राजपथ - जनपथ
सांसद पुत्र की सक्रियता
वित्त विभाग फरवरी के पहले पखवाड़े में सरकारी विभागों में खरीदी पर रोक लगा सकता है। मगर इससे पहले सप्लाई ऑर्डर लेने के लिए विभागों में आपाधापी मची हुई है। स्वास्थ्य महकमे में सप्लायर कुछ ज्यादा ही सक्रिय हैं। वजह यह है कि कोरोना का दौर चल रहा है, और इससे निपटने के लिए राज्य के साथ-साथ केंद्र ने भी अस्पतालों में दवा-उपकरणों की खरीदी के लिए भरपूर राशि दी है।
सुनते हैं कि बीजापुर, नारायणपुर, महासमुंद, रायपुर, बलौदाबाजार, सूरजपुर के अलावा कुछ और अन्य जिलों में दवा-उपकरणों की खरीदी की तैयारी चल रही है। करीब 15 करोड़ के आसपास की खरीदी होनी है, और इस मद में करीब 5 करोड़ रुपए जारी हो गए हंै। जिलों में सीएमओ ने खरीदी प्रस्ताव तैयार किए हैं। सप्लाई ऑर्डर देने के लिए प्रभावशाली लोगों के रोजाना फोन आ रहे हैं।
चर्चा है कि एक सांसद पुत्र ने तो जिलों के सीएमओ के नाक में दम कर रखा है। जरूरत पडऩे पर पुत्र की मदद के लिए सांसद महोदया आगे आ जाती हैं। सांसद-पुत्र की अतिसक्रियता से स्वास्थ्य अफसर हलाकान हैं, और इसकी शिकायत दाऊजी तक भी पहुंची हैं। देखना है कि आगे क्या होता है।
जीपी तक रास्ता ऐसे निकला
आखिरकार जीपी सिंह पुलिस के हत्थे चढ़ गए। लेकिन उन्हें पकडऩा आसान नहीं था। पुलिस जब भी उनके ठिकानों पर छापेमारी करती, वो उससे पहले ही निकल जाते थे। इसके बाद पुलिस ने जीपी के मददगारों की तलाश की, और उन पर नजर रखनी शुरू कर दी।
सुनते हैं कि जीपी के दो करीबी पुलिस की रडार पर थे। इनमें से एक आरटीआई एक्टिविस्ट, और दूसरा कारोबारी बताया जा रहा है। जीपी इन दोनों के संपर्क में थे। फिर इन दोनों के सहारे पुलिस जीपी तक पहुंचने में सफल रही।
वकीलों पर फिर आर्थिक संकट का साया
यह अलग बात है कि कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए बनाए गए नियमों का अनेक संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों पर उल्लंघन हो रहा है लेकिन न्याय व्यवस्था की दिशा बताने वाली अदालत में इसके प्रति नरमी तो बरती नहीं जा सकती। इसीलिए हाईकोर्ट और निचली अदालतों में वर्चुअल सुनवाई चल रही है। हाईकोर्ट में तो वर्चुअल काम तो हो रहा है पर निचली अदालतों में लगभग रुका हुआ है। पक्षकारों को सीधे तीन-चार महीनों के बाद की तारीख मिल रही है। हाई कोर्ट और जिला बार एसोसिएशन ने तीसरी लहर के शुरू में मांग उठाई थी कि वर्चुअल के साथ-साथ फिजिकल सुनवाई की जाए। एक बार फिर 100 से अधिक वकीलों ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर गुहार लगाई है कि वे कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा पालन करने के लिए तैयार हैं लेकिन अदालतों में फिजिकल सुनवाई शुरू हो।
पिछली बार कोविड-19 की दूसरी लहर में वकीलों पर जबरदस्त आर्थिक संकट आया था। ज्यादा असर निचली अदालतों में प्रैक्टिस करने वाले और नये वकीलों पर ज्यादा हुआ। अदालतों पर निर्भर फोटोकॉपी, स्टेशनरी, स्टांप के व्यवसायी भी इसकी चपेट में थे। देखना यह है कि अब इन वकीलों की इस गुहार पर चीफ जस्टिस क्या फैसला लेते हैं।
सवाल करियर चौपट होने का
हुक्का बार पर विधानसभा में अधिनियम पारित हो जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ के कई शहरों में चोरी छुपे कैफे की आड़ में यह संचालित किया जा रहा है। पकड़े जाने वाले युवा ऐसे भी हैं जो आसपास के कस्बों से आकर सीजीपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। बिलासपुर में एक हुक्का बार पर पुलिस ने छापा मारा। पुलिस ने वहां से युवक-युवतियों को पकड़ा। उन्हें पेरेंट्स की गारंटी मिलने पर छोडऩे की बात कही। इनमें से दो युवतियों की आंखों से आंसू निकल गये। वे गिड़गिड़ाने लगीं। कहा- सर, प्लीज पेरेंट्स को मत बुलाइए। हम तो यहां प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए आए हुए हैं। बदनामी तो होगी ही, वे सीधे हमको घर वापस ले जाएंगे और करियर चौपट हो जाएगा। पुलिस ने बस इतनी नरमी बरती कि पेरेंट्स को तो बुलाकर समझाया लेकिन इन युवतियों को उनके सामने खड़ा नहीं किया।
पहले ओले और अब ओस
दिसंबर के दूसरे हफ्ते से तापमान में जो गिरावट आई है वह अब तक निरंतर है। महीने भर से धूप अपने पूरे ताप के साथ तो निकली ही नहीं। मैनपाट में टेंपरेचर 2.9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। इस वक्त भी लगभग 4 डिग्री सेल्सियस है। अंबिकापुर, पेंड्रा रोड जैसी जगहों पर तापमान 6 डिग्री के आसपास चल रहा है। बस्तर, रायपुर, कवर्धा सभी जगह पर ठंड है। दिसंबर में हुई बारिश के बाद ओले भी गिरे थे और अब लोग पहाड़ी इलाकों में बर्फ की ओस की परतों को देखकर आनंद उठा रहे हैं। लोग हल्के-फुल्के अंदाज में छत्तीसगढ़ के मौसम की चर्चा करते हुए कहते रहे हैं कि यहां पर 3 तरह के मौसम हैं- गर्मी, बहुत गर्मी और कम गर्मी। मगर इस बार ऐसा नहीं है।