राजपथ - जनपथ
दक्षिण भारत के गुड़ का स्वाद
ताड़ के गुड़ को प्रचलित गन्ने के गुड़ से कहीं अधिक स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक कहा जाता है। गन्ना उत्पादक राज्य होने के बावजूद छत्तीसगढ़ में इसकी अच्छी मांग है। रायपुर में इन दिनों दक्षिण भारत से आये युवक ताड़ का गुड़ बेच रहे हैं। वैसे इसका उत्पादन पश्चिम बंगाल में भी होता है। गन्ने के गुड़ से कुछ महंगा है पर लोग खरीद रहे हैं। बिलासपुर में रेलवे स्टेशन के बाहर बुधवारी बाजार में कोलकाता से ताड़ का गुड़ मंगाया जाता है।
अफसरों से रेत माफिया की मिलीभगत?
ऐसी नौबत क्यों आ रही है कि अपनी ही सरकार में सत्तारूढ़ दल की विधायक सैकड़ों लोगों के साथ सडक़ पर उतर गईं। खुज्जी विधायक छन्नी साहू ने अपने पति चंदू साहू के खिलाफ दर्ज एफआईआर के विरोध में जन हुंकार रैली निकाली और जैसा बताया है, ‘इंसाफ’ के लिये आगे जेल भरो आंदोलन करने वाली हैं। पति के खिलाफ एक रेत ट्रक ड्राइवर से मारपीट करने का आरोप है। उनके खिलाफ एसटी-एससी एक्ट के तरह गंभीर धाराओं में जुर्म दर्ज है। क्या प्रशासन दबाव में नहीं आ रहा है और विधायक अपने प्रभाव का इस्तेमाल पति को बचाने में कर रही हैं? यह नहीं तो दूसरी बात सही होगी जो आरोप विधायक लगा रही हैं। वे कह रही हैं कि अवैध रेत परिवहन के खिलाफ उनका अभियान चल रहा है। पुलिस इन माफियाओं से मिली हुई है, इसलिये बिना देर किये झूठी रिपोर्ट लिखी। दूसरी ओर आदिवासी समाज ने भी विधायक पति पर कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
बिलासपुर में तो जब तक पुराने एसपी थे विधायक शैलेष पांडे का टकराव रहा। उन्होंने सार्वजनिक मंच से आरोप लगाये। उनके और उनके समर्थकों के खिलाफ एफआईआर हो चुकी है। कलेक्टर को तो वे देशद्रोही करार दे चुके हैं और हटाने के लिये सीएम को लिखी चि_ी सार्वजनिक कर चुके हैं। कुछ मामले प्रदेश के दूसरे स्थानों से भी हैं। ज्यादातर पुलिस से जुड़े हुए हैं।
उडऩदस्ते की फोन पे वसूली..
आरटीओ की ओवरलोडिंग जांच कैसे चलती है इसका नमूना खरोरा में देखने को मिला। मेटाडोर में सब्जी ले जा रहे एक किसान को रोका और उसे ओवरलोड के एवज में 25 हजार रुपये जुर्माना भरने कहा। कुल जमा 25 हजार की ही तो सब्जियां थीं। किसान गिडग़ड़ाने लगा। दो घंटे मान मनुहार के बाद उतरते-उतरते आरटीओ उडऩ दस्ता के लोग 8 हजार रुपये तक आ गये। जाहिर है अगर जुर्माना खजाने में जमा करना होता तो इतना बड़ा अंतर नहीं आता। किसान के पास इतने रुपये भी नहीं थे। उसने पास के मंडी में जाकर 25 हजार की सब्जियां 8 हजार रुपये में बेच दी। पर, जिसने खरीदा उसने कैश नहीं दिया, फोन पे एकाउंट में भेजा। उडऩदस्ते के पास आकर किसान ने मजबूरी बताई। तो वे फोन पे से भी ट्रांसफर कराने के लिये तैयार हो गये। एक पर्सनल एकाउंट में किसान ने पैसे डाल दिये। अब किसान की बारी थी, उसने रसीद मांगी। पहले तो उडऩ दस्ते ने कहा कि जुर्माना तो 25 हजार का था, 8 हजार की रसीद क्यों दें, इसमें तो तुम्हें छोड़ा जा रहा है। मगर किसान अड़ गया। उसने जिद पकड़ ली तो पर्सनल एकाउंट में लिये गये पैसे की रसीद देनी ही पड़ी। अब किसान के साथ वहां के कुछ पत्रकार और अधिवक्ता आ गये हैं। मामला कोर्ट ले जाने की तैयारी है।
खरीदी केंद्रों में हाथी
महासमुंद वन मंडल में अक्सर हाथियों का विचरण होता रहता है। घरों और फसलों को तो वे पहले नुकसान पहुंचाया ही करते थे अब धान खरीदी केंद्रों में पहुंचने का खतरा बढ़ता जा रहा है। सिरपुर के एक धान खरीदी केंद्र में कल देर रात हाथियों के झुंड ने धावा बोल दिया। वहां अपने धान की रखवाली करते बैठे किसानों ने मशाल जलाकर उन्हें खदेड़ा। यह पहला मौका नहीं है। सिरपुर इलाके के ही मरौद में पिछले जुलाई महीने को हाथियों के दल ने पहुंचकर खरीदी केंद्र में रखे धान को काफी नुकसान पहुंचाया था। इसके पहले इस साल फरवरी में भी महासमुंद जिले के धान खरीदी केंद्र में अकेला हाथी मंडराता रहा। खरीदी केंद्र कटीले तारों से घिरा हुआ था, लोग शोर भई मचाने लगे थे जिसके कारण उसे वापस लौटना पड़ा।
हाथियों को धान खरीदी केंद्र तक क्यों आना पड़ रहा है? क्या वन विभाग ने उनके ठिकानों पर पहुंचाकर धान खिलाने की योजना बंद कर दी?
माननीय की गैरमौजूदगी
छत्तीसगढ़ सरकार के तीन साल पूरे होने पर पूरे प्रदेश में जश्न का माहौल था। सरकार के मुखिया से लेकर कैबिनेट सहयोगियों और कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे को बधाई देकर खुशियां मनाई। अखबारों, टीवी चैनल्स में विज्ञापनों के साथ बधाई के बैनर-पोस्टर पटे रहे। इन सब के बीच जश्न में एक चेहरा नदारद रहा। सरकार और संगठन के इस बड़े चेहरे की तलाश हर जगह की गई, लेकिन वे न तो विज्ञापनों में दिखे और न ही किसी बैनर-पोस्टर में। कारण जो भी हो, लेकिन उनकी गैरहाजिरी की चर्चा सब तरफ देखने-सुनने को मिली। जब पूरी सरकार जश्न में डूबी थी, तो वे परिदृश्य से एकदम बाहर थे। शाम-शाम होते-होते जरूर उनकी अधिकारियों के साथ बैठक और कामकाज की समीक्षा की खबर और तस्वीर जारी हुई। सोशल मीडिया और लोगों की कानाफूसी में उनके गायब रहने की अलग-अलग तरह से समीक्षा भी हुई और नफा-नुकसान का भी आंकलन हुआ। खैर, ये तो चर्चा परिचर्चा की बात हुई, लेकिन सियासी जानकारों का भी मानना है कि यह तूफान के पहले की शांति की तरह है, क्योंकि यह स्थिति तब है जब यह दिखाने की कोशिश हो रही है कि सब कुछ ठीक चल रहा है। इस बात का संदेश देने के लिए विधानसभा सत्र के दौरान सरकार के तीन साल पूरे होने के एक दिन पहले बंद कमरे में चर्चा हुई है, लेकिन एकांत में मुलाकात के बाद दूसरे दिन सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूरी पहले जैसी ही दिखी और एकजुटता का संदेश हवा-हवाई निकला।
बीजेपी नेताओं का आक्रामक अंदाज
छत्तीसगढ़ में विपक्षी दल भाजपा के दिग्गज नेताओं के तेवर एकदम बदले हुए नजर आ रहे हैं और आक्रामक अंदाज में बैटिंग कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने एसपी-कलेक्टर पर निशाना साधते हुए चुनावी भाषण में उन्हें चेतावनी देते हुए यहां तक कह दिया कि तलवा चाटना बंद कर दें। भाजपा कार्यकर्ता ऐसे अधिकारियों की सूची बना रहा है। इसी तरह पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल सडक़ पर उतर गए और वीआईपी मूवमेंट के लिए रोड ब्लॉक करने वाले पुलिस अधिकारियों पर बिफर पड़े। बीच चौराहे में जोर-जोर से चिल्लाते हुए उन्होंने याद दिलाया कि वे भी गृहमंत्री रह चुके हैं। एक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर भी खूब चिल्ला-चोट कर रहे हैं। वे कभी अधिकारियों पर तो कभी कार्यकर्ताओं पर भडक़ते रहे हैं। बीजेपी के इन तमाम नेताओं के भाषण और हरकतें सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बने हुए हैं। बीजेपी छत्तीसगढ़ में 15 साल तक सत्ता में रही और रमन सिंह सहित ये सभी नेता भी पॉवरफुल थे। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि रमन सिंह ने अपने समय में तलवा चाटने वाले अधिकारियों की खोज-खबर ली थी या नहीं। वे खुद कह चुके हैं कि अधिकारी सूरजमुखी की तरह होते हैं और सत्ता की तरफ उनका स्वत: झुकाव होता है। ऐसे में उनके कार्यकाल में भी अधिकारियों का स्वाभाविक झुकाव तो रहा ही होगा। इसी तरह बृजमोहन अग्रवाल को याद होना चाहिए कि जब वे मंत्री थे, तो उनके काफिले के लिए हजारों बार आम लोगों को रोका गया होगा। अब जब खुद फंस गए तो उनको आम लोगों की चिंता हो रही है।