राजपथ - जनपथ
बधाई किस दादी जी को ?
आबकारी मंत्री कवासी लखमा उर्फ दादी के जन्मदिन पर पिछले दिनों खूब धूम-धड़ाका हुआ। इसकी पर्याप्त वजह भी थी कि दादी के संचालन में निकाय चुनाव में कांग्रेस को जबरदस्त सफलता मिली। भाजपा बस्तर के पांचों निकायों में कांग्रेस के आसपास भी नहीं टिक पाई। ऐसे में दादी का जन्मदिन कांग्रेसियों के लिए दोहरी खुशी लेकर आया था।
दादी को जन्मदिन की बधाई देने के लिए सुबह से ही घर पर कार्यकर्ताओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। प्रदेश पदाधिकारियों से लेकर जिलों के कार्यकर्ता बुके लेकर दादी से मिलने पहुंचे थे। दादी ने भी जमकर खुशियां बांटीं।
सुनते हैं कि दादी के करीबियों ने जन्मदिन की बधाई देने आए कई शुभचिंतकों को बाकायदा रिटर्न गिफ्ट भी दिया। प्रदेश स्तर के नेताओं को रेड लेबल, तो जिले के नेताओं को ब्लैंडर का बक्सा भेंट किया गया। ऐसे खुशी के मौके पर मामूली हैसियत के कार्यकर्ताओं को निराश नहीं होने दिया गया। दादी समर्थकों ने जो भी उपलब्ध था वह उन्हें भेंट किया गया। कुल मिलाकर दादी का जन्मदिन कांग्रेसियों के लिए खुशी लेकर आया था। बंगले से रिटर्न गिफ्ट लेकर निकलते कांग्रेसजन एक ही राग अलाप रहे थे बार-बार ये दिन आए...।
राजधानी रायपुर की सडक़ों पर कवासी लखमा को बधाई देने के लिए जो बोर्ड लगाए गए थे उनमें सिर्फ ‘‘दादी जी को बधाई’’ लिखा हुआ था. जिन लोगों को लखमा का यह नाम नहीं मालूम था वे हैरान हो रहे थे कि बोर्ड पर तो किसी महिला का फोटो नहीं था, बधाई किस दादी जी को दी जा रही थी !
लगवा लेंगे वैक्सीन, जल्दी क्या है...
छमाही परीक्षा के नाम पर क्या स्कूलों में छात्र-छात्राओं के लिये तय वैक्सीनेशन का काम टाल देना चाहिये? अकलतरा के स्वामी आत्मानंद स्कूल में ऐसा ही करने की खबर है। वह भी तब, जब इस स्कूल के दो शिक्षक कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं। शिक्षकों के संक्रमित मिलने के बाद तो स्टाफ और विद्यार्थियों का कोविड टेस्ट भी कराना चाहिये था, लेकिन नहीं किया गया। दूसरी ओर जब स्वास्थ्य विभाग की टीम वहां वैक्सीन लगाने के लिये गई तो प्राचार्य ने यह कहकर लौटा दिया कि इन दिनों छमाही परीक्षा चल रही है। परीक्षा खत्म होने के बाद लगवा लेंगे। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने समझाया कि अच्छा है परीक्षा के कारण सब बच्चे आये हैं, वे पेपर खत्म करें और बाहर निकलते समय वैक्सीन लगवा लें। मगर, स्कूल के प्राचार्य ने बात नहीं मानी। अब हालत यह है कि स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी विद्यालय के बच्चों का न तो कोरोना टेस्ट हो रहा है न ही उन्हें वैक्सीन ही अब तक लगी है।
एसपी ने की चंदा वसूली..?
मुंगेली के एसपी आईपीएस डीआर आचला के खिलाफ एक ऐसी गुमनाम शिकायत आई है, जिस पर जल्दी यकीन नहीं होता। वे कुछ समय पहले तक सरगुजा में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल की 12वीं वाहिनी में कमांडेंट थे। बताते हैं, डीजीपी के पास एक गुमनाम शिकायत आई है जिसमें कहा गया है कि आचला ने इस दौरान जवानों से 500 से लेकर 1000 रुपये तक चंदा वसूल कर लिया। दबाव में जवानों ने एक बार चंदा दिया, दूसरी बार भी दिया। तीसरी बार फिर मांगा गया तो उनमें से कुछ लोगों ने डीजीपी से शिकायत कर दी। चंदे की रकम करीब 50 लाख रुपये बताई जा रही है। यह मंदिर बनाने के नाम पर लिया गया। जो मंदिर बना है उसकी लागत तो 5 लाख से ज्यादा नहीं लगती। आचला ने सफाई दी है कि भगवान के मंदिर के पैसे से मैं क्या अपना मकान बनवाऊंगा? चंदा तो मैंने लिया नहीं, वहां के जवानों, अफसरों ने खुद ही कलेक्शन किया था। फिर भी जांच तो हो रही है।
नुक्कड़ टीफे की कुछ और खासियत..
दिव्यांग जन दिवस पर छत्तीसगढ़ को राष्ट्रपति के हाथों 3 पुरस्कार मिले थे। एक बिलासपुर ब्रेल प्रेस को जिसने दिव्यांगों के लिये मतपत्र और अनेक किताबों का प्रकाशन किया। दूसरा रायपुर में सडक़, प्रसाधन, रैंप जैसी सार्वजनिक सुविधा उपलब्ध कराने के लिये। ये दोनों तो सरकारी उपक्रम या नगरीय निकाय के साथ किये गये काम थे पर तीसरा पुरस्कार एक युवा व्यवसायी प्रियंक पटेल को नुक्कड़ टी कैफे, जिसे नुक्कड़ टीफे भी कहते हैं, के लिये मिला। रायपुर की समता कॉलोनी मुख्य मार्ग पर स्थित इस कैफे में सभी स्टाफ मूक-बधिर हैं। वे इशारों में ही ऑर्डर लेते हैं और सर्विस देते हैं। पर इस कैफे में एक खास बात और है, जो ग्राहकों को अलग अनुभव कराता है। जैसे यदि आप वहां पहुंचने के बाद अपना मोबाइल फोन काउंटर पर जमा कराते हैं तो बिल में डिस्काउंट मिलता है। कैफे संचालक का मानना है कि यह कम से कम कुछ देर के लिये आपको डिजिटली डिटॉक्स करेगा और मोबाइल पर चैट न कर अपने साथी से बात करेंगे। यदि कोई अपनी मां के साथ इस कैफे में पहुंचा तो मां को उनकी पसंद की एक डिश फ्री में सर्व की जाती है। आप यहां किताबें दान कर सकते हैं और यहां उपलब्ध किताबों को तीन दिन के लिये घर ले जाकर पढ़ भी सकते हैं। साल में एक दिन जब इस कैफे की वर्षगांठ होती है, वह नो बिलिंग डे होता है। आपको एक खाली लिफाफा दिया जाता है और आप अपनी इच्छा से इसमें भुगतान कर सकते हैं। दिव्यांगों के सशक्तिकरण का यह एक अच्छा उदाहरण है। इंडियन कॉफी हाउस या उससे बेहतर अनुभव यहां आने वालों को मिल जाता है।