राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : मेल-मुलाकात उन्हें भारी पड़ गई
08-Jan-2022 5:36 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : मेल-मुलाकात उन्हें भारी पड़ गई

मेल-मुलाकात उन्हें भारी पड़ गई

प्रदेश में कोरोना तेजी से फैल रहा है, तो इसकी मुख्य वजह लोगों का असंयमित  व्यवहार भी है। आम लोग तो दूर, वीवीआईपी भी सामाजिक दूरी का पालन करने, और मास्क न लगाने जैसे कोविड नियमों को नजरअंदाज कर दे रहे हैं, और कोरोना की चपेट में आ जा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक को ही लीजिए, वो दूसरी बार कोरोना की चपेट में आए हैं।

सुनते हैं कि कौशिक को पहले सामान्य सर्दी, जुकाम था। इसके बाद भी वो रोजमर्रा के कार्यक्रमों में शरीक होते गए। कोरोना पॉजिटिव होने के एक दिन पहले सीएम भूपेश बघेल के यहां पारिवारिक कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे। इस दौरान उन्हें बिना मास्क के अन्य नेताओं से चर्चा करते भी देखा गया था। अब जब वो कोरोना की चपेट में आ गए हैं, तो उनसे मिलने-जुलने वाले लोग परेशान हैं। इसी तरह टीएस सिंहदेव को भी नववर्ष की बधाई देने उनके गृह क्षेत्र अंबिकापुर में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था। वैसे सिंहदेव अपेक्षाकृत सतर्क रहते हैं, लेकिन लोगों से मेल-मुलाकात उन्हें भारी पड़ गई। वो खुद भी पॉजिटिव हो गए थे।

मुस्लिमों के बहिष्कार की शपथ

छत्तीसगढ़ बदल रहा है। खासकर सौहार्द्र और सांप्रदायिकता के मामले में। असर शहरों-कस्बों में ही नहीं गांवों तक दिखने लगा है। सरगुजा संभाग के बलरामपुर  जिले में स्थित कुंडीकला गांव में नए साल के दिन दो समुदायों के बीच झगड़ा हुआ था। इसके बाद एक वीडियो वायरल हुआ है, जो 5 जनवरी का बताया जा रहा है। इसमें लाउडस्पीकर लगा था और सैकड़ों लोग खड़े हैं। ग्रामीणों को, जिनमें बच्चे भी मौजूद थे, शपथ दिलाई गई कि वह किसी भी मुसलमान से किसी भी प्रकार के सामान की खरीदी बिक्री नहीं करेंगे। फेरी वालों से भी तब लेन-देन करेंगे, जब यह पता चल जाएगा कि वह हिंदू है।

वीडियो में भारत माता की जय के साथ-साथ जय श्रीराम के नारे लगे और मंत्र उच्चारित भी किये गये। सभा की जानकारी मिलने पर एडिशनल एसपी और एसडीएम ने गांव का दौरा किया और लोगों को समझाया कि यह गलत है। पर सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर कोई पहल हुई है, ऐसी जानकारी नहीं है।

निष्ठावान बगावती भाजपाई...

मुंगेली नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद चुनाव में भाजपा की जो किरकिरी हुई, वह ‘पार्टी विद डिफरेंस’ के अनुकूल नहीं है। पूर्व खाद्य मंत्री और मौजूदा विधायक पुन्नूलाल मोहले इसी इलाके से आते हैं। वे लोकसभा, विधानसभा मिलाकर 10 बार अब तक चुनाव जीत चुके हैं। मौजूदा सांसद अरुण साव इसी क्षेत्र से हैं। इसके पहले के सांसद लखनलाल साहू भी मुंगेली से ही है। यहां स्व. निरंजन केशरवानी ने बीजेपी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं की एक फौज खड़ी की थी। ऐसे इलाके से एक-दो नहीं बल्कि 6 पार्षदों ने बगावत की। नगर पालिका अध्यक्ष पद चुनाव में 3 लोगों ने दोनों उम्मीदवारों को मत दे दिया और उनके वोट रिजेक्ट हो गए। बाकी कांग्रेस की तरफ चले गए। कांग्रेस के पास भाजपा से एक कम पार्षद था लेकिन 8 मतों के बड़े अंतर से उसने अध्यक्ष पद हथिया लिया। बेमेतरा नगर पालिका में बगावत करने वाले पांच पार्षदों को भाजपा ने निष्कासित किया है पर मुंगेली के बगावती अब तक कार्रवाई से बचे हुए हैं। मालूम हुआ है कि इन्होंने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु देव साय और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से संपर्क साधा है। उनका कहना है कि प्रत्याशी का चयन ही गलत हुआ था, बाकी वे तो पहले की तरह पार्टी के लिए समर्पित हैं।

हसदेव एरिया पर साफ-साफ बात

केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी के साथ हुई वर्चुअल बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोयले की रॉयल्टी दर बढ़ाने सहित दूसरे कई मुद्दों पर बात की। जोशी ने पहली कमर्शियल कोल माइंस शुरू करने के लिए प्रदेश सरकार की तारीफ भी की। मगर एक बड़ी बात मुख्यमंत्री ने साफ-साफ कही, जिससे हसदेव अरण्य में बसे दर्जनों आदिवासी गांवों के रहवासियों को सुकून की सांस मिली। सीएम ने इस बैठक में बताया कि पतुरिया, मदनपुर और लेमरू में कॉल ब्लॉक की मंजूरी सरकार हरगिज़ नहीं देने वाली है। इस इलाके के आदिवासी लगातार नए ब्लॉक को केंद्र सरकार द्वारा दी गई मंजूरी के विरोध में संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने राजधानी रायपुर तक पदयात्रा भी की थी और मांग की थी छत्तीसगढ़ सरकार राहुल गांधी के वादे को याद रखे और कोल ब्लॉक को हरी झंडी न दे। छत्तीसगढ़ सरकार पर पहले कांग्रेस नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार ने खुद सीएम और अफसरों पर दबाव डाला, फिर इसकी शिकायत सोनिया गांधी से की थी। छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से अब पहली बार स्पष्ट कर दिया गया है कि हसदेव का जंगल सुरक्षित रहेगा। हैरानी की बात यह है इन आदिवासियों के आंदोलन पर भाजपा ने कभी मुंह नहीं खोला। केंद्र सरकार के किसी फैसले के खिलाफ वे जा भी कैसे सकते थे?

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