राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : डिंडौरी और मुंगेली, नक्सल नीति में फर्क
12-Jan-2022 5:21 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : डिंडौरी और मुंगेली, नक्सल नीति में फर्क

डिंडौरी और मुंगेली, नक्सल नीति में फर्क

पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के बालाघाट को नक्सली अपना नया ठिकाना बनाने के लिए हर पैतरा आजमां रहे हैं, जवाब में मध्यप्रदेश पुलिस भी भौगौलिक एवं प्रशासनिक बनावट में बदलाव कर नक्सलियों की धाक को कुंद करने दम लगा रही है। मप्र सरकार की नक्सल नीति पर कुछ फेरबदल में एक अहम फैसला डिंडौरी जिले को लेकर हुआ है। नक्सल गतिविधि के लिए मध्यप्रदेश में डिंडौरी लगभग तीसरे स्थान पर है, यह जिला अपने अस्तित्व में आने के बाद से शहडोल रेंज का हिस्सा रहा। अब मप्र के प्रशासनिक नक्शे में इस जिले को बालाघाट रेंंज से जोड़ दिया गया है। ऐसा इसलिए जरूरी माना गया है कि नक्सली अपनी ताकत बढ़ाने के लिए बालाघाट, मंडला के बाद डिंडौरी को सुरक्षित पनाहगाह मान रहे हैं। डिंडौरी पर चर्चा होने के दौरान छत्तीसगढ़ के मुंगेली का नाम जरूरी है, क्योंकि मुंगेली को लेकर नक्सल नीति ज्यादा असरदार नहीं दिख रही है। डिंडौरी और मुंगेली की सीमा पर बने खुडिया में पुलिस सहायता केंद्र को अब तक चौकी का दर्जा देने पर ठोस निर्णय नहीं हुआ है। खुडिया पठारी जंगलों से घिरे होने की वजह  नक्सली बेखौफ आवाजाही करते रहे हैं ।

वही मप्र पुलिस ने डिंडौरी पुलिस की धमक तेज करने के लिए जिले को बालाघाट रेंज में शामिल कर दिया।  डिंडौरी को लेकर मप्र के अफसरों ने अपनी गंभीरता को जाहिर किया है जबकि मुंगेली को लेकर छत्तीसगढ़ के अफसरों की रूचि कम ही दिखती है। बालाघाट के मौजूदा एडीजी आशुतोष राय नक्सल मामलों पर अच्छी समझ रखते हैं। वे अविभाजित मध्यप्रदेश में महासमुंद और कांकेर एसपी रहे हैं। कांकेर में रहते उन्होंने नक्सलियों की रणनीति को नजदीकी से जाना था।

कोरोना को न्योता देते नेता

आम लोगों को नसीहत दी जाती है, मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंस रखें। भीड़ भी इक_ी नहीं करें। कोविड-19 की दूसरी लहर में भी दिखा था, अफसर और जन-प्रतिनिधि इस नियम का खुद ही पालन नहीं करते, जबकि उनके कार्य-व्यवहार का ही लोगों पर असर पड़ता है। भिलाई के नव-नियुक्त महापौर नीरज पाल और विधायक देवेंद्र यादव कोरोना संक्रमित हो गये हैं। कुछ दिन पहले भीड़भाड़ के बीच उन्होंने जीत का जश्न मनाया था। दुर्ग में पिछली बार कोरोना का प्रकोप बड़ी तेजी से फैला था। इस बार भी केस दो हजार से अधिक निकल चुके हैं। पर इन सबसे बेपरवाह जीत का जश्न भीड़ के बीच, बिना मास्क पहने मनाया गया। इस दौरान कुछ नेता और भी थे। जो जश्न में साथ थे, टेस्ट तो उनको भी करा लेना चाहिये।

फीस एक करोड़ 13 लाख रुपये!

सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएट के लिये काउंसलिंग की प्रक्रिया आज से शुरू हुई है। सरकारी मेडिकल कॉलेज में तो फीस पर कुछ नियंत्रण है भी, पर निजी कॉलेजों में यह आम लोगों की पहुंच से बाहर है। रायपुर व दुर्ग के निजी मेडिकल कॉलेजों में पीजी के कुल 99 सीटें हैं। तीन वर्ष के पाठ्यक्रम के लिये इन्होंने 1 करोड़ 13 लाख रुपये फीस तय की है। यानी, हर साल का करीब 38 लाख। दूसरे राज्यों के मुकाबले यह बहुत ज्यादा है। मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, पंजाब आदि में तीन साल की फीस 20 से 37 लाख के बीच है। दरअसल, मेडिकल कॉलेजों के फीस पर छत्तीसगढ़ में शासन स्तर पर कोई निगरानी नहीं है। इंजीनियरिंग कॉलेजों में ऐसा किया जा चुका है। बेहिसाब फीस चुकाकर निकलने वाले छात्र ये पैसे अपने अभिभावकों को किस तरह लौटायेंगे, यह समझा जा सकता है।

नोट पर लिखा गया नोट...

हिंदी गड़बड़ जरूर है, पर भावनायें सच्ची है। भाषा पर नहीं, अभिव्यक्ति पर जाईये। वैसे नोटों पर कुछ भी लिखना, उसे विकृत करना अपराध है। यह शायद नादान प्रेमी को मालूम नहीं होगा। 

सरकारी वकीलों का नया पैनल

छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र और राज्य में मुकदमों पैरवी के लिये जो नया पैनल घोषित किया है उसे देखकर कतार में लगे कई वकीलों की छाती पर सांप लोट रहे होंगे। सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखने के लिये अतिरिक्त महाधिवक्ता की जिम्मेदारी अभिमन्यु भंडारी को मिली है, उनकी ट्विटर पर आखिरी पोस्ट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ में है। एक पुराने ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि डब्ल्यूएचओ जो गड़बड़ी कोरोना से बचाव के मामले में कर रहा है, उसे डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी ही ठीक कर सकते  हैं। अर्थव्यवस्था में सुधार के लिये वे निर्मला सीतारमण से गुजारिश भी कर रहे हैं। एक मौके पर वे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की इस बात का समर्थन कर रहे हैं कि कोई डिफाल्टर हो जाये तो उसे सदैव अपराधी नहीं माना जा सकता। गडकरी, विजय माल्या के संदर्भ में बात कर रहे थे। हालांकि भंडारी ने कई मौकों पर सरकार से परे जाकर भी ट्वीट किये हैं। जस्टिस कूरियन और कुछ अन्य जजों की तारीफ में उन्होंने ट्वीट किये हैं। वे सीबीआई के दुरुपयोग पर भी चिंता जताते हैं और लोकपाल की जरूरत पर बल दे रहे हैं। दूसरे अतिरिक्त महाधिवक्ता संजय एबोट ने मेहुल चौकसी के लिये पैरवी की है। उप महाधिवक्ताओं की टीम में श्रद्धा देशमुख भी हैं जो सन् 2017 से तीन साल तक केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त अधिवक्ताओं के पैनल में रही हैं। जिन लोगों को हटाया गया है उनमें कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल व प्रशांत भूषण के जूनियर वकील शामिल हैं।

प्राय: सरकारें अपने पार्टी की विचारधारा से जुड़े लोगों को ऐसे समय में मौका देती है। नई सूची में भी कांग्रेस से जुड़े कई नाम हैं। इधर, भाजपा के दिनों में एक महाधिवक्ता का भारी विरोध हो गया था। कांग्रेस ने इस मामले में उदारता बरती है और स्वतंत्र राय रखने वाले वकीलों को उनकी काबिलियत साबित करने का मौका दिया है।  

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