राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : मन में फूट रहे सियासी लड्डू
18-Jan-2022 5:54 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : मन में फूट रहे सियासी लड्डू

मन में फूट रहे सियासी लड्डू

खैरागढ़ के दिवंगत विधायक देवव्रत सिंह की तलाकशुदा पत्नी पद्मादेवी सिंह का राजघराने में मौजूदा पत्नी विभा सिंह के साथ चल रहे संपत्ति विवाद में बच्चों के लिए ढाल की तरह डटे होना, उनके लिए नया सियासी रास्ता बन गया है। पूर्व पति के समर्थकों और राजपरिवार के सदस्यों ने उनके मन में नई राजनीतिक पारी खेलने की भावनाएं पैदा कर दी है। पदमा के मन में अब सियासी लड्डू का स्वाद चखने का मन बढ़ गया है। सुनते है कि जायदाद में हिस्सेदारी को लेकर चल रहे विवाद को लेकर कुछ दिन पहले बच्चों को लेकर पदमा की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात हुई थी। इस भेंट को संतानों की सुरक्षा से जोडक़र पेश किया गया, लेकिन बातचीत में पदमा ने मुख्यमंत्री से चुनाव लडऩे की ख्वाहिश को जाहिर किया। खैरागढ़ राजघराने के शुभचिंतक भी पदमा को चुनाव लडऩे के लिए मानसिक रूप से तैयार कर रहे हैं। बताते है कि देवव्रत की मिल्कियत को लेकर जिस तरह से आम लोग उनके बेटा-बेटी के समर्थन में सामने आए, उससे यह साफ हो गया कि देवव्रत सिंह के लिए क्षेत्र की जनता के मन में आदर भाव बना हुआ है। लोगों की इन भावनाओं के जरिए पदमा देवी सियासी वैतरणी पार करने का इरादा लेकर आपसी और शीर्ष नेताओं से संपर्क कर रही हैं। पदमा के कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं से निजी और राजनीतिक संबंध जगजाहिर है। यदि सहानुभूति से सियासी फायदे को नजरअंदाज नहीं किया गया तो पदमा की चुनाव लडऩे की इच्छा पूरी हो सकती है। यदि ऐसा हुआ तो राजघराने के बाहर से चेहरा उतारने की संभावना क्षीण हो सकती है।

आईएएस अफसर मन मसोसकर बैठे

छत्तीसगढ़ के आईएएस अफसरों में मायूसी छाई हुई है। अच्छी पोस्टिंग या विभाग नहीं मिलना तो दुख का कारण है ही, लेकिन बड़ी तकलीफ इस बात से है कि उनका हक आईएफएस और आईपीएस मार रहे हैं। महत्वपूर्ण निगम-मंडल और आयोग में एमडी के पद पर कई आईएफएस तैनात हैं। मंत्रालय में भी उनकी पूछ-परख अच्छी है। दूसरी तरफ सीधी भर्ती के कई आईएएस को अभी तक कलेक्टरी नहीं मिल पाई है, जबकि कलेक्टरी में प्रमोशन से आईएएस बने अफसरों को लगातार महत्व मिल रहा है। ऐसे कई अफसर तो 5-6 जिलों की कलेक्टरी के बाद जिलों में पदस्थ हैं। ऐसे में आईएएस अफसर मन मसोसकर बैठे हुए हैं।

सच्ची-झूठी डायरी की आंच

शिक्षा विभाग की कथित डायरी मामले के खुलासे के बाद लोगों को राहत मिली है। खासतौर पर जिनके नाम डायरी के पन्नों पर थे, क्योंकि सफाई देना मुश्किल हो रहा था। हालांकि लोग डायरी के हिसाब-किताब को पूरी तरह से फर्जी नहीं मान रहे हैं। विभागीय लोगों का दावा है कि शिक्षा विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर वसूली तो हुई है, तभी सत्ताधारी दल के विधायकों ने भी जमकर हल्ला मचाया था। इस मामले में पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी चंद्राकर समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। लिहाजा, कह सकते हैं कि मामले का पटाक्षेप हो गया है, लेकिन जो ऐसे लेनदेन को सिरे से खारिज नहीं कर रहे हैं, उनकी आशंका सही साबित हुई तो संभव है कि कुछ लोगों के लिए डायरी परेशानी बन सकती है। 

