राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भूपेश ने तोड़ा मिथक
17-Dec-2021 6:00 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भूपेश ने तोड़ा मिथक

भूपेश ने तोड़ा मिथक

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल ने आज 17 दिसंबर को तीन साल का कार्यकाल पूरा करके एक मिथक को तोड़ा है। इस कॉलम के जरिए हमने 19 अगस्त 2021 के अंक में मिथक का जिक्र करते हुए लिखा था कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद और उससे पहले अविभाजित राज्य में छत्तीसगढ़ से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने वाले किसी भी कांग्रेसी नेता ने तीन साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया। स्व. श्यामाचरण शुक्ल अविभाजित मध्यप्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन वे कभी भी तीन साल से ज्यादा समय तक सीएम नहीं रहे। इसी तरह छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करने वाले मोतीलाल वोरा अविभाजित मध्यप्रदेश में दो बार मुख्यमंत्री रहे। दोनों बार तीन साल से कम समय के लिए पद पर रहे। छत्तीसगढ़ बनने के बाद अजीत जोगी का कार्यकाल भी मोटेतौर पर तीन साल का ही रहा। उसके बाद छत्तीसगढ़ में 15 साल बीजेपी की सरकार रही। वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिला और 17 दिसंबर 2018 को भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस तरह उन्होंने मिथक को तोड़ते हुए सफलतापूर्वक तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है। हालांकि इस पूरे साल छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के फार्मूले को लेकर हल्ला चलता रहता। तीन साल पूरा होने के बाद इस कयास पर भी विराम लग गया है।

घेरे में पत्रकारिता विवि के सहायक कुलसचिव

छत्तीसगढ़ का पत्रकारिता विश्वविद्यालय विवादों के कारण हमेशा सुर्खियों में बना रहता है। फिलहाल विवि सहायक कुलसचिव के कारण सुर्खियां बटोर रहा है। सहायक कुलसचिव के खिलाफ विवि के ही शिक्षक ने रिश्वत मांगने की शिकायत की है। बताया जा रहा है कि शिक्षक अपनी परवीक्षा अवधि संबंधी प्रक्रिया के लिए उनके पास गए थे, तब दोनों के बीच विवाद हुआ। शिक्षक ने विवि प्रशासन को लिखित शिकायत में आरोप लगाया है कि सहायक कुलसचिव ने परवीक्षा अवधि का समापन पत्र जारी करने के लिए आधे महीने के वेतन के बरारबर रिश्वत की मांग की। सहायक कुलसचिव की ओर से भी शिक्षक के खिलाफ लिखित में शिकायत हुई है। इस तरह दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप की झड़ी लग गई है। इस मामले के बाद सहायक कुलसचिव के खिलाफ विवि के प्रताडि़त कर्मचारी-अधिकारी लामबंद हो गए हैं। दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण और अनुकंपा नियुक्ति मामले की फाइल अटकाने को लेकर भी सहायक कुलसचिव घेरे में है। उनका पुराना ट्रैक रिकॉर्ड भी खंगाला जा रहा है। चर्चा है कि दुर्ग विवि में तो वहां की कुलपति ने इस सहायक कुलसचिव के आचरण को देखते हुए ज्वाइनिंग देने से मना कर दिया था और आनन-फानन में पोस्टिंग आर्डर में संशोधन किया गया। बस्तर विवि में भी ये विवाद के कारण चर्चा में रहे। पत्रकारिता विवि में पोस्टिंग से पहले सभी विवि से इनकी पदस्थापना के लिए अनापत्ति ली गई थी, जिसमें अधिकांश ने आपत्ति जताई थी। पत्रकारिता विवि से एनओसी मिलने पर उन्हें वहां भेजा गया। तो ये महाशय यहां भी अपना जौहर दिखा रहे हैं और विवादों में बने हुए हैं। पत्रकारिता विवि में उन्हें एक ऐसे शिक्षक का साथ मिल रहा है, जोकि खुद चार सौ बीसी के आरोपों के घेरे में है। कुल मिलाकर जैसी संगत वैसी रंगत दिख रही है।

प्लास्टिक दानों की डिमांड..

स्वच्छता की दिशा में नये प्रयोग करने के लिये अंबिकापुर को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिलती रही है। अब यहां एक और काम हो रहा है। शहर को सौ फीसदी प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने के लिये कुछ मशीनें लगाई गई हैं, जिनसे प्लास्टिक के दाने बनते हैं। इनकी रांची, दिल्ली, नोएडा, नागपुर जैसे शहरों में सप्लाई की जाती है। वहां की फैक्ट्रियां इनसे फर्नीचर तैयार करती हैं। आंकड़ा चौंकाता है पर नगर निगम का दावा है कि हर दिन यहां करीब 500 किलोग्राम प्लास्टिक की प्रोसेसिंग की जा रही है और अब तक ढाई करोड़ रुपये का प्लास्टिक दाना बेचा जा चुका है। प्रदेश के बाकी शहरों को भी प्लास्टिक मुक्त रखने की योजना बनाई जा चुकी है पर अंबिकापुर की तरह कामयाबी नहीं मिल रही।

एक पते पर इतने मतदाता!

बूथ लेबल पर तरह-तरह का प्रशिक्षण देकर जमीनी स्तर कार्यकर्ताओं को अलर्ट मोड पर रखने वाली भाजपा का बहुत देर बाद ध्यान गया कि बीरगांव नगर निगम में एक ही पते पर 240 मतदाताओं के नाम दर्ज हैं। पता लगा कि जिस घर में इतने लोगों के होने की बात कही जा रही है वहां तो 24 लोग भी नहीं रहते। अब ऐन वोटिंग के वक्त तो सूची में काट-छांट हो नहीं सकती, इसलिये अब उस घर के सामने पहरेदारी करना तय किया गया है। बीजेपी कार्यकर्ता गिनेंगे कि इस घर से वोट देने कितने लोग निकले। यहां तक तो ठीक है मगर, यदि सूची में शामिल वोटर किसी दूसरी गली से वोट देने पहुंच गया तो?

दुपहिया के साथ बारदाना फ्री..

जबसे धान की कीमत मिला-जुला कर 2500 रुपये मिलने लगी है दुपहिया गाडिय़ों की बिक्री बढ़ी है। एक तरफ किसान धान बेच रहे हैं दूसरी ओर ऑटोमोबाइल डीलर्स ऑफर देकर अपनी ओर खींच रहे हैं। पर यह ऑफर अनूठा है। रजिस्ट्रेशन, इंश्योरेंस या पेट्रोल फ्री नहीं, बल्कि 20 बारदाने दिये जायेंगे। सोशल मीडिया पर हो सकता है कि किसी ने यह स्टिकर चिपकाकर शरारत की हो, पर बारदाने के संकट की तरफ तो ध्यान खिंच ही रहा है।

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