राजपथ - जनपथ
घर सुधरेगा तब सब सुधरेंगे
यह विचार राजनांदगांव पुलिस के लिए एकदम सटीक माना जा सकता है, क्योंकि नए पुलिस कप्तान संतोष सिंह ने महकमे के प्रशासनिक ढांचे में सुधार के लिए अपने घर, यानी विभाग के अलग-अलग यूनिट के दफ्तरों को चुना है। अरसे बाद एसपी की अपने अधीन विभागीय कार्यालयों में दबिश से निचले अफसरों के आरामतलब रहने का मिजाज चुस्ती में स्वाभाविक रूप से बदलेगा। असल में एसपी हर मोर्चे पर पुलिस की मुस्तैदी के लिए कोशिश करते दिख रहे है। इसलिए उन्होंने सालों बाद यातायात, पुलिस कंट्रोल रूम और थानों का औचक निरीक्षण कर बुनियादी पुलिसिंग को देखा। यातायात में पहुंचे एसपी ने इनाम और सजा देकर सिपाहियों को उनकी जिम्मेदारी से अवगत कराया है। बताते है कि एसपी सिंह सट्टा-जुआ से महकमे के बढ़ते लगाव के घोर विरोधी भी हैं। हाल ही थानेदारों की मैराथन बैठक लेकर एसपी ने इस दो सामाजिक कुरीतियों, और जुर्म को गले लगाने वाले अफसरों को चेताया है। यह भी सच है कि जुआ-सट्टा के खिलाफ जिले में कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति होती रही है। थानेदार भी अपने कप्तान को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं, ऐसे में जुआरियों और सटोरियों को दबोचने के पुलिस अभियान के नतीजे भी मिल रहे है। साफ है कि एसपी, घर सुधारेगा तब सब सुधरेंगे, की सोच लेकर बढ़ रहे हैं।
कैंसिल फ्लाइट में भी रिफंड नहीं?
हाईकोर्ट के दबाव और जन आंदोलन के चलते बिलासपुर से हवाई सेवा शुरू तो कर दी गई है, पर तमाम दिक्कतें हैं। जरा सा मौसम बिगड़ते ही विजिबिलिटी नहीं होने के कारण फ्लाइट कैंसिल कर दी जाती है। उड़ान भरने के बाद प्राय: फ्लाइट रायपुर में उतार दी जाती है और यात्री अपने खर्च पर बिलासपुर लौटते हैं। यह उस परिस्थिति में है जब यहां से उड़ान का किराया रायपुर के मुकाबले कभी कभी दो गुना पार कर जाता है। मगर अब यात्रियों को रिफंड की नई समस्या से जूझना पड़ रहा है। 14 जनवरी को दिल्ली के लिये फ्लाइट कैंसिल की गई। एक महिला यात्री जिसने ईज माई ट्रिप से बुकिंग कराई, उनकी शिकायत है कि फ्लाइट कैंसिल होने के बाद भी किराया रिफंड नहीं किया जा रहा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एयर इंडिया का वह पत्र भी साझा किया है जिसमें कहा गया है कि फ्लाइट कैंसिल होने पर यात्री का पूरा किराया रिफंड किया जायेगा।
कांग्रेस में अपनों की बगावत...
कांग्रेस में संगठन और सत्ता के बीच तालमेल कैसा है, इसे जानने के लिये जांजगीर जिले के खरौद नगर पंचायत में हो रही गतिविधि को देखना चाहिये। यहां कांग्रेस के ही अध्यक्ष हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस पार्षदों ने ही मोर्चा खोल दिया है। भाजपा, शिव सेना और निर्दलीय पार्षदों का भी उन्हें साथ मिल रहा है। 15 में से 14 पार्षदों ने कलेक्टर को ज्ञापन देकर अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग कराने की मांग की है। पार्षदों ने अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है। दो साल पहले हुए चुनाव में किसी भी दल को पूरा बहुमत नहीं मिल पाया था। तब कांग्रेस ने अध्यक्ष पर निर्दलियों की मदद से कब्जा किया था। ऐसी स्थिति में अध्यक्ष को कम से कम अपने दल के पार्षदों को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाना था। नाराज पार्षदों ने निश्चित ही संगठन के सामने पहले अपनी शिकायत की होगी, फिर कलेक्टर के पास गये होंगे। हाल के नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस ने कई जगह पर निर्दलियों या भाजपाईयों से क्रास वोटिंग कराई और अपने अध्यक्षों को बिठाया, पर यहां तो मेहनत पर पानी फिर रहा है।
अब रुकेगा घोटाला सीजीएमसी में?
छत्तीसगढ़ मेडिकल कारपोरेशन में अब आईएएस अधिकारी की जगह पर जनप्रतिनिधियों का संचालक मंडल रहेगा। लुंड्रा के विधायक डॉ. प्रीतम राम इसके अध्यक्ष तथा डॉ विनय जायसवाल और डॉ. के के ध्रुव संचालक मंडल में सदस्य रखे गये हैं। सन् 2019 में मेडिकल कार्पोरेशन में 450 करोड़ रुपये का एक बड़ा घोटाला सामने आया था। इसे कांग्रेस के ही चिकित्सा प्रकोष्ठ ने उजागर किया था। घोटाला भाजापा शासनकाल के समय का था। कालातीत, अमानक दवाईयों की खरीदी और ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को भुगतान करने का आरोप प्रमाणों के साथ लगा था। जो मेडिकल उपकरण 6-7 हजार रुपये में आते हैं, उनके लिये लाखों रुपये का भुगतान किया गया। तब, तत्कालीन प्रबंध संचालक व्ही रामाराव के खिलाफ स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने ईओडब्ल्यू को एफआईआर दर्ज कर पूरे मामले की जांच करने का निर्देश दिया था। रामाराव का निधन हो चुका है। जांच किस मुकाम पर है पता नहीं, पर यह तय है कि मेडिकल कार्पोरेशन भ्रष्टाचार के नाम पर हमेशा चर्चित रहा है। विभिन्न मेडिकल कॉलेजों व जिला अस्पतालों के प्रबंधक सीएमएचओ या डीन जिन दवाओं की मांग करते हैं वे पहुंचती नहीं और ऐसी दवायें भेज दी जाती हैं, जिनकी जरूरत ही नहीं होती। ये इतनी भारी मात्रा में भी भेजे जाते हैं कि एक्सपायरी डेट आ जाती है और खप नहीं पाती।
मेडिकल कार्पोरेशन के भीतर आईएएस क्या करते रहे हैं, यह कभी बाहर पता नहीं चलता था। वे मीडिया और जनप्रतिनिधियों को बताने से भी बचते थे। अब कम से कम जनप्रतिनिधियों के हाथ में कमान देने से 1500 करोड़ रुपये से ज्यादा के सालाना बजट वाले इस कार्पोरेशन के कामकाज में पारदर्शिता की उम्मीद कर सकते हैं।
मछली की पूंछ से बालों का श्रृंगार
आज भले ही दुनिया में फैशन के नए आयाम बन रहे हैं पर अबूझमाड़ की बात निराली है। रविवार को कुछ अबूझमाड़ की युवतियां फोटो स्टूडियो पहुंचीं। एक लडक़ी ने अपने जूड़े में एक पंख लगाया था। उसने बताया ये पक्षी नहीं बल्कि मछली की पूंछ है, जिसे सुखाकर बालों के श्रृंगार के लिए उपयोग किया जाता है। ये सब अबूझमाड़ में ही संभव है।