दिक्कतों से दो चार हो रहे कॉलेजों के छात्र

पहले और तीसरे सेमेस्टर की परीक्षाओं को ऑनलाइन लेने के लिए उच्च शिक्षा विभाग का निर्देश अभी तक कॉलेजों में नहीं पहुंचा है। रविशंकर विश्वविद्यालय से जुड़े कई कॉलेजों की यह शिकायत है। कॉलेजों में अगले सप्ताह से सेमेस्टर की परीक्षाएं ऑफलाइन मोड पर निर्धारित की गई थी। पर कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों के चलते इस पर रोक लगाई गई। अब कॉलेजों में सन्नाटा पसरा हुआ है। ऑनलाइन परीक्षा लेने के संबंध में निर्देश नहीं आने के कारण छात्रों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। दूसरी बात, एक बार फिर जो दूर-दराज में रहने वाले छात्र हैं, उन्हें नेटवर्क की समस्या से जूझना पड़ रहा है। ऑफलाइन कक्षाएं बंद की जा चुकी हैं और ऑनलाइन में भी वे जुड़ नहीं पा रहे हैं।

फिर खनिज विभाग क्या सो रहा?

ऐसा लगता है कि ज्यादातर जिलों में खनिज विभाग ने नियमों के खिलाफ जाकर नदियों से रेत निकालने की छूट दे रखी है और सत्तारूढ़ दल के नेता इन्हें शह दे रहे हैं। राजनांदगांव में शिवनाथ नदी से रेत निकालने के खिलाफ ग्रामीणों ने कई बार कलेक्टर और खनिज विभाग के अधिकारियों से शिकायत की। पुनेका बाकल एरिया में बकायदा नदी को बांधकर भारी मशीनों से बिना रायल्टी पर्ची रेत निकाली जा रही थी। 8 माह तक लगातार शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं होने पर ग्रामीणों ने खुद मोर्चा संभाल लिया और वहां धरने पर बैठ गए। फिलहाल यहां उनकी नाकेबंदी के चलते रेत की अवैध निकासी बंद हो गई है, पर यह प्रशासन के मुंह पर तमाचा है। लोगों को कानून अपने हाथ में लेना जो पड़ रहा है।

लूट के लिये पत्रकारिता..

पत्रकारिता का पेशा अपराधियों के लिए कवच बनता जा रहा है। पुलिस ने प्रेस लिखी ऐसी गाडिय़ों को कई बार जप्त किया है जिसमें गांजा शराब जैसे मादक पदार्थों की तस्करी होती रही है। वेब पोर्टल के जरिए खुद को पत्रकार बताने की तो होड़ मची हुई है ही, और इसकी आड़ में अपराधों को अंजाम देने की भी। भिलाई में दो बाइक पर सवार 4 लोगों ने इंदौर से सैनिटाइजर की डिलीवरी करने वाले पिकअप के ड्राइवर को वेब पोर्टल का पत्रकार बता कर धमकाया और 48 हजार रुपए लूटे। ये आरोपी सुपेला और भिलाई 3 के रहने वाले हैं। इनके पास से कॉर्डलेस, वॉकी टॉकी और अलग-अलग पोर्टल, अखबारों के आईडेंटिटी कार्ड, माइक आईडी आदि जप्त किए गए। यानि वे पत्रकारिता के पेशे का पूरे दस्तावेजों के साथ गलत इस्तेमाल करते थे। मीडिया की विश्वसनीयता ऐसी घटनाओं के कारण ही संकट में है।

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