राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कलेक्टरी अब महीनों की
16-Jan-2022 5:32 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कलेक्टरी अब महीनों की

कलेक्टरी अब महीनों की

सरकार ने गणतंत्र दिवस से पहले आधा दर्जन जिला कलेक्टरों बदल दिया है। कुछ तो अपेक्षित थे, लेकिन एक-दो नाम ऐसे हैं जिसकी खूब चर्चा हो रही है। मसलन, डोमन सिंह को महासमुंद से बलौदाबाजार-भाटापारा कलेक्टर बनाकर भेजा गया है। आईएएस के वर्ष-2015 बैच के अफसर डोमन सिंह राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रमोट होकर आईएएस बने  हंै। वे मुंगेली कलेक्टर थे फिर कांकेर, कोरिया, जीपीएम, महासमुंद, और अब बलौदाबाजार-भाटापारा कलेक्टर बनाए गए हैं। चार साल में वो 6 जिलों की परिक्रमा कर चुके हंै।

 ऐसा नहीं है कि डोमन सिंह का इतना जल्दी तबादला किसी शिकायत को लेकर हो रहा है, बल्कि कई बार उनका तबादला जरूरी हो गया था। वो कांकेर जिला कलेक्टर थे तब चुनाव का समय था। और कांकेर डोमन सिंह का गृह जिला है। ऐसे में उनका तबादला जरूरी हो गया था। फिर मुंगेली, और बाद में जीपीएम के कलेक्टर बने। जीपीएम नया जिला बना था और उसके लिए जमीनी, और अनुभवी अफसर की तलाश हो रही थी। सरकार की निगाहें डोमन सिंह पर टिक गई। उन्होंने उपचुनाव के समय अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र प्रकरण का कुशलतापूर्वक निराकरण किया।

डोमन सिंह के बाद जीपीएम का कलेक्टर बनी नम्रता गांधी को साल भर के भीतर दूसरा जिला गरियाबंद दिया गया है। कुछ इसी तरह नीलेश क्षीरसागर का भी है। वो सात महीना पहले गरियाबंद कलेक्टर बने थे, उन्हें महासमुंद भेजा गया है। पहले एक कलेक्टर तो एक जिले में तीन साल तक रह जाते थे। अजीत जोगी तो पांच साल इंदौर कलेक्टर रहे। अब कलेक्टर का पद छह महीने-साल भर का रह गया है।

एक लिस्ट और ?

आधा दर्जन कलेक्टरों को बदला जरूर गया है, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें बदले जाने की चर्चा हो रही थी, लेकिन उनकी कुर्सी सलामत रही। इनमें रायगढ़, बिलासपुर, कवर्धा और सरगुजा का नाम चर्चा में है। इनमें से एक के खिलाफ तो गंभीर शिकायतें हैं, लेकिन उन्हें कुछ नहीं हुआ। कोरोना कम होने के बाद एक लिस्ट और निकल जाए, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

बसपन का प्यार फेम का नया फेस

सहदेव दिरदो अब फिल्मों में अभिनय करेंगे। छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी पर बनने वाली फिल्म में वह उनके बचपन की भूमिका निभायेंगे। सहदेव दिरदो को इंटरनेट के वैश्विक साम्राज्य की बदौलत एक झटके में बड़ी पहचान मिली। पर यह ऐसा दौर है, जहां शोहरत को बनाये रखने के लिये लगातार खुद को साबित करना पड़ता है, वरना लोग जल्दी भूल जाते हैं। इधर सहदेव की हाल की जुड़ी बातें बताती है कि उसे शोहरत की ऐसी ललक का पीछा करने का कोई शौक नहीं। वह सहज बचपन और जीवन जीना चाहता है। बादशाह से मिलकर सहदेव अपने गांव में वापस लौट गया। वह खुले मैदान में फिर दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने लगा। हाल ही में स्कूलों के बीच हुई राज्य स्तरीय क्रिकेट प्रतियोगिता में उसने भागीदारी की थी और अच्छा प्रदर्शन किया। सडक़ दुर्घटना तब हुई थी जब एक बाइक से वे तीन सवार गिर गये। ख्याति के बाद भी जीवन सहज तरीके से जी रहा है। अब उसे अजीत जोगी के बचपन का किरदार करना है, पर अभिनय उसने कभी किया नहीं। फिल्म निर्माता उन्हें अभिनय करना सिखायेंगे। सहदेव को मिले इस मौके के लिये बधाई तो बनती है, पर सहदेव की सहजता बनी रहनी चाहिये।

राजघराने की उपचुनाव की ख्वाहिश

खैरागढ़ में उपचुनाव की आहट दबे स्वर सुनाई देने के साथ ही भाजपा से टिकट की उम्मीद लिए दावेदार राष्ट्रीय और राज्य के शीर्ष नेताओं से गुपचुप मेल-मुलाकात बढ़ा रहे है। दिवंगत विधायक देव्रवत सिंह के निधन के बाद भाजपा के टिकट का मंसूबा पाले दावेदार अपने समर्थकों के जरिए माहौल बनाने की जुगत में है। उपचुनाव के कुछ दावेदारों में छुईखदान रियासत के गिरिराज सिंह भी इच्छुक बताए जा रहे है। गिरिराज छुईखदान नगर पंचायत में भाजपा शासनकाल में दो मर्तबा अध्यक्ष रहे। गिरिराज को लेकर भाजपा के अंदर चर्चा है कि वह टिकट के लिए अपने राजनीतिक और निजी संबंधों को माध्यम बनाकर आगे बढ़ गए है। गिरिराज की कुछ दिनों पहले पूर्व सीएम रमन सिंह से भी लंबी चर्चा हुई है। पूर्व सीएम के सामने गिरिराज ने खुलकर उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी बनाए जाने के लिए अपनी बात रखी है। कांग्रेस की तुलना में भाजपा से चुनाव लडऩे के लिए दावेदार अपनी खूबियों को गिना भी रहे हैं। वैसे टिकट की दौड़ में विक्रांत सिंह के बाद पूर्व संसदीय सचिव कोमल जंघेल का नाम सुनाई दे रहा है। गिरिराज का दावा ठोंकने से उपचुनाव में टिकट को लेकर भाजपा को काफी माथापच्ची करनी पड़ सकती है। मार्च-अप्रैल में उपचुनाव होने की प्रबल आसार के मद्देनजर खैरागढ़ विधानसभा में भाजपा अंदरूनी स्तर पर तैयारी कर रही है। गिरिराज के नाम को लेकर समर्थन और विरोध की बातें अभी सामने नहीं आई लेकिन यह तय है कि तारीख के ऐलान होने के बाद उम्मीदवारी हासिल करने के लिए आपस में ही खैरागढ़ के भाजपा नेताओं में टकराव भी बढऩा लाजिमी है।

सोशल डिस्टेंस के साथ खेल

स्कूल जायें तो सहपाठियों के साथ खेलने का मौका तो मिलना ही चाहिये। पर सोशल डिस्टेंस के बीच यह कैसे मुमकिन है। है, यह बता रहे हैं जशपुर जिले के मनोरा के हाईस्कूल में पढऩे वाले बच्चे। वे खेल भी रहे हैं पर दो गज की दूरी भी रखी है और मास्क भी पहने हुए हैं। मौका था, स्कूल में चलाये गये टीकाकरण अभियान का।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news