राजपथ - जनपथ
अब ये मामला सुलग रहा है
प्रदेश के एक ताकतवर नेता अपने दल में घिरते जा रहे हैं। नेताजी ने अपने दल की एक महिला नेत्री को फोन कर इधर-उधर की बातें कह दी थीं। इस चर्चा को ‘छत्तीसगढ़’ ने इसी कॉलम में प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद कुछ प्रमुख नेताओं ने महिला नेत्री का पता लगाकर वस्तुस्थिति की जानकारी जुटाई है।
सुनते हैं कि रायपुर के पड़ोस के विधानसभा क्षेत्र की रहवासी इस महिला नेत्री ने अपने दल के कुछ नेताओं को सब कुछ सच बता दिया है। इसके बाद नेताओं ने महिला नेत्री की शिकायत प्रदेश प्रभारी तक पहुंचा दी है। नेताजी पहले भी मीटू प्रकरण में फंस चुके हैं।
उन पर करीब ढाई साल पहले एक महिला ने नेताजी पर आपत्तिजनक व्यवहार का आरोप लगाया था। उस समय तो पार्टी के रणनीतिकार नेताजी के पक्ष में सामने आ गए थे इसलिए बात दब गई। मगर इस बार अब ये मामला दल के अंदरखाने में सुलग रहा है। देखना है कि आगे-आगे होता है क्या?
खैरागढ़ की टिकट मामाजी के हाथ
खैरागढ़ उपचुनाव में अभी समय है, लेकिन राजनीतिक दलों के अंदरखाने में प्रत्याशियों के नामों पर चर्चा चल रही है। भाजपा में पूर्व सीएम रमन सिंह के भांजे विक्रांत सिंह का नाम सबसे मजबूत दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। विक्रांत जिला पंचायत के उपाध्यक्ष हैं, और सबसे ज्यादा वोटों से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीते।
विक्रांत जनपद अध्यक्ष भी रह चुके हैं। नगर पंचायत के भी अध्यक्ष रहे हैं। यानी 2004 से लगातार किसी न किसी पद पर निर्वाचित रहे हैं। संगठन के स्थानीय नेता भी उन्हें टिकट देने की वकालत कर रहे हैं। खैरागढ़ की टिकट विक्रांत के मामाजी (रमन सिंह) के हाथ में हैं। यानी मामाजी जिसे चाहेंगे उन्हें टिकट मिलेगी।
वैसे भी उपचुनाव विरोधी दल के लिए मुश्किल होता है। खैरागढ़ में तो अब तक चार बार उपचुनाव हुए हैं जिसमें चारों बार सत्ताधारी दल को ही जीत मिली है। ऐसे में खैरागढ़ के चुनावी इतिहास को देखते हुए रमन सिंह अपने भांजे पर दांव लगाएंगे, इसमें पार्टी नेताओं को संदेह है।
चर्चा है कि इस बार भी रमन सिंह अपने करीबी पूर्व संसदीय सचिव कोमल जंघेल को आगे कर सकते हैं। कांग्रेस में सात दावेदार हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस जाति समीकरण को देखते हुए लोधी समाज के किसी नए चेहरे को आगे कर सकती है।
जशपुर में घर वापसी अभियान..
एक बार फिर जशपुर में जूदेव परिवार का अभियान- ऑपरेशन घर वापसी शुरू हुआ है। पत्थलगांव के बसना, सरायपाली के करीब 400 परिवारों को उनके मूल धर्म में वापस लाने के लिये प्रबल प्रताप सिंह जूदेव खूंटापानी के कार्यक्रम में पहुंचे थे। जाहिर है ये आदिवासी हैं और कुछ पीढ़ी पहले ईसाई धर्म अपना चुके थे। जशपुर जिला मिशनरी कामकाज का बड़ा केंद्र है और वहां बड़ी संख्या ऐसे आदिवासियों की है जिन्होंने धर्म बदला। घर वापसी जूदेव परिवार की यूएसपी है और इसका फायदा इस राजनीतिक परिवार को तो मिलता ही है, भाजपा को लाभ पहुंचाती रही है। इस समय जब भाजपा छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के मुद्दे को अगले चुनाव तक विस्तारित करने की दिशा में बढ़ रही है। ऐसे में जूदेव परिवार की उसे बड़ी जरूरत है। बीते चुनाव में जूदेव परिवार की पसंद के दावेदारों के नाम काट दिये गये थे। इसके बाद स्व. युद्धवीर सिंह जूदेव का नेतृत्व के प्रति असंतोष भी झलकता रहा। इस बार?
मासूमों को ऑनलाइन पढ़ाई से क्षति?
बाल दिवस के मौके पर 14 नवंबर से 20 नवंबर तक प्रदेश की कई स्कूलों में नेत्र सुरक्षा सप्ताह के तहत बच्चों की आंखों की जांच की गई। बेमेतरा जिले का आंकड़ा आया है कि 9238 बच्चों में 330 में दृष्टिदोष का पता लगा। ये बच्चे 15 साल से कम उम्र के हैं। इन बच्चों को ब्लैक बोर्ड पर लिखे अक्षर ठीक से दिखाई नहीं देते। इतनी बड़ी संख्या को लेकर चिकित्सक हैरान हैं और अभिभावक तथा शिक्षक चिंतित। डॉक्टरों का कहना है कि आंखों में दिक्कत की बड़ी वजह लगातार ऑनलाइन पढ़ाई और मोबाइल फोन पर दूसरे गैजेट्स का इस्तेमाल करना हो सकता है। बेमेतरा दूसरे जिलों से हटकर नहीं है। प्रदेश के अन्य जिलों में भी भी बड़ी संख्या मंददृष्टि पीडि़त बच्चे हो सकते हैं। सतर्क होना चाहिये।
अधर श्रृंगार..
रायपुर के लोधीपारा के एक पान दुकान की तस्वीर। रोजी-रोटी तो छत्तीसगढ़ में है लेकिन दिल में अपना गांव बसा हुआ है। हां, अभी दरवाजा बंद है। तिवारी जी किसी को प्लाट दिखाने के लिये गये होंगे।