राजपथ - जनपथ
आत्मानंद स्कूल का फरमान
होली, दीवाली, क्रिसमस, ईद जो लोग मिल-जुलकर मनाते हैं वे उस धर्म में शामिल नहीं हो जाते। वे इन त्यौहारों को साझी संस्कृति का हिस्सा मानते हैं। साथ मनाते हैं क्योंकि इससे आपस में प्रेम और भाईचारा बढ़ता है। स्वामी आत्मानंद स्कूल बस्तर से एक वैकल्पिक सुझाव दिया गया है कि बच्चे सांता क्लास की वेशभूषा में आयें, जिनके पास नहीं वे स्कूल की ड्रेस पहनकर आयें। क्रिसमस की बधाई वाला यू-ट्यूब का एक लिंक भी पालकों को स्कूल की तरफ से भेजे गये संदेश में है। इसे विवाद का मुद्दा बना लिया गया है। यह आधार देते हुए अभाविप ने कलेक्टर से शिकायत की है कि बस्तर में धर्मांतरण जोरों पर है और ऐसे में धर्म विशेष को बढ़ावा देने वाला कार्यक्रम असंवैधानिक है।
अब बच्चों को यह तो नहीं सिखाया जा सकता कि दूसरे धर्मों के लोग किसी और टापू में रहते हैं, इस देश में नहीं। उनकी तरफ नजर भी नहीं उठाना। उनके किसी जश्न में शामिल नहीं होना।
व्यक्ति को व्यक्तित्व, स्वामी को स्वामित्व की तरह हिंदू को हिंदुत्व बताने वालों के लिये यह सटीक उदाहरण है कि हिंदूवादी होने और हिंदुत्ववादी होने में फर्क क्या है।
सरकारी बैंकिंग सेवा का हाल..
डियर कस्टमर, योर ट्रांजेक्शन इज फेल्ड। सरकारी बैंकों की नेट बैंकिंग के जरिये आप ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करने की कोशिश करें तो अक्सर यही जवाब स्क्रीन पर आता है। वह भी उबाऊ, लंबी औपचारिकतायें पूरी करने के बाद। पहले आईडी पासवर्ड, लॉगिन कैप्चा, फिर ओटीपी, फिर किस मद से पैसा भेजना है-एनईएफटी, आरटीजीएस जैसे कई ऑप्शन। दो बार एकाउंट नंबर टाइप करिये फिर एकाउंट होल्डर का नाम, फिर ट्रांजेक्शन पासवर्ड, फिर से ओटीपी और फिर.. लॉगिन फेल्ड। फिर से वही प्रक्रिया दोहराइये।
कहा जाता है कि इतनी लंबी प्रक्रिया की वजह आपके खाते की सुरक्षा को बताया जाता है। दूसरी तरफ मोबाइल पकडिय़े, यूपीआई एप खोलिये..। एक मिनट से भी कम समय में जिसे पैसे भेजना हो, ट्रांसफर कर दीजिये।
यूपीआई सेवायें देने के लिये सरकार ने भीम ऐप लांच की पर, प्राइवेट में पहले केवल पेटीएम था। अब दर्जनों प्लेयर हैं। यहां तक कि अमेजॉन और वाट्सअप से भी भेज सकते हैं। ज्यादातर लोग इन्हीं प्राइवेट कंपनियों का इस्तेमाल करते हैं। वे भीम की सेवा से भी संतुष्ट नहीं हैं।
सवाल यह है कि निजी कंपनियों के हाथ में जो तकनीक है वे सरकारी बैंकों में क्यों नहीं अपनाई जाती? सरकारी बैंकों के कर्मचारियों ने कुछ दिन पहले हड़ताल की। इन्होंने बताया कि ट्रांजेक्शन में निजी कंपनियां करोड़ों रुपये रोजाना कमाई कर रही हैं। बस, यह एक छोटा सा उदाहरण है कि सरकारी बैंकों को किस-किस तरह से डुबाने की साजिश हो रही है।
सरहदों पर कड़ाई से रुकी धान की तस्करी
बलरामपुर है तो जिला छोटा लेकिन इसकी सीमायें तीन राज्यों झारखंड, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश से जुड़ी हुई हैं। यहां अभी भी छुटपुट नक्सल वारदातें होती रहती हैं। इसके चलते वैसे भी सीमाओं पर निगरानी में कसावट रहती है। इसका फायदा दूसरे राज्यों से आने वाले धान को जब्त करने की कार्रवाई में भी यह दूसरे सीमावर्ती जिलों से आगे चल रहा है। मिले आंकड़ों के अनुसार अब तक 30 लाख 50 हजार से अधिक का धान जब्त किया जा चुका है और इन्हें ढोकर लाने वाली 20 गाडिय़ों को भी पकड़ा गया है। यह धान करीब 1550 क्विंटल है। इसका असर ये हुआ है कि दूसरे राज्यों का धान आना कम हो गया है।