राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : आईपीएस बिरादरी में सन्नाटा
20-Jan-2022 5:14 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : आईपीएस बिरादरी में सन्नाटा

आईपीएस बिरादरी में सन्नाटा

छत्तीसगढ़ के एडीजी जीपी सिंह की गिरफ्तारी से लेकर जेल दाखिले पर आईपीएस बिरादरी में सन्नाटा पसरा हुआ है। राज्य के ताकतवर पुलिस अफसर रहते जीपी सिंह के नाम से न सिर्फ उनके जूनियर बल्कि सीनियर भी थर्राते थे। भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे जीपी को लेकर पीएचक्यू में खामोशी का माहौल है। आईपीएस बिरादरी की चुप्पी के पीछे दरअसल जीपी की नकारात्मक कार्यशैली एक असल कारण है। एसपी का प्रशासनिक कार्यकाल पूरा करने के बाद आईजी रहते जीपी का अपने रेंज के एसपी के कामकाज में सीधा दखल रहता था। उनके इस हस्तक्षेप से एसपी परेशानी में पड़ जाते थे। उनके बिलासपुर आईजी रहते हुए होनहार आईपीएस राहुल शर्मा की खुदकुशी सबको याद है जो कि आईजी की दखल और उनके किये जा रहे लगातार अपमान से परेशान थे, और आत्महत्या कर ली थी।

उनके दबदबे से जिले स्तर के तबादले में जीपी की पसंद का ख्याल रखा जाता था। कई बार एसपी अपने विवेक और अधिकार को नजरअंदाज कर उनकी पसंद के थानेदारों और आरक्षकों को इधर-उधर करने के लिए विवश रहते थे। बताते हैं कि जीपी में मामले में कोई भी अफसर न समर्थन में है और न ही विरोध में। राज्य सरकार के कड़े रूख को भांपकर आईपीएस टीका-टिप्पणी के लिए अभी के वक्त को सही नहीं मान रहे हैं। अफसरों से यह भी सुनाई देने लगा है कि सरकारी मशीनरी का हिस्सा रहते अपनी हदों को पार करने का नतीजा जीपी जैसा ही होगा। एक सीनियर आईपीएस ने कहा की जब जीपी सिंह की तूती बोलती थी, तब उसने सारे साथी अफ़सरों पर टांग उठाकर मूता हुआ है, इसलिए आज किसी की हमदर्दी उसके साथ नहीं है।

भाजपा में भी जीपी सिंह के काटे हुए लोग कम नहीं हैं. रमन सिंह कैबिनेट की बैठक में बृजमोहन अग्रवाल ने रायपुर आईजी का नाम लेकर कहा था कि सीएम को पता होगा कि आईजी की महीने की कमाई पांच करोड़ रुपये है. अब गिरफ़्तारी के बाद जीपी सिंह ने यह आड़ ली है कि मौजूदा सरकार उन पर रमन सिंह को फंसाने के लिए दबाव डाल रही थी. इस बयान को सुनकर रमन सिंह के एक मंत्री रहे भाजपा नेता को कैबिनेट में हुई चर्चा याद आई।

राष्ट्रगान तो ठीक है मगर 10:30?

बलौदा बाजार के कलेक्टर डोमन सिंह ने पदभार संभालने के बाद ऐसा आदेश सुना दिया है जिससे अधिकारी-कर्मचारी परेशानी में पड़ गए हैं। उन्होंने दफ्तरों में कामकाज की शुरुआत राष्ट्रगान से करने का फरमान निकाला है। 59 सेकंड का राष्ट्रगान सब बचपन से स्कूलों में गाते रहे हैं सबको आता है सब इसका सम्मान भी करते हैं, इसमें किसी को परहेज नहीं। दिक्कत बस इतनी है कि 10:30 बजे राष्ट्रगान शुरू होने के साथ गैरहाजिरी भी पकड़ में आ जाएगी। जो लोग 11-12 बजे तक नहीं पहुंचते उनके लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी। मुमकिन है कि यह शुरुआती जोश हो। कुछ समय बाद इस आदेश पर अमल होना भी बंद हो जाए, तो आश्चर्य नहीं।

अब कैसे उठाएं शराबबंदी का सवाल..

भाजपा शासित मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह सरकार ने शराब की दुकानें दोगुनी करने की नीति बना रही है। जिनके पास जगह है, वह अपने घर पर भी बार खोल सकेंगे। एयरपोर्ट, मॉल और सुपर बाजार में इसकी उपलब्धता बढ़ाई जाएगी। मकसद है, 10 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त कमाई का।

छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने बार-बार भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर हमला जारी रखा है कि गंगाजल की कसम खाने के बावजूद वह अपने शराबबंदी के वायदे पर अमल नहीं कर रही है। तीन साल हो गये, कांग्रेस का कहना है कि वह विभिन्न संगठनों से विचार विमर्श कर रही है। दूसरे राज्यों में शराबबंदी की विफलता की तरफ भी ध्यान दिया जा रहा है। अब कांग्रेस के पास एक और जवाबी औजार मध्यप्रदेश के फैसले के रूप में मिल गया है।

छत्तीसगढ़ सरकार के लिए यह जरूर परेशानी का कारण बन सकता है कि मध्यप्रदेश में शराब सस्ती भी की जा रही है। पहले से ही वहां से छत्तीसगढ़ में शराब की तस्करी हो रही है और अब जब सस्ती हो जाएगी तस्करी और बढऩे की आशंका है।

टीवी चैनलों की तगड़ी मोर्चेबंदी

ये कुछ स्क्रीन शॉट्स हैं, यूपी चुनाव पर टीवी चैनलों में चल रही बहस की। वाट्सएप, फेसबुक और इंटरनेट मीडिया के दूसरे माध्यमों के हजारों ग्रुप्स की तरह इन्होंने भी हर बार की तरह अपनी जिम्मेदारी संभाल रखी है। भले ही मुद्दा, विकास, महिला सुरक्षा, रोजगार का उभर रहा हो, पर मतदाताओं की समझ को मोडऩे में ये बहुत काम आ रहे हैं। 

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