहले यही प्राचार्य एनएसएस के कैंप में डांस करते दिखे थे जिसका वीडियो भी सामने आया था। तब किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। इस बार शिकायत हो जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होने से नाराज छात्र-छात्राओं ने कॉलेज परिसर में ही धरना दिया, लरंग साय चौराहे पर प्रदर्शन किया, पुतला फूंका तब भी कोई एक्शन नहीं लिया गया है। अलबत्ता प्राचार्य के बचाव में एक पत्र जरूर थानेदार को दिया गया है जिसमें उनको बेकसूर बताया गया है। आवेदक के रूप में लिखा गया है समस्त छात्र-छात्रायें, पर उसमें हस्ताक्षर सिर्फ एक है, किसी संदीप का।