राजपथ - जनपथ
तोहफों का सैलाब धीमा
दीवाली के मौके पर गिफ्ट का चलन कोई नया नहीं है। मंत्रालय में तो अफसर-कर्मियों को गिफ्ट देने के लिए कंपनियों के प्रतिनिधि, ठेकेदार, और अन्य प्रभावशाली लोगों की भीड़ देखने को मिलती रही है। पिछले साल तो कोरोना की वजह से एक तरह से सूना रहा, लेकिन इस बार थोड़ी रौनक देखने को मिली।
त्योहार को लेकर किसी तरह की रोक-टोक न होने के बावजूद गिफ्ट देने वालों की अपेक्षाकृत भीड़ कम देखने को मिली। वजह यह है कि सीएस अमिताभ जैन ने तो हिदायत दे रखी थी कि दीवाली की बधाई देने न आएं। लिहाजा भीड़ छँट गई।
सचिव स्तर के एक अफसर ने बाहर से आए कंपनियों के प्रतिनिधियों से गिफ्ट लेने से तो परहेज नहीं किया, लेकिन उन्होंने सारे गिफ्ट अपने स्टाफ के लोगों के बीच बांट दिया। स्टाफ के लोगों के पास इतने गिफ्ट आ गए कि वो प्राइवेट गाड़ी में घर गए।
अमिताभ जैन की तरह पूर्व मुख्य सचिव सुनिल कुमार के तेवर रहे हैं। सुनिल कुमार का खौफ इतना था कि लोग उनसे दीवाली या नववर्ष के मौके पर मिलने गिफ्ट लेकर जाना, तो दूर गुलदस्ता लेकर जाने में भी कतराते थे।
मरकाम टीम से दो-दो हाथ
कांग्रेस से निलंबित निगम अध्यक्ष सन्नी अग्रवाल अब मोहन मरकाम, और उनकी टीम से दो-दो हाथ करते दिख रहे हैं। सदस्यता अभियान के शुरू होने के मौके पर पिछले दिनों सीएम भूपेश बघेल राजीव भवन पहुंचे, तो वहां सन्नी ने अपने साथियों के साथ भूपेश के समर्थन में जमकर नारेबाजी की।
शहरभर में पोस्टर लगवाए जिसमें मरकाम की तस्वीर गायब थी। पोस्टर में सिर्फ सीएम के अलावा गिरीश देवांगन, और रामगोपाल की तस्वीर थी। दीवाली के मौके पर अपने से जुड़े लोगों, और मीडिया कर्मियों को खूब गिफ्ट बांटे। मरकाम त्योहार मनाने कोंडागांव चले गए। उनकी टीम का हाल यह रहा कि वो दीवाली के बधाई संदेश तक कार्यकर्ताओं तक नहीं पहुंचा पाए। ऐसे में सन्नी जैसे लोग भारी तो पड़ेंगे ही।
सेव फॉरेस्ट, स्टॉप अदानी
ग्लास्को में हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कांफ्रेंस के बाहर करीब 1 लाख लोगों ने अपने-अपने तरीके से धरती को प्रदूषण से बचाने और पर्वावरण को सुरक्षित रखने के लिये शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। इसमें भारत के भी लोग थे और इन भारतीयों में कुछ ऐसे लोग जिनका संपर्क, संबंध छत्तीसगढ़ से है। इन लोगों ने हसदेव के जंगलों को बचाने के लिये पोस्टर और नारों के जरिये आवाज उठाई। एक वीडियो ट्विटर पर साझा हुआ है- फ्राइडे फॉर फ्यूचर इंडिया पेज पर। इसमें हसदेव अरण्य में अदानी को दी गई अनुमति रद्द करने की मांग की जा रही है। उनके हाथ में पोस्टर हैं जिन पर लिखा है, सेव फॉरेस्ट, स्टॉप अदानी। सरगुजा और कोरबा के जंगल से पैदल चलकर पहुंचे प्रभावित ग्रामीणों के बारे में राजधानी रायपुर के अधिकारियों को तो पता नहीं चला, पर यह यात्रा दुनिया के अलग-अलग कोनों में लोगों का ध्यान खींच रही है। याद होगा, इसी यात्रा के बाद स्वीडन की प्रख्यात पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने भी हसदेव अरण्य को बचाने के लिये ट्वीट किया था।
रेल्वे और फिल्म शूटिंग
रेलवे ने छत्तीसगढ़ की खूबसूरती की फिल्म शूटिंग को पहले से ज्यादा आसान कर दिया है। रेलवे ट्रैक और स्टेशनों में शूटिंग के लिए रेलवे जोनल मुख्यालय में सिंगल विंडो सिस्टम शुरू कर दिया है। इसके पहले लोग बिना अनुमति के छोटी मोटी शूटिंग या यूट्यूब ब्लॉग बना लेते थे। अधिकारिक तौर पर फिल्म शूटिंग के लिए रेलवे बोर्ड से मंजूरी लेनी पड़ती थी। मुंबई हावड़ा रूट, कटनी रूट हो या विशाखापट्टनम और बस्तर की रेल लाइन, खूबसूरती छत्तीसगढ़ में सब तरफ बिखरी हुई है। छत्तीसगढ़ में फिल्में भी खूब बनती है। रेलवे के गलियारे में शूटिंग का मौका मिलने से उम्मीद कर सकते हैं कि छत्तीसगढ़ की विशेषताओं को ज्यादा अच्छी तरह से देश दुनिया में दिखाया जा सकेगा। बॉलिवुड और देश-दुनिया के फिल्म निर्माता भी छत्तीसगढ़ को शूट करने पहुंच सकते हैं।
सरकार योजना बना रही, लोग पैसे खाने में लगे
सरगुजा संभाग में संरक्षित पिछड़ी जनजातियों के साथ जो मजाक होता रहा है, उसका एक और उदाहरण सामने आया है। लुंड्रा ब्लॉक में पहाड़ी कोरवा युवाओं को ड्राइविंग ट्रेनिंग देने के लिए एक एनजीओ को एक लाख रुपये दिये गये। ट्रेनिंग के नाम पर उन्हें जीप की ड्राइविंग सीट पर बिठाया गया और फोटो खींच ली गई। चाय नाश्ता करा कर उन्हें वापस भेज दिया गया। हालत यह है कि जिन 30 युवकों को ड्राइविंग सिखाने का दावा किया गया है वे चार पहिया वाहनों में चाबी तक नहीं लगा पाते। मामले ने तूल पकड़ा जब पूर्व मंत्री गणेश राम भगत ने आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों से जवाब तलब किया। उन्होंने कहा कि आप तो स्वयं आदिवासी अधिकारी है इसके बावजूद युवकों को ठगा गया और आप अन्याय होते देख रहे थे। अधिकारी ने सफाई दी कि जिनको ट्रेनिंग दी गई है और युवाओं को सर्टिफिकेट भी बांटा गया है। भगत ने कहा कि ठीक है सर्टिफिकेट देने से कोई ट्रेंड हो जाता है तो मैं आपको पायलट का सर्टिफिकेट देता हूं, प्लेन उड़ा कर बताओ। बहरहाल, अब मामले की जांच शुरू हो गई है और जिस एनजीओ ग्रामीण साक्षरता सेवा संस्थान का नाम इस घोटाले में आ रहा है, मालूम हुआ है कि इसके संचालक अब उन युवाओं से संपर्क करके झूठा बयान देने के लिए 30-30 हजार रुपए का प्रलोभन दे रहे हैं। देखते हैं भगत का हडक़ाना काम आता है या एनजीओ का प्रलोभन।
फोन पर जमीन में निवेश का ऑफर
कोरोना की लहर कमजोर होने के बाद कारोबार के हर क्षेत्र में रफ्तार दिखाई दे रही है। इतनी हिम्मत आई है कि त्यौहारों के सीजन में लोग जमीन, मकान, फ्लैट आदि पर निवेश करने के लिये लोग आगे आ रहे हैं। जो रेरा से पंजीकृत हैं और तमाम शासकीय अनुमति ले चुके हैं वे तो अपने प्रोजेक्ट को प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और हर तरह की मीडिया में बेझिझक कर रहे हैं लेकिन जिन लोगों के प्रोजेक्ट अधिकृत नहीं हैं वे ऐसा नहीं कर सकते। रेरा में शिकायत के बाद उन पर कार्रवाई हो सकती है। ऐसे लोगों ने मोबाइल फोन के जरिये ग्राहकों तक पहुंचने का रास्ता चुना है। वे वाट्सएप, मैसेज, फोन कॉल और यहां तक ई मेल के माध्यम से लोगों तक पहुंच रहे हैं। सस्ते और एक हद तक अविश्वसनीय दाम पर मिलने वाले फ्लैट, मकान, जमीन के ऑफर को लेकर लोगों में आकर्षण होता है पर वे धोखा खा सकते हैं।
इसे लेकर शिकायतें रेरा को भी मिल रही हैं। उसने अब एसएमएस पर भी निगरानी करनी शुरू की है। हाल के दिनों में सात ऐसे प्रोजेक्ट उनके ध्यान में आ चुके हैं जिनके पास वैध अनुज्ञा और रेरा से पंजीयन नहीं है। इन सबको नोटिस देकर खरीदी-बिक्री बंद करने की चेतावनी दी गई है और लोगों को भी आगाह किया गया है। अभी सिर्फ सात परियोजनाओं पर रेरा की निगाह पड़ी है, पर न केवल राजधानी बल्कि पूरे प्रदेश में प्राय: सभी विकसित हो रहे शहरों में ऐसी अवैध खरीदी बिक्री के ऑफर आ रहे हैं। ज्यादा समझदारी इसी में है कि एसएमएस और वाट्सएप पर दिये जाने वाले ऑफर पर भरोसा ही नहीं किया जाये वरना धोखा हो सकता है।