राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दो माननीयों की मुलाकात के मायने
01-Jan-2022 6:52 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ :  दो माननीयों की मुलाकात के मायने

दो माननीयों की मुलाकात के मायने
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिल्ली दौरे से लौटने के बाद कैबिनेट में फेरबदल की खबरों पर यह कहकर विराम लगा दिया है कि उनकी इस विषय पर हाईकमान से चर्चा नहीं हो पाई। ऐसे में माना जा रहा है कि यूपी चुनाव तक छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल में कोई बदलाव नहीं होगा, लेकिन सरकार के तीन साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना जताई थी, तो विधायकों और मंत्रियों ने भी तत्काल जोड़-तोड़ शुरू कर दी थी। इतना ही नए मंत्रियों के नाम और पुराने की छुट्टी की अटकलें भी लगनी शुरू हो गई थी। अब एक बार फिर मामला शांत दिखाई पड़ रहा है। जानकारों का कहना है कि नगरीय निकाय चुनाव के कारण भी कैबिनेट में फेरबदल की चर्चाओं को बल दिया गया था, ताकि पद की आकांक्षा में नेता एकजुट होकर काम करें। नगरीय निकाय चुनाव भी निपट गए हौ और सत्ताधारी दल को अपेक्षा के अनुसार नतीजे मिले हैं और वाकई चुनाव के कारण फेरबदल की खबर फैलाई गई थी, तो यह फार्मूला भी काम आ गया, लेकिन इस बीच राजनीतिक गलियारों में राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल को उत्तराखंड चुनाव में 14 विधानसभा सीट के लिए आब्जर्वर बनाए जाने की खबर है।

इसके अलावा राज्य के ताकतवर मंत्री से विरोधी मंत्री की मुलाकात की भी खूब चर्चा हो रही है। कुछ दिनों पहले राजस्व मंत्री के बारे में यह चर्चा जोरों पर थी कि उन्हें कैबिनेट से ड्रॉप किया जा सकता है, लेकिन संगठन ने उन्हें जिम्मेदारी देकर कद बढ़ा दिया है और कहा जा रहा है कि वे दिल्ली में अपनी पकड़ को मजबूत कर रहे हैं। ऐसे में उनके ड्रॉप होने की उम्मीद पाले नेताओं को निराशा हुई है। दूसरी तरफ दो धुर विरोधी मंत्रियों के मुलाकात के भी मायने निकाले जा रहे हैं। बदलाव की अटकलों की खबरों के बीच चर्चा थी कि ऐसा करके पार्टी हाईकमान ताकतवर मंत्री को संतुष्ट करने उनके जिले के विरोधी को हटाने पर विचार कर रही है। अगर अटकलों पर भरोसा किया जाए तो दो विरोधी मंत्रियों की मुलाकात की कहानी को टटोला जा रहा है। चर्चा इस बात की हो रही है कि क्या ताकतवर मंत्री की अपने विरोधी से नाराजगी दूर हो गई ? और क्या वे अपने विरोधी को मंत्रिमंडल में बने रहने देने के लिए राजी हो गए हैं ? अगर ऐसा है तो राज्य की सियासत में नए समीकरण की शुरूआत हो सकती है। यदि ऐसा नहीं है तो जरूर परदे के पीछे कुछ नई स्क्रिप्ट तैयार हो रही है।  

मजदूर परिवार की खुद्दारी
बहुत से लोग हैं जो सरकारी सहायता जरूरतमंद नहीं होने पर भी लपक लेते हैं। अतीत में ऐसे कई मामले देखे गए जब मंत्रियों के स्वेच्छा अनुदान से उनके रिश्तेदार या पार्टी के करीबी बेशर्मी के साथ लाभान्वित होते गए। ज्यादातर लोग संपन्न होते हैं पर सरकारी धन के लिए झूठा दस्तावेज, प्रार्थना पत्र भी बनवा लेते हैं। लोग राशन दुकानों में कार और जीप में आकर गरीबी रेखा का चावल उठाते दिखाई दे जाते हैं। पर, कहीं-कहीं आत्म सम्मान बचा हुआ है। ऐसा एक मामला फिंगेश्वर ब्लॉक के चरौदा ग्राम पंचायत में देखने को मिला। एक 60 साल का मनरेगा श्रमिक बंसी नहर मरम्मत के काम में लगा हुआ था। काम खत्म कर हाजिरी देते समय अचानक तबीयत बिगड़ी और वहीं उसकी मौत हो गई। नियम है मनरेगा का काम करने के दौरान यदि किसी की मौत हो जाती है तो उसके परिजनों को 25 हजार  रुपए की सहायता मिलेगी। सरपंच और रोजगार सहायक मेडिकल सर्टिफिकेट की औपचारिकता पूरी करने के लिए जब मृतक के घर गए तो बंशी के बेटों ने किसी तरह की मदद लेने से मना कर दिया। उनका कहना था कि पिताजी की मौत स्वाभाविक थी। मजदूरी का काम करने की वजह से मत्यु नहीं हुई। वे कोई सहायता नहीं लेना चाहते। 60 वर्ष की उम्र में अगर कोई मनरेगा में मजदूरी करने जा रहा है तो उसके घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी तो नहीं होगी। फिर भी बंसी के बेटों की नीयत नहीं डोली।

मेरा फोन नंबर अब भी वही...
लॉकडाउन के वक्त अभिनेता सोनू सूद की टीम ने हजारों लोगों की मदद की थी, जिसकी देश ही नहीं, बाहर भी चर्चा होती है। सोनू सूद से प्रेरित होकर देशभर में अनेक लोग कोविड पीडि़तों की मदद के लिये आगे आये। दूसरी लहर में ऑक्सीजन और बेड नहीं मिल पाने के कारण सैकड़ों लोगों ने जान गंवाई। अस्पतालों में तैयारी है पर कोई नहीं जानता कि तीसरी लहर में किस तरह की जरूरत पडऩे वाली है। हाल में सोनू सूद के प्रशंसकों ने उनसे पूछा कि क्या इस बार भी आप लोगों की मदद के लिये तैयार हैं? सोनू सूद ने जवाब दिया है कि कोरोना केस कितने भी बढ़ जायें, ईश्वर न करे कभी मेरी जरूरत पड़े लेकिन अगर कभी पड़ी तो याद रखना, मेरा फोन नंबर अभी भी वही है। गूगल सर्च करते ही आपको उनकी टीम का टोल फ्री नंबर और निजी वाट्सएप नंबर मिल जायेगा।

वैसे, छत्तीसगढ़ से तो सोनू सूद का खास रिश्ता है ही। उनका ससुराल रायपुर में है। एक माह पहले वे नायडू परिवार की एक शादी में रायपुर आये थे। वे रायपुर में धर्मादा अस्पताल भी खोलने जा रहे हैं। दावा है कि यह राजधानी का सबसे बड़ा अस्पताल होगा। खबर है, उन्हें चार एकड़ जमीन आवंटित करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।

टिकट दिलाकर ही मानेंगे?
कालीचरण महाराज उर्फ अभिजीत के समर्थन में रायपुर कोर्ट के बाहर तो लोग खड़े ही थे, अब प्रदेश के बाहर भी उनके समर्थन में नारे लग रहे हैं। हरियाणा के गुडग़ांव जहां भाजपा की सरकार है, में नाथूराम गोडसे अमर रहे, कालीचरण जिंदाबाद के नारे लगे। महात्मा गांधी के बारे में कुछ कहने का साहस शायद नहीं जुटा पाये। बारिकी से देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदर्शन करने वाले 12-15 लोग ही थे। बताया यह भी जाता है कि पार्क और सडक़ पर नमाज पढऩे का जो लोग विरोध करते हैं वे ही इस प्रदर्शन में भी थे। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं ने कालीचरण के समर्थन में मोर्चा भी खोला। कई लोग कह रहे हैं कि एक खेमा कालीचरण को माफ करे या न करे, लेकिन अगले किसी चुनाव में टिकट दिलाने की कोशिश जरूर करेगा। इनको भरोसा कंगना रानौत को लेकर भी है।  ([email protected])

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