राजपथ - जनपथ
अवस्थी के जाने से हैरानी नहीं
डीजीपी बदले गए तो जानकार लोगों को आश्चर्य नहीं हुआ। सुनते हैं कि डीएम अवस्थी के तौर-तरीकों से गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू तो नाखुश थे ही। सीएम ने भी कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस से पहले अहम बैठकों में उन्हें बुलाना बंद कर दिया था। शिकायतें तो कई थीं, लेकिन एक शिकायत यह भी थी कि वो पीएचक्यू के बजाए पुलिस लाइन के सामने ट्रैंजि़ट हॉस्टल में ज्यादा समय गुजारते हैं। एक तरह से पुलिसिंग चौपट-सी हो गई थी।
चर्चा है कि अवस्थी के रेगुलर डीजी के ऑर्डर होने से पहले उन्हें उनकी खामियों को लेकर साफ-साफ बता दिया गया था। यह भी कहा गया था कि इन सबको नजरअंदाज कर रेगुलर डीजीपी बनाया जा रहा है। हल्ला तो यह भी है कि अवस्थी ने सब-कुछ ठीक करने का भरोसा दिलाया था। लेकिन कुछ नहीं हुआ। अहम मसलों पर वो जांच को किसी किनारे पर नहीं पहुंचा रहे थे। कामकाज में नुक्ताचीनी के बाद भी वो करीब-करीब तीन साल डीजीपी रहे। यानी एएन उपाध्याय के बाद सबसे ज्यादा समय तक।
तमाम खामियों के बावजूद पुलिस वेलफेयर आदि को लेकर विभाग के छोटे अधिकारी-कर्मचारी उनसे खुश रहते थे। वैसे डीजीपी पद से हटने का ऑर्डर होने के बाद बिना देरी किए अवस्थी ने नया दायित्व संभाल भी लिया है। यदि सब कुछ ठीक रहता है, तो उन्हें और दायित्व मिल सकता है। क्योंकि रिटायरमेंट में अभी डेढ़ साल से अधिक समय बाकी है।
भाजपा में शह और मात
भाजपा के भले ही 14 विधायक रह गए हैं, लेकिन उनमें भी शह-मात का खेल चलते रहता है। इसका नमूना कवर्धा विवाद पर देखने को मिला। सुनते हैं कि भाजपा विधायकों ने गुपचुप रणनीति बनाई थी कि सभी विधायक बिना पूर्व सूचना के कवर्धा विवाद की न्यायिक जांच की मांग को लेकर सीएम हाउस के सामने धरने पर बैठेंगे।
बाद में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक मीडिया से मुखातिब हुए, और ऐलान कर गए कि यदि कवर्धा मामले की न्यायिक जांच नहीं हुई, तो विधायक धरने पर बैठेंगे। अब जब रणनीति का खुलासा हो गया है, तो सरकार, और पुलिस भाजपा विधायकों को सीएम हाउस के आसपास फटकने देगी, यह तो सोचना भी नहीं चाहिए।
बसों की टाइमिंग का बवाल
अल्टीमेटम के बाद भी राजधानी रायपुर के पंडरी बस स्टैंड से एक भी बस ऑपरेटर का दफ्तर हटाकर भाठागांव नये बस स्टैंड आईएसबीटी में नहीं ले जाया गया है। नई जगह पर यातायात थाना खोल दिया गया है। टर्मिनल का पूरा काम पहले ही हो चुका है। सोमवार से पंडरी में तोड़-फोड़ शुरू करने की बात भी हो रही है। बस ऑपरेटरों ने एक आम समस्या की तरफ ध्यान दिलाया है। नई जगह से बस छूटने और पहुंचने का समय दूरी के कारण बदल जायेगा। इसके चलते पहले से ही सवारियों के लिये स्पर्धा करने वाले संचालकों में आये दिन विवाद होने की आशंका है। सारे विभागों ने अपना काम तो कर लिया पर परिवहन विभाग ने टाइम टेबल सुधारने का काम नहीं किया। यह थोड़ा पेचीदा भी हो सकता है कि क्योंकि रायपुर ही नहीं दूसरे जिलों में मसलन बलौदाबाजार, दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगांव, जहां ये बसें पहुंचती और वहां से छूटती हैं, वहां भी टाइम टेबल में सुधार करना होगा।
मन हो न हो सुनें जरूर..
प्रदेश भाजपा ने एक प्रस्ताव पारित कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रेडियो वार्ता ‘मन की बात’ को सुनना अपने कार्यकर्ताओं के लिये अनिवार्य कर दिया है। इसके लिये प्रदेश में जगह-जगह बूथ भी बनाये जायेंगे। अनिवार्य करने का क्या मतलब निकाला जाना चाहिये? एक बार देखा गया था कि सोशल मीडिया पर जितने लोगों ने मन की बात सुनी उनमें लाइक से दुगनी संख्या डिसलाइक करने वालों की थी। क्या धीरे-धीरे इसके श्रोता घट रहे हैं? पार्टी कार्यकर्ता सुनें न सुनें, वे तो मोदी के प्रशंसक रहेंगे ही। पार्टी कोशिश कर सकती है कि आम लोगों में इसे सुनने की रुचि बढ़े। पर, मन की बात में बात उनके काम की भी होनी चाहिये।
सलमान खुर्शीद का नहीं आना
हाल ही में कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी ने अपना रायपुर दौरा स्थगित कर दिया। कुछ संगठनों ने उनके कार्यक्रम को रुकवा देने की धमकी दी थी। अब फिर एक खबर है कि सलमान खुर्शीद का दौरा भी रद्द हो गया। राजधानी में आज शुरू हुए राष्ट्रीय शिक्षा समागम में खुर्शीद को तब विशिष्ट अतिथि तय कर लिया गया था जब उनकी किताब सनराइज ओवर इंडिया की बातें सामने नहीं आई थीं। शिक्षा विभाग ने निमंत्रण पत्र में उनका नाम भी छाप दिया था। पर दो दिन पहले तय किया गया कि खुर्शीद नहीं आयेंगे। उनका आना क्यों टल गया, इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। मंत्री ने यह जरूर बताया है कि अब उनकी जगह विशिष्ट अतिथि अजय माकन होंगे। सलमान खुर्शीद एक सीनियर वकील होने के नाते बहुत बार छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में भी पैरवी करने के लिये भी आते रहे हैं।