राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : शराबबंदी कानून पर सीजेआई..
28-Dec-2021 6:37 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : शराबबंदी कानून पर सीजेआई..

शराबबंदी कानून पर सीजेआई..

भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमणा ने कहा है कि बिहार में लागू शराबबंदी कानून अदूरदर्शी है। उन्होंने लॉ मेकिंग पर एक व्याख्यान में इसका जिक्र करते हुए कहा कि इसके चलते हाईकोर्ट में जमानत आवेदनों की बाढ़ आ गई है। ऐसे कानूनों की वजह से कोर्ट पर अतिरिक्त भार पड़ता है और सुनवाई के अभाव में अन्य मामले लंबित  होते चले जाते हैं। आरजेडी जो वहां की नीतिश सरकार की विपक्षी पार्टी है, के नेता कह रहे हैं कि शराबबंदी के चलते राज्य में एक समानान्तर इकॉनामी खड़ी हो गई है। माफिया तो खुले आम शराब की तस्करी कर रहे हैं पर गरीब लोगों को जेल जाना पड़ रहा है।

दरअसल, शराबबंदी पर ढीले कानून का मतलब है उसका विफल हो जाना, और कड़े कानून का मतलब है, पुलिस को मोटी रिश्वत का रास्ता मिलना। या फिर, आसानी से जमानत नहीं मिलना और हाईकोर्ट की शरण में जाना।

शराबबंदी छत्तीसगढ़ सरकार का एक बड़ा चुनावी मुद्दा था। भाजपा आये दिन इसे लागू नहीं करने पर उसे घेर रही है। ऐसे में सीजेआई के बयान को सामने रखकर छत्तीसगढ़ सरकार अपने बचाव में कुछ बयान चाहे तो दे सकती है।

बाबा की जयंती पर करियर मेला

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने पिछड़े और दलित समाज के लिये शिक्षा को सबसे जरूरी बताया था। इसलिये, यह कोई अचरज की बात नहीं है कि देश के अलग-अलग हिस्से में उच्च पदों पर बाबा के अनुयायी बैठे हैं। बाबा के संदेश को उन्होंने अच्छी तरह अपनाया और समाज में अपनी जगह अपने परिश्रम से बनाई। छत्तीसगढ़ में भी गुरु घासीदास की अनुयायी पीढ़ी में यह बदलाव दिख रहा है। आम तौर उत्सव, जुलूस, पूजा, रैलियां तो गुरु घासीदास जंयती पर रखी ही जाती हैं, पर कुछ हटकर भी काम किये गये। जैसे मस्तूरी ब्लॉक के लोहर्सी ग्राम में सतनामी समाज के युवाओं ने इस उत्सव के दौरान करियर मार्गदर्शन मेला लगाया। दो दिन तक विशेषज्ञों ने शिक्षा, रोजगार और व्यवसाय से जुड़े युवाओं की अनेक जिज्ञासाओं का समाधान किया। सैकड़ों लोगों ने इसका लाभ उठाया। यह पिछड़े समाज की नई पीढ़ी में बदलाव का एक अच्छा उदाहरण।

नक्सल ऑपरेशन में महिला आईपीएस

साल 2021 तीन महिला आईपीएस अधिकारियों की उपलब्धियों को अलग तरह से गिना जा रहा है। एक वेबसाइट के अनुसार इनमें एक तो रंजीता शर्मा हैं जिन्हें इस साल 6 अगस्त को सरदार वल्लभभाई पटेल नेशनल पुलिस अकैडमी के 72वें दीक्षांत समारोह में स्वार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया। पहली बार यह अवार्ड किसी महिला आईपीएस को मिला। दूसरी आईपीएस अधिकारी नीना सिंह हैं। राजस्थान में कोई महिला पहली बार महानिदेशक के पद पर पहुंची। तीसरी हैं अंकिता शर्मा। दुर्ग जिले की आईपीएस अंकिता शर्मा को होम कैडर छत्तीसगढ़ मिला है। जून माह के आखिर तक वे रायपुर में सिटी एसपी थीं। उसके बाद नक्सल प्रभावित बस्तर जिले का एएसपी बना दिया गया। उन्हें ऑपरेशन बस्तर की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बस्तर के कई नक्सली मुठभेड़ में वह शामिल ही नहीं बल्कि आगे रहती हैं। कहां जा रहा है कि पहली बार किसी महिला आईपीएस को नक्सल ऑपरेशन की कमान सौंपी गई है। सन 2018 बैच की अंकिता शर्मा के पति भारतीय सेना में कैप्टन हैं। उन्होंने शादी के बाद ही आईपीएस एग्जाम क्लियर किया था।

इसी साल 26 जनवरी को रायपुर में पुलिस ग्राउंड में उन्होंने परेड का नेतृत्व भी किया था। रायपुर में रहते हुए उन्होंने अपने सीएसपी दफ्तर में ही रविवार को यूपीएससी दिलाने की इच्छुक युवाओं की काउंसलिंग भी शुरू की थी। एक बार उनकी चर्चा तब भी हुई थी जब उन्होंने विधायक शकुंतला साहू को उनकी औकात वाली बात पर पलट कर जवाब दे दिया था। महिला आईपीएस अधिकारियों की उपलब्धियों में अपने छत्तीसगढ़ से भी एक अधिकारी का नाम लिया जा रहा है, यह उल्लेखनीय है।

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