राजपथ - जनपथ
फर्जीवाड़े की सरकारी आदत
पिछली सरकार में सबसे आगे निकलने की होड़ के चलते जिलों में सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में जो फर्जीवाड़ा हुआ था, उस पर मौजूदा सरकार भी लगाम लगा नहीं पा रही है। मसलन, रायगढ़ जिले में सौ फीसदी वैक्सीनेशन का आंकड़ा देकर जिला प्रशासन ने अपनी पीठ थपथपा ली, और जब ओमिक्रॉन के खतरे के बाद दूसरे डोज के लिए लोग सेंटर में पहुंचे तो पता चला कि रिकॉर्ड में तो उनका वैक्सीनेशन हो चुका है। अब जाकर स्वास्थ्य विभाग ने इसकी जांच बिठाई है।
ऐसा ही फर्जीवाड़ा पिछली सरकार में बड़े पैमाने पर हुआ था। उस समय नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में तो डिजिटल पेमेंट की खबर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आई। यह दावा किया गया कि एक गांव में तो शतप्रतिशत लोग डिजिटल पेमेंट करते हैं। डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के नाम पर उस समय के जिला प्रशासन के मुखिया प्रधानमंत्री अवार्ड पा गए। मगर सरकार बदली तो यह बात सामने आई कि दंतेवाड़ा की 32 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है। यही नहीं, दंतेवाड़ा में लोग सबसे ज्यादा कुपोषित हैं। इस पर सीएम ने अपना चेहरा चमकाने में लगे अफसरों को लेकर नसीहत दी थी। मगर अब फिर वही ढर्रा शुरू हो गया है।
उत्तरी अमेरिका में छत्तीसगढ़
हजारों किलोमीटर दूर रहने वाले नॉर्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसियेशन (नाचा) से जुड़े सदस्य छत्तीसगढ़ की संस्कृति से जुड़े रहने के लिये नियमित रूप से एकत्रित होते हैं। उनके सोशल मीडिया पेज पर कुछ आकर्षक तस्वीरें शेयर की गई हैं। उन्होंने 10 दिसंबर को शहीद वीर नारायण सिंह को याद करते हुए जनजाति गौरव दिवस मनाया। इस बहाने नई पीढ़ी को उन्होंने शहीद वीर नारायण की शहादत के बारे में बताया। छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य गीतों की प्रस्तुति दी गई। शिकागो स्थित भारतीय दूतावास भी इस आयोजन में सहभागी रहा।
धर्मसंकट में सरकार
हसदेव अरण्य से आदिवासियों का पैदल जत्था रायपुर पहुंचा तो सरकार पर एक दबाव बना। आगे 10 दिसंबर को मदनपुर में एक बड़ा सम्मेलन भी हुआ और आर-पार की लड़ाई की घोषणा कर दी गई। केंद्र से मंजूरी के बाद भी तीन कोयला ब्लॉक, परसा ईस्ट व केते बासेन, परसा और केते एक्सटेंशन की अंतिम स्वीकृति को राज्य सरकार ने रोक रखा है। इसी आंदोलन के बीच अब राजस्थान सरकार के नुमाइंदे आकर राजधानी में डटे हैं। मंत्रालय, वन विभाग और पर्यावरण विभाग के अधिकारियों से मुलाकात कर रहे हैं और राज्य सरकार से मंजूरी जल्दी देने की गुहार लगा रहे हैं। उनका कहना है कि पीकेईबी के पहली खदान में अब कुछ दिन का ही कोयला बचा है। अब छत्तीसगढ़ सरकार दुविधा में है। राजस्थान में भी अपनी ही पार्टी की सरकार है। इधर आदिवासियों को चुनाव के पहले दिये गये भरोसे को भी बनाये रखना है।
अवैध रेत के खिलाफ असरदार आंदोलन
प्रदेश में कई जगहों से अवैध रेत उत्खनन की खबरें आती रहती हैं। इसका विरोध भी होता है पर असर नहीं होता। बैकुंठपुर के भरतपुर में एक असरदार आंदोलन आम आदमी पार्टी ने शुरू कर दिया। कार्यकर्ताओं ने उस सडक़ को पंडाल लगाकर घेर दिया और अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गये हैं, जहां से नेउर नदी के लिये रेत की ट्रकें गुजरती हैं। पार्टी का आरोप है कि नियम के खिलाफ मशीनों से रेत निकाली जा रही है और हाईवा से लोड कर यूपी तक भेजा जा रहा है। इस आंदोलन के चलते रेत निकालने का काम बंद हो गया है। अब आंदोलन करने वालों को एसडीएम ने चेतावनी दी है कि नहीं हटे तो बलपूर्वक हटाया जाएगा, कानूनी कार्रवाई भी की जायेगी। खदान संचालक का भी हवाला दिया गया है कि उसने व्यवसाय नहीं करने देने की शिकायत दर्ज कराई है। पर रेत की अवैध खुदाई और परिवहन की उनकी शिकायत का क्या होगा? इसका भी जिक्र है- माइनिंग अधिकारी को कहा गया है वे इस मामले पर कार्रवाई करेंगे